Friday, March 29, 2024

नये तूफान का सबब बनी खालिस्तान की हिमायत

ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसटीपीसी) अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने खालिस्तान का खुला समर्थन करके तथा इस मुद्दे को हर सिख के साथ जोड़कर पंथक और पंजाब की राजनीति में नया तूफान ला दिया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह और भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल, प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल के चेहते हैं और उन्हीं की मेहरबानी से पदासीन हैं। दोनों के कथन को ‘बादलों के मन की आवाज’ माना-कहा जाता है।

एसजीपीसी सीधे-सीधे बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल के हाथों में है और श्री अकाल तख्त साहिब की प्रशासनिक व्यवस्था भी। इसीलिए कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी के प्रधान की खालिस्तान की खुली हिमायत के बाद प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल को घेरा है। अकालियों की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने भी जत्थेदार की खुलकर आलोचना की है। अलबत्ता दोनों बादल इस प्रकरण पर फिलवक्त खामोश हैं।     

ज्ञानी हरप्रीत सिंह और भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल का खालिस्तानी पक्षीय रुख उस वक्त सामने आया है जब सुदूर विदेशों में, खासतौर से यूरोप में रेफरेंडम-2020 के तहत भारत विरोधी अलगाववाद को हवा दी जा रही है और इस मुहिम को पंजाब में जड़ें देने के लिए करोड़ों रुपए की फंडिंग की जा रही है। यह सब खुलकर हो रहा है और खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इसे लेकर गंभीर हैं तथा इसके खिलाफ अक्सर चेताने वाले बयान देते रहते हैं। मुख्यमंत्री और डीजीपी के निर्देश पर पुलिस इस मुहिम और नेटवर्क को तोड़ने की कवायद में है। खुद बादल परिवार रेफरेंडम–2020 की अगुवाई करने वाले अलगाववादियों एवं खालिस्तानियों के निशाने पर हैं।

ऐसे में यक्ष प्रश्न है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी प्रधान ने खालिस्तान की खुली हिमायत कैसे और क्यों की? जबकि दोनों, बादल परिवार के इशारे के बगैर जुबान नहीं खोलते। जितना बड़ा यह सच है कि कभी अलगाववाद का समर्थन करते हुए प्रकाश सिंह बादल ने संविधान की प्रतियां तक जलाईं थीं-उतना ही बड़ा यह सच भी है कि नब्बे के दशक के बाद बादल ने अपना समूचा जोर खुद की धर्मनिरपेक्ष छवि पुख्ता करने में लगाया। कट्टरपंथी भाजपा के घोषित साझीदार तक हो गए! अब तक हैं। हालांकि इस रिश्ते के पीछे बेशुमार सियासी मजबूरियां हैं। सबसे बड़ी मजबूरी है यह कि शिरोमणि अकाली दल का सिर्फ सिख मतों के बूते सत्ता में आना संभव नहीं और हिंदू वोट इसके लिए अपरिहार्य हैं। 

दूसरी एक मजबूरी यह कि ‘दिल्ली दरबार’ में  अकालियों को कुर्सी सिर्फ और सिर्फ भाजपा की वजह से हासिल होती है। बदले में भाजपा को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कहने और साबित करने का सहज अवसर मिलता है कि देश का एक बड़ा अल्पसंख्यक (सिख) समुदाय उसके साथ है। बेशक प्रकाश सिंह बादल पर उन्हीं के दल के खांटी नेताओं और आम कार्यकर्ताओं का जबरदस्त दबाव रहा है कि भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए। कुछ महीने पहले कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए तथा नागरिकता संशोधन विधेयक के मसलों पर यह दबाव बादलों पर बेतहाशा गहराया था और शिरोमणि अकाली दल में बाकायदा बगावत हुई थी।

अब नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि अध्यादेश को लेकर भी प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल पर दबाव है कि भाजपा से किनारा किया जाए। जो हो, फिलवक्त बादलों के गले की फांस दो दिग्गज पंथक शख्सियतों द्वारा की गई खालिस्तान की खुली हिमायत है। बार-बार दोहराना होगा कि दोनों बादल परिवार के खासम खास हैं। बादलों की हिदायत के बगैर एक लफ्ज़ तक अपनी मर्जी से नहीं बोलते। इसीलिए कांग्रेस और ‘आप’ ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी प्रधान के बयान पर सीधे शिरोमणि अकाली दल की टॉप लीडरशिप से सफाई मांगी है और खालिस्तान के मसले पर रुख साफ करने को कहा है। भाजपा के पंजाब प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने भी खालिस्तान का समर्थन करने वाले ज्ञानी हरप्रीत सिंह की तीखी आलोचना करके बहुत कुछ कह दिया है।                       

अश्विनी शर्मा का बयान गौरतलब है, “श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा खालिस्तान के संदर्भ में दिया बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। सिर्फ पंजाबी ही नहीं बल्कि भारत के करोड़ों लोगों की आस्था श्री अकाल तख्त साहिब से जुड़ी हुई है। ऐसे महान तख्त गडर नाम लिखें का जत्थेदार होने के नाते ज्ञानी हरप्रीत सिंह को ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए, जिससे देश की एकता, अखंडता और पंजाब के सामाजिक सद्भाव को चोट पहुंचे। जत्थेदार के बयान से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुईं हैं।

पंजाब ने पहले ही बहुत संताप झेला है तथा हजारों निर्दोष पंजाबियों को जान गंवानी पड़ी। पंजाबियों ने खाालिस्तान के विचार को हमेशा के लिए नाकारा है और अनगिनत बलिदान देकर पंजाब में शांति और भाईचारा स्थापित किया है।” गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने अपने उक्त बयान की प्रतियां प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल की आधिकारिक ई-मेल पर भी भेजी हैं। इसके मायने साफ समझे जा सकते हैं!                    

उधर, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल के खालिस्तान के समर्थन में आने के बाद सोशल मीडिया पर अलगाववादी-खालिस्तानी जमकर सक्रिय हो गए हैं। रेफरेंडम–2020 के जरिए अलगाववाद को हवा दे रहे ‘सिख फॉर जस्टिस’ के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी नए सिरे से मोर्चा खोल लिया है। कुछ दिन पहले पन्नू ने चीन के राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह खाली स्थान का समर्थन करें और यह मामला यूएन में उठाएं।               

बहरहाल, शिरोमणि अकाली दल के कतिपय नेता खुद मानते हैं श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी प्रधान की खालिस्तान की हिमायत बादलों को मुश्किल में डालेगी। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामलों और बरगाड़ी कांड से पंथक मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा शिरोमणि अकाली दल से टूट गया है। ऐसे में निहायत गरमपंथी अवधारणा ‘खालिस्तान’ पर बादल क्या कहते हैं, देखना होगा।

(लेखक अमरीक सिंह पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles