वाराणसी। जेपी-विनोबा की विरासत सर्व सेवा संघ पर मोदी सरकार ने कब्जा कर लिया है। नरेंद्र मोदी सरकार गांधी-विनोबा और जेपी के विचारों को खत्म करने के इरादे से यह सब कर रही है। सर्व सेवा संघ पर कब्जे के बाद परिसर में सन्नाटा है। लेकिन यहां पर कुछ दिनों पहले तक चहल-पहल रहती थी। परिसर में स्थित बालवाड़ी में बच्चे पढ़ने और सीखने आते थे। गांधी की नई तालीम के तहत यह प्रयोग चल रहा था, जो अब बंद पड़ा है। क्योंकि सरकारी कारिंदे ‘नई तालीम’ के तहत चलने वाली बालवाड़ी पर भी कब्जा कर लिया है। बालवाड़ी में कुल करीब 80 बच्चे थे। ज्यादातर बच्चे गरीब घरों से थे। संस्था को कुल तीन लोग मिलकर चलाते थे। जिसमें सौरभ सिंह, मीरा चौधरी और गुड़िया शामिल हैं। बालवाड़ी सितंबर, 2022 में शुरू हुआ था।
बालवाड़ी में शिक्षक की भूमिका निभाने वाली मीरा चौधरी बताती हैं कि “बच्चों की उपस्थिति का आंकड़ा अलग-अलग दिनों भिन्न रहता था। सोमवार से शुक्रवार तक बालवाड़ी चलती थी। 55-60 बच्चे प्रतिदिन आते थे। लेकिन शनिवार को करीब 100 बच्चे हो जाया करते थे। बच्चों के मानिसक विकास पर ज्यादा जोर दिया जाता था।”
सौरभ सिंह कहते हैं कि “बालवाड़ी में बच्चों को शारीरिक दंड नहीं दिया जाता था और अटेंडेंस नहीं लिया जाता था। ज्यादातर बच्चे नाविक, मछुआरे, श्मशान घाट पर काम करने वाले और कूड़ा बिनने वाले घरों से होते थे। बच्चे बालवाड़ी में आकर बहुत खुश रहते थे। दोस्तों और जन सहयोग से पैसा एकत्र होता था। और सप्ताह में एक-दो बार बच्चों को फल भी वितरित किया जाता था। लेकिन अब मोदी सरकार ने यह सिलसिला बंद कर दिया है। कुछ दिनों बाद कहीं दूसरे स्थान पर स्कूल को शुरू करने की कोशिश की जायेगी।”
बालवाड़ी में पढ़ाने वाली गुडिया कहती हैं कि “बच्चों को किताब-कॉपी, स्कूल बैग, ड्रेस, वाटर बॉटल और पेंसिल मुफ्त दिया जाता था। जिस दिन प्रशासन ने सर्व सेवा संघ पर कब्जा किया बच्चे बहुत रो रहे थे।”
बालवाड़ी गांधी जी के नई तालीम के अनुरूप ‘इनर वॉयस फाउंडेशन’ और सर्व सेवा संघ के सम्मलित प्रयासों से संचालित किया जा रहा था। बच्चों को किंडरगार्टन या बालवाड़ी में इसलिए भेजा जाता है ताकि वे एक दूसरे से अच्छी तरह से बातचीत करना सीख सकें और खेलें। एक शिक्षक उन्हें बहुत सी सामग्री उपलब्ध कराता है और यहां पर वे बहुत सी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जिससे ये बच्चे भाषा सीखने के लिए प्रेरित होते हैं, शब्दों को पढ़ना सीखते हैं, अपने स्तर का गणितीय और वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
बालवाड़ी में बच्चे संगीत, कला और सामाजिक व्यवहार की शिक्षा भी प्राप्त करते हैं। वे बच्चे जिन्होंने इससे पहले अपना अधिकांश समय घर पर ही बिताया है, बालवाड़ी ऐसे बच्चों को बिना किसी चिंता के सीखने में मदद करता है। यहां पर उन्हें पहली बार नियमित रूप से खेलने का और बच्चों के एक ही समूह के साथ बातचीत करने का मौका मिलता है।
सर्व सेवा संघ परिसर में शिक्षा के क्षेत्र में बालवाड़ी के अलावा समय-समय पर युवा शिविर, हेल्थ शिविर, प्राकृतिक चिकित्सा शिविर, बाल साहित्य पर दो दिन की राष्ट्रीय कार्यशाला और जल-पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
(वाराणसी से प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)