‘आत्मनिर्भर भारत’ वाली लक्ष्मी पीएम से पूछ रही हैं अपने पक्के मकान का ठिकाना!

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लक्ष्मी देवी कोलकाता के बहू बाजार के मलांगा लेन में 80 वर्ग फुट के एक कमरे में किराए पर रहती हैं। जब कमरे का रकबा  ही 80 वर्ग फुट हो तो उसमें स्नान घर और शौचालय होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। लक्ष्मी देवी की बस एक ही तमन्ना है कि अगर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हो जाए तो उनसे अपने पक्के मकान का ठिकाना पूछ लें।

आप हैरान हो रहे होंगे कि ये लक्ष्मी देवी कौन हैं और प्रधानमंत्री उसे उसके पक्के मकान का ठिकाना क्यों कर बताएंगे। दरअसल यह लक्ष्मी देवी वही महिला हैं, जिनकी तस्वीर मुस्कुराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विज्ञापन में छपी है। इस तस्वीर में पीछे एक पक्का मकान दिख रहा है। इसमें कहा गया है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह पक्का मकान मिला है। वे अब आत्मनिर्भर बन गई हैं। यह तस्वीर केंद्र सरकार की तरफ से जारी एक विज्ञापन में छपी थी।

भाजपा की तरफ से भी मोदी की आवास योजना की सफलता का बखान करते हुए यह तस्वीर प्रकाशित की गई थी। इसलिए उनकी तमन्ना है कि एक बार मोदी जी से मुलाकात हो जाए तो उनसे अपने इस पक्के मकान का ठिकाना पूछ ले। भव्य न सही एक साधारण सा गृह प्रवेश का आयोजन करके अपने पक्के मकान में चली जाए जो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिला है। पर मोदी जी से उनकी मुलाकात मुमकिन नहीं है, क्योंकि यहां तो ‘तुम हो फलक पर हम हैं जमीं पर तुम्हें क्या खबर है हमारी’ जैसा माजरा है।

यह सही भी है, क्योंकि मोदी जी और उनकी सरकार को लक्ष्मी देवी की हकीकत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनके पति का निधन काफी पहले हो गया था। उन्होंने ठेका मजदूरी करके अपने तीन बेटे-बेटियों को पाला पोसा और बड़ा किया। कोई शिक्षा नहीं दे पाईं,  क्योंकि इतनी हैसियत नहीं थी। कमरे का रकबा कुल 80 वर्ग फुट होने के कारण बेटा फुटपाथ या अपने रिक्शा वैन पर रात को सोता है। लड़कियां घर में सोती हैं। पूरा परिवार एक साथ कमरे में रह सके इसकी गुंजाइश नहीं है। इसके बावजूद उसे आत्मनिर्भर भारत में एक पक्के मकान की मालकिन बता कर उसकी गरीबी का मजाक उड़ाया गया है।

आप हैरान हो रहे होंगे कि जब लक्ष्मी देवी की प्रधानमंत्री से मुलाकात ही नहीं हुई तो मुस्कुराते हुए मोदी के साथ तस्वीर कैसे छप गई। दरअसल यही तो भाजपा के ‘गोवेल्स डिपार्टमेंट’ का कमाल है। लक्ष्मी देवी बताती हैं कि गंगासागर मेले में वे ठेका मजदूर के रूप में काम करने गईं थीं। इसी दौरान कुछ फोटोग्राफरों ने उनकी तस्वीर खींची थी। उन्होंने भी तस्वीर खिंचवा ली थी। उन्हें क्या पता था यह तस्वीर आगे जाकर क्या गुल खिलाने वाली है। उनकी इन्हीं तस्वीरों में से किसी एक का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत वाला विज्ञापन तैयार किया गया। केंद्र सरकार का यह विज्ञापन 14 और 25 फरवरी को आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर बांग्ला के नाम से छपा था। पर हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। यह तो भाजपा के ‘गोवेल्स डिपार्टमेंट’ का एक नमूना है। अब इस तरह के कितने मामले होंगे इसका कयास ही लगाया जा सकता है।

भाजपा के नेता इस बाबत खामोश हैं, लेकिन सांसद और तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत राय कहते हैं कि भाजपा का सारा कारोबार ही फर्जीवाड़े के सहारे चलता है।

शाहजहां के ताजमहल के बाबत एक गीतकार ने लिखा है- ‘एक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर/ हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक’।

यहां भी एक शहंशाह ने लक्ष्मी देवी का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक सरहद के विस्तार के लिए किया है। अब लोग लक्ष्मी देवी का मजाक उड़ा रहे हैं। रिक्शा वैन चलाकर रोजी-रोटी कमाने वाला उनके बेटे राहुल प्रसाद कहते हैं कि जो तस्वीर पूरे देश में दिखाई गई है, उसे सच तो साबित कर दो। अपने झूठ के मकड़जाल से बाहर निकल कर, अगर हो सके तो बस इतनी भर मेहरबानी कर देना।

(जेके सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं।)

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