Tuesday, March 19, 2024

किडनैपिंग मामले में अतीक अहमद को उम्रकैद, अशरफ समेत 7 बरी

माफिया अतीक अहमद को 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। पुलिस रिकॉर्ड में अतीक गैंग पर 101 मुकदमे दर्ज हैं। यह पहला मामला है, जिसमें अतीक को दोषी ठहराया गया और सजा मिली है। इस बीच उसे साबरमती जेल वापस भेजने का ऑर्डर हो गया है। कुछ देर में उसे रवाना किया जाएगा।

जज दिनेश चंद्र शुक्ल ने अतीक के अलावा खान सौलत हनीफ और दिनेश पासी को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। यह रुपये उमेश पाल के परिवार को दिए जाएंगे। वहीं अतीक के वकील दया शंकर मिश्रा ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

कोर्ट ने अशरफ उर्फ खालिद अजीम समेत फरहान, जावेद उर्फ बज्जू, आबिद, इसरार, आशिक उर्फ मल्ली और एजाज अख्तर को बरी कर दिया है। सजा सुनाने के बाद दोपहर 3.30 बजे अतीक और अशरफ को वापस नैनी जेल ले जाया गया। इस दौरान मीडियाकर्मियों ने अतीक,अशरफ से सवाल किए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी 18 साल पुरानी है। शुरुआत 25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर के साथ हुई थी। उमेश, राजू पाल मर्डर केस का चश्मदीद गवाह था। अतीक अहमद ने उमेश को कई बार फोन कर बयान न देने और केस से हटने को कहा था। ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी दी थी।

उमेश पाल नहीं माना तो 28 फरवरी, 2006 को उसका अपहरण करा लिया। उसे रात भर मारा गया। बिजली के शॉक दिए गए। मनमाफिक गवाही देने के लिए टार्चर किया गया। इस मामले में 17 मार्च को कोर्ट में बहस हो चुकी थी।

1 मार्च, 2006 को उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में गवाही दी। उस समय सपा की सरकार थी। उमेश अपनी और परिवार की जान की रक्षा के लिए सालभर चुप रहा। 2007 में विधानसभा चुनाव हुए और सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। मायावती की नेतृत्व वाली बसपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी।

राजू पाल की हत्या के चलते अतीक के खिलाफ मायावती ने कार्रवाई की। चकिया स्थित उसका दफ्तर तुड़वा दिया। उमेश पाल को लखनऊ बुलवाया और हिम्मत दी। उमेश पाल ने एक साल बाद 5 जुलाई, 2007 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत 10 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।

32 दिन पहले प्रयागराज में 24 फरवरी को उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में तैनात 2 पुलिस गनर की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड को 44 सेकेंड में अंजाम दिया था।

17 साल से केस की पैरवी कर रहे थे उमेश

उमेश पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में धारा 147/148/149/364A/323/341/342/504/506/34/120 B and 7 Criminal law Amendment Act के तहत 2006 में अपहरण का मामला दर्ज हुआ था। इस केस की 17 साल से उमेश पाल बिना डरे पैरवी कर रहे थे। उमेश पाल ने ठान लिया था कि अतीक अहमद और अशरफ ने जिस तरह उसको मारा-पीटा और उसके साथ गलत व्यवहार किया था। उसका बदला सजा दिलवाकर लेगा।

‘अतीक को फांसी हो’

कोर्ट के फैसले के बाद उमेश की मां शांति देवी ने कहा- अतीक अहमद ने मेरे बेटे का मर्डर कराया। तीन-तीन लोगों की जान गई। वो पुराना खूंखार बदमाश और डकैत है। वो नोटों के बल पर कुछ भी कर सकता है। मुख्यमंत्री से मेरी मांग है कि उसे फांसी दी जाए। उसे अपहरण मामले में भले ही उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, लेकिन मर्डर केस में उसे फांसी दी जाए।

वहीं, उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने कहा- ‘मैं घर पर अकेली हूं। मुख्यमंत्री से मांग करती हूं कि मेरी सुरक्षा का ख्याल रखा जाए। अतीक को अपहरण मामले में उम्रकैद की सजा कोर्ट ने सुनाई है। इस फैसले पर मैं कुछ नहीं कहना चाहती हूं। मेरे पति के मर्डर केस में अतीक को फांसी की सजा दिलाई जाए।’

सुप्रीम कोर्ट ने अतीक की अपील खारिज की

इस बीच उमेश पाल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की सुरक्षा देने की अपील खारिज कर दी है। अतीक ने याचिका में कहा था कि जब तक वो उत्तर प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है, उसे सुरक्षा दी जाए। अतीक ने कहा था कि वह यूपी की जेल में शिफ्ट नहीं होना चाहता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अतीक के वकील से कहा कि अपनी शिकायत लेकर हाईकोर्ट जाइए।

अतीक को गुजरात रवाना किया गया

माफिया अतीक अहमद को गुजरात और अशरफ को बरेली रवाना कर दिया गया है।कोर्ट से अतीक को नैनी जेल वापस लाया गया था। लेकिन उसे जेल के अंदर नहीं लिया गया। दोनों प्रिजन वैन जेल गेट पर खड़ी रहीं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशिकांत सिंह ने अतीक को जेल में लेने से मना कर दिया था। नैनी जेल सुपरिटेंडेंट ने कहा था कि नैनी जेल में लेने का कोई आदेश नहीं मिला है।

कोर्ट में पेशी के समय कड़ी सुरक्षा

इससे पहले, अतीक को जेल से जिस पुलिस वैन में लाया गया उसमें सीसीटीवी लगे थे। कोर्ट तक की 10 किमी की दूरी कुल 28 मिनट में तय हुई। अतीक को सोमवार शाम को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।

सुबह 11.48 बजे नैनी सेंट्रल जेल से अतीक को बंद वैन में लेकर पुलिस कोर्ट के लिए निकली। दोपहर 12:16 बजे कोर्ट लाया गया। सुरक्षा में 50 से ज्यादा जवान तैनात थे। करीब 28 मिनट बाद यानी 12.16 बजे अतीक कोर्ट पहुंचा।

इससे पहले सुरक्षा के लिहाज से सुबह 11.34 बजे पहली वैन जेल से खाली रवाना की गई। इसके बाद दूसरी फिर तीसरी वैन निकली। इनमें एक में अशरफ और एक में अतीक था।

कोर्ट के बाहर कुछ लोग जूतों की माला लेकर पहुंचे थे। इनका कहना था कि अतीक ने बहुत लोगों को तंग किया है। अब हम उसे जूतों की माला पहनाना चाहते हैं।

कोर्ट में सिर्फ वकीलों की एंट्री

कोर्ट में जांच के बाद सिर्फ वकीलों को एंट्री दी गई। कोर्ट के आसपास आरएएफ और पीएसी तैनात की गई। आसपास के मोहल्ले में सादी वर्दी में पुलिसवाले तैनात थे।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमेश पाल का परिवार कोर्ट नहीं आया। सुरक्षा के मद्देनजर पत्नी जया पाल, मां शांति देवी समेत कोई रिश्तेदार नहीं पहुंचा। बताया जा रहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते ऐसा किया गया।

पहली बार मिली सजा

अतीक अहमद का 30-35 साल से प्रयागराज समेत आसपास के 8 जिलों में वर्चस्व रहा है। यूपी पुलिस के डोजियर के अनुसार, अतीक के गैंग (IS- 227) के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हैं। अभी कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं। इनमें NSA, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मुकदमे भी हैं। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। यानी 44 साल में अतीक पहली बार दोषी ठहराया गया है और उसे सजा मिली है।

(प्रयागराज से वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles