सागर। मध्यप्रदेश का सागर जिला बुंदेलखंड का एक अहम हिस्सा माना जाता है। जिले की आबादी का बड़ा हिस्सा मुफ़लिसी और अल्प संसाधनों में जीवन गुजारता है। वजह यह है कि, यहां रोजगार के साधन सीमित है। यहां का औद्योगिक विस्तार संकुचित है।
ऐसे में जिले की बहुतायत आबादी स्वास्थ व्यवस्थाओं के लिए जिला चिकित्सालय तिली पर आश्रित है। लेकिन, बीते कुछ दिनों से चर्चा है कि, जिला चिकित्सालय तिली को सागर के मेडिकल कॉलेज में विलय किया जाना है।
इस विलय के संबंध में एक आदेश भी मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। इस आदेश पर क्रमांक 1/4/1/0001/2024/1 और तारीख 27/09/2024 अंकित है।
इस आदेश में उल्लेख है कि, जिला अस्पताल सागर एवं बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध अस्पताल के विलय की स्वीकृति प्रदान की जाती है। आदेश में यह भी दर्ज़ है कि, जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों को चिकित्सा महाविद्यालय में समायोजित करने की स्वीकृति दी जाती है।
मगर, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में जिला चिकित्सालय के विलय के विरोध में एक जन सैलाब उमड़ चुका है। जिला चिकित्सालय का अस्तित्व बचाने के लिए कई समाजिक संगठन और राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रहे हैं।
जिला अस्पताल के विलय रोकने हेतु लिखे गए प्रार्थना पत्र
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में जिला अस्पताल के विलय को रोकने हेतु ओबीसी, अल्पसंख्यक एवं आदिवासी संगठनों के परिसंघ ने उप मुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य व उच्च शिक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा है।
इस पत्र में दिनांक 01/10/2024 दर्ज है। पत्र में वर्णित है कि, सागर जिले में 2006 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई। आज जिला चिकित्सालय सागर को मेडिकल कॉलेज में हस्तांतरित करने की कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है।
यह कार्यवाही अप्रत्यक्ष रूप से जिला चिकित्सालय को छीन रही है। यह कार्य सागर जिले की गरीब जनता के लिए न्याय संगत नहीं है।
जिला चिकित्सालय हस्तांतरण से स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होगी और स्वास्थ्य योजनाएं प्रभावित होगी। पत्र में आगे लिखा गया कि, जिला चिकित्सालय के भवन, भूमि, स्टॉफ को मेडिकल कॉलेज में हस्तांतरित किया जाना है जो जनहित में नहीं है।
मेडिकल कॉलेज में अभी तक ब्लड बैंक जैसी महत्वपूर्ण यूनिट का संचालन नहीं होता है, यह सुविधा मात्रा जिला चिकित्सालय सागर में है।
वहीं, दिनांक 18/10/2024 को एक पत्र मुख्यमंत्री के लिए संत रविदास वार्ड के पूर्व पार्षद चेतराम अहिरवार ने भी लिखा। इस पत्र में उल्लेख किया गया कि, समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि, मध्य प्रदेश के जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज खुले हैं, वहां जिला अस्पताल स्वतंत्र रूप से विधिवत संचालित है।
जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में मर्ज करने से आम जनता में असंतोष उत्पन्न होगा। पत्र में आगे जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में मर्जर करने की कार्रवाई स्थगित करने की अपील की गई।
जिला अस्पताल (तिली) सागर का मेडिकल कॉलेज में विलय रोकने हेतु जिला अधिवक्ता संग सागर ने भी मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन पत्र संभागीय आयुक्त सागर को सौंपा। इस ज्ञापन पर दिनांक 22/10/2024 दर्ज है।
इस पत्र का कुछ अंश कहता है कि, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में जिला चिकित्सालय का विलय होने से चिकित्सालय का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। गरीब जनता के लिए यह विलय रोकना अति आवश्यक है। जिला अधिवक्ता संघ विलय रोकने के संबंध में समर्थन करता है। साथ ही विलय रोकने का अनुरोध करता है।
जिला अस्पताल का विलय रोकने हेतु सीएम के नाम एक ज्ञापन दिनांक 19/11/2024 को नागरिक मंच के प्रतिनिधियों ने भी सौंपा। इस ज्ञापन पत्र के कुछ हिस्से में लिखा गया कि, यह जानकारी सामने आयी कि, मेडिकल कॉलेज में स्थान के अभाव से 100 सीटों की भर्ती नहीं हो पा रही।
जबकि, तथ्य यह है कि, मेडिकल कॉलेज में कई कमरे खाली हैं। इन कमरों में अतिरिक्त विद्यार्थियों की कक्षाएं लगाई जा सकती है। मेडिकल कॉलेज के लिए 50 एकड़ जमीन भी आवंटित है। ज्ञापन में आगे लिखा हुआ है कि, जिला अस्पताल पर प्रदेश सरकार लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।
पूर्व में मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट की याचिका पर यह शपथ पत्र दिया था कि, अस्पताल का विलय नहीं किया जायेगा। जिला चिकित्सालय जहां स्थित है, वह जगह लगभग शहर निवासियों के लिए सुविधाजनक है। इसमें प्रदेश सरकार ने मरीजों के परिजनों को रुकने के लिए आवास एवं दीनदयाल उपाध्याय रसोई की व्यवस्था की गई है।
ज्ञापन में यह उल्लिखित है कि सागर के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और जन प्रतिनिधि अस्पताल को विलय करने के खिलाफ हैं। रहली के वरिष्ठ भाजपा विधायक गोपाल भार्गव, बंडा विधायक, खुरई विधायक, देवरी विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत सभी ने यह माना है कि, अस्पताल का विलय नहीं होना चाहिए।
सीएम को एक पत्र अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस ट्रेड यूनियन (रजि.) ने भी लिखा है। इस पत्र के कुछ अंश में दर्ज़ किया गया है कि, सन् 1972 में जिला चिकित्सालय सागर का तिली में भवन निर्माण हुआ। चिकित्सालय भवन निर्माण हेतु सागर के दान दाताओं ने अपनी जमीन दान दी थी।
जिला अस्पताल सागर के रोगी कल्याण समिति में करोड़ों रुपए दान की राशि सागर की गरीब जनता की है। जिससे संस्था का मरीजों के हित में रख-रखाव होता रहा है। पत्र में इसके आगे लिखा है कि, जिला चिकित्सालय का मेडिकल कॉलेज में हस्तांतरण होने से सागर की जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जायेगीं।
वहीं, मेडिकल कॉलेज में हौच-पौच की स्थिति निर्मित होगी। अतः आपसे अपील है कि, जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज को पृथक-पृथक संचालित रखा जाए।
पूर्व में जिला चिकित्सालय को लेकर लिए गए निर्णय
संचालनालय स्वास्थ्य सेवा सतपुड़ा भवन भोपाल का एक पत्र क्रमांक सेल-4/2007/72 सागर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की संबद्धता की अनुमति का उल्लेख करता है। यह पत्र संचालक चिकित्सा शिक्षा भवन भोपाल के लिए लिखा गया।
पत्र पर 26/04/2007 दिनांक दर्ज़ है। पत्र में लिखा गया कि, सागर जिले के 300 शैय्या युक्त जिला अस्पताल तिली की प्रस्तावित सागर मेडिकल कॉलेज के साथ संबद्धता की अनुमति दी जाती है। आगे कुछ वर्ष पश्चात लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मध्य प्रदेश शासन भोपाल की तरफ से एक पत्र आता है।
पत्र पर तारीख 28/07/2009 का उल्लेख है। इस पत्र का विषय है, जिला चिकित्सालय सागर का मेडिकल कॉलेज सागर की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हस्तांतरण। इस पत्र में ज़िला चिकित्सालय हस्तांतरण से संबंधित कई पहलुओं का जिक्र किया गया।
अगस्त 2009 के तत्कालीन कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी (सागर) का एक पत्र भी हमारे सम्मुख आता है। इस पत्र में उल्लिखित किया गया कि, जिला चिकित्सालय के भवन एवं सम्पत्तियां अंतरण करने के लिए कार्यवाही की जाए।
जिला चिकित्सालय को लेकर हाई कोर्ट में लगाई गई याचिका
वर्ष 2009 में जतिन कुमार चोकसे, अनिल सिंह और अरविंद पटेल ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में एक याचिका दायर की। इस याचिका में जिला चिकित्सालय बंद करने पर आशंका जाहिर की गयी।
इस याचिका के बाद कोर्ट का आदेश आया कि, याचिकाकर्ताओं की शिकायत इस आशंका से संबंधित है कि, जिला चिकित्सालय को बंद करने की संभावना है। लेकिन, प्रतिवादियों की ओर से दलील दी गयी है कि, अस्पताल को बंद नहीं किया जा रहा है। वह चलता रहेगा। ऐसे में कोर्ट को इस फैसले पर कोई निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है।
इस मामले में जानकारों का क्या कहना है
जिला चिकित्सालय को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में मर्ज करने के संबंध में जनता से जुड़े बद्री प्रसाद जैन कहते हैं कि “सागर जैसे घने जनसंख्या वाले शहर में लोगों की आय के स्रोत बहुत सीमित है। यहां निम्न, मध्यवर्गीय आबादी ज्यादा है। ऐसे में गरीब लोगों को जिला अस्पताल के रहने से सुविधाएं बेहतर मिल जाती हैं।”
बद्री प्रसाद आगे बोलते हैं कि “जिला स्तर पर तीन तरह की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं हैं। पहले नंबर पर ब्लॉक स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार केंद्र। दूसरे नंबर पर जिला अस्पताल। इसके बाद उच्च स्तरीय इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज। इस त्रिस्तरीय स्वास्थ्य व्यवस्था को खंडित करने का कोई औचित्य नहीं है। इसको तोड़ा जा रहा है। तब यह दो स्तरीय बचेगी।”
बद्री आगे चेतावनी देते हुए बोलते हैं कि “यदि जिला चिकित्सालय का विलय मेडिकल कॉलेज में किया जाता है और जनता हित में कार्य नहीं किया जाता, तब हम एक जन आंदोलन शुरू करेंगे।”
आजाक्स के पूर्व जिलाध्यक्ष हीरालाल चौधरी इस मामले में कहते हैं कि “ज्यादातर सुविधाओं का विकेंद्रीकरण किया जाता है। अस्पताल इंसान के जीवन और मृत्यु के बीच का स्थान हैं। ऐसी स्वास्थ्य संस्थाओं को कोई भी सरकार बंद ना करे।
सागर जिले के चिकित्सालय को एक दूसरी संस्था (मेडिकल कॉलेज) में विलय ना करें। आउटसोर्स ना करें। सागर एक पिछड़ा जिला है। मेडिकल कॉलेज और ज़िला चिकित्सालय दोनों को पृथक-पृथक संचालित रखा जाए।”
वे आगे फ़रमाते हैं कि “मेडिकल कॉलेज एक चिकित्सा संस्था के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा संस्था भी है। यहां चिकित्सा से संबंधित अध्यापन का कार्य होता है। लेकिन, जिला चिकित्सालय में उप स्वास्थ्यकेंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल डिस्पेंसरी से मरीज रेफर होकर होकर आते हैं। यहां मरीजों की जांचे और उपचार होता है।”
हीरालाल इसके आगे व्यक्त करते हैं कि “जिला चिकित्सालय में कई करोड़ का निमार्ण कार्य किया जा रहा है। अगर, चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज में विलय ही करना था, तो ये करोड़ों का कार्य क्यों किया जा रहा है? पहले भी जिला चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज में मर्जर किया गया था।
लेकिन, इसके खिलाफ एक जन आक्रोश उमड़ा था। तब वर्ष 2018 में प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने समीक्षा कर मर्जर समाप्त किया था। ऐसे में जनहित को देखते हुए चिकित्सालय का विलय रोका जाए यह सरकार से हमारी अपील है।”
स्वास्थ्य मामलों से जुड़े और कार्य करने वाले सागर के हाफ़िज़ हारून कहते हैं कि “ज़िला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज दोनों के अलग-अलग होने के बाद भी मरीजों की बहुत भीड़ एकत्रित हो जाती है।
अगर जिला चिकित्सालय का मेडिकल कॉलेज में विलय किया जाता है, तब यहां स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी हो सकती है। वहीं, मरीजों की भीड़ से आस- पास की निजी अस्पतालें लूट-पाट करेंगी।”
हाफ़िज़ आगे बयां करतें हैं कि “आज स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा गरीबों से पैसा लूटा जा रहा। आज जिस तरह से सरकारी संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा है, उसको देखकर यह भी लगता है कि, कहीं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का रुख़ भी निजीकरण की ओर ना होने लगे।”
जिला चिकित्सालय मर्ज होने के मामले को हमने देश के प्रख्यात समाजवादी और गांधीवादी चिंतक रघु ठाकुर के सामने भी रखा। तब वह बयां करते हैं कि “जिला चिकित्सालय सामान्य बीमारियों और मेडिकल कॉलेज गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए होता है।
मेडिकल कॉलेज की पूर्ति जिला चिकित्सालय नहीं कर सकता और ज़िला चिकित्सालय की पूर्ति मेडिकल कॉलेज नहीं कर सकता। इसलिए हम चाहते दोनों अलग-अलग संचालित रहें। प्रदेश में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं। उनमें केवल सागर को छोड़कर कहीं भी जिला चिकित्सालय का विलय नहीं किया जा रहा।”
रघु ठाकुर आगे जिक्र करते हैं कि “मेडिकल कॉलेज…जिला चिकित्सालय की जमीन के ऊपर ही बना है। हम चाहते हैं मेडिकल कॉलेज की भी उन्नति हो। मेडिकल बनवाने के लिए जो आंदोलन हुए उसमें हमने आरंभ से भाग लिया। कई आंदोलन हुए, लोग जेलों में भी गए। तब यह मेडिकल कॉलेज बना।
जब मेडिकल कॉलेज को एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की मान्यता नहीं मिल रही थी, तब हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हमारी याचिका के बाद कोर्ट ने आदेश दिया था कि, एमसीआई की अनुमति दी जाए।
इसलिए मेडिकल कॉलेज का हमसे ज्यादा शुभचिंतक कौन हो सकता है। लेकिन, मेडिकल कॉलेज की चिंता मतलब ये नहीं कि, जिला चिकित्सालय की हत्या कर दी जाए। मैं चाहता हूं दोनों संस्थाएं अलग रहें, फले-फूले और अच्छी तरक्की करें।”
इसके आगे रघु ठाकुर बोलते हैं कि “हम जिला चिकित्सालय को खत्म नहीं करने देंगें। जिला चिकित्सालय को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जायेगी। सारे संगठन, पार्टियां जिला चिकित्सालय का विलय रोकने के लिए एकमत हैं।”
इस मामले पर महापौर का बयान
जिला चिकित्सालय विलय के मामले को लेकर हमने सागर की प्रथम नागरिक महापौर संगीता सुशील तिवारी से भी बात की। तब उन्होंने चिकित्सालय मामले से संबंधित बयान हमें भेजा है। महापौर संगीता सुशील तिवारी द्वारा हमें भेजे गए बयान में उन्होंने कहा है कि “जिला अस्पताल सागर यानी तिली अस्पताल की अपनी एक पहचान है।
जिले के प्रत्येक व्यक्ति के लिए यहां इलाज सुलभ है। उनकी पहुंच में यह स्थान है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में जिला अस्पताल का मर्जर बिल्कुल गलत है। यह काम पूर्व में भी किया जा चुका है, जिसके दुष्परिणाम सामने आने के बाद मर्जर समाप्त करना पड़ा।
ऐसी ही स्थिति दोबारा न बने, लोग परेशान न हों इसलिए जिला अस्पताल को यथावत रखा जाये और मेडिकल कॉलेज का विस्तार नये सिरे से नई जगह पर किया जाये।”
इसके आगे बयान में उनका कहना है कि “बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज को संपूर्ण और ठीक तरीके से विकसित करने के लिए लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में नये सिरे से निर्मित किया जाना चाहिए। वर्तमान स्थल पर बीएमसी के विकास के लिए पर्याप्त जगह नहीं है।
ऐसे में जिला अस्पताल का परिसर बीएमसी को दिये जाने के बाद भी मेडिकल कॉलेज को ठीक तरह से विकसित नहीं किया जा सकता। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत्त 300 करोड़ रुपये की राशि पिछले तीन वर्ष से रखी है उसका मेडिकल कॉलेज के विकास के लिए कोई उपयोग नहीं हो पाया।
उसका उपयोग भी नई जगह पर ही हो। मेडिकल कॉलेज की वर्तमान जगह को पीपीपी मोड पर प्राइवेट संस्थान को दे दी जाये तो वह उस परिसर को निजी उपयोग के लिए ठीक से विकसित कर देगा साथ ही नये परिसर में बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज को भी तैयार किया जा सकेगा।
बेहतर यही है कि जिला चिकित्सालय तिली को वर्तमान परिसर में ही और अधिक सुविधायुक्त बनाया जाये तथा मेडिकल कॉलेज के लिए नये परिसर की तलाश कर एक ही कैंपस में चिकित्सा सेवा संबंधी सभी संकाय संचालित करने की व्यवस्था की जाये।”
महापौर ने आगे चिकित्सालय के संबंध में अपने बयान में कहा कि “माननीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री, उपमुख्यमंत्री और सागर के प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला से भी पिछले प्रवास के दौरान चर्चा की थी। साथ ही उन्हें यह भी बताया था कि जनभावनाएं मर्जर के खिलाफ हैं।
जल्दी ही नगर निगम के पार्षदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ इसी मांग को लेकर हम एक बार फिर से माननीय उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्लाजी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी से भी मिलेंगे।”
(सतीश भारतीय मध्यप्रदेश के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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