भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने खुलासा किया है कि उसके पास नवंबर 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और अप्रैल-मई 2024 में हुए पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान जारी किए गए कुल निर्वाचन क्षेत्र और खंडवार पूर्व-क्रमांकित पर्चियों की जानकारी का अभाव है।
यह स्वीकारोक्ति राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल के निदेशक वेंकटेश नायक द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अनुरोध के जवाब में आई है।
नायक ने बताया कि पीठासीन अधिकारियों के लिए चुनाव आयोग की पुस्तिका के अनुसार, अधिकारियों को निर्वाचन क्षेत्रवार जारी की गई पूर्व-क्रमांकित पर्चियों की कुल संख्या का रिकॉर्ड रखना चाहिए था।
हालांकि, चुनाव आयोग ने दावा किया कि यह जानकारी उनके रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा, “आपको सूचित किया जाता है कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी आयोग में उपलब्ध नहीं है।”
महाराष्ट्र में चुनावी धांधली की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर पीठासीन अधिकारियों द्वारा जारी निर्वाचन क्षेत्र और खंड-वार पूर्व-क्रमांकित पर्चियों की कुल संख्या के बारे में चुनाव आयोग के पास कोई जानकारी नहीं है।
यह बात खुद केंद्रीय चुनाव आयोग या ईसीआई ने एक आरटीआई के जवाब में स्वीकार की है। राज्य में विधानसभा चुनाव नवंबर 2024 और लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2024 में हुए थे।
ईसीआई का बयान कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के निदेशक वेंकटेश नायक द्वारा लगाई गई आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जवाब में आया। वेंकटेश की आरटीआई में कहा गया था कि ईसीआई ने पीठासीन अधिकारियों के लिए जो हैंडबुक अपनी वेबसाइट पर 2023 में प्रकाशित की है उसमें इन पर्चियों का जिक्र किया गया है।
ईसीआई हैंडबुक के नियमों में साइट पर प्रकाशित पीठासीन अधिकारियों के लिए हैंडबुक पैराग्राफ 1.12 और पैराग्राफ 7.1.2 में इसे चुनाव आयोग ने दर्ज किया है।
ईसीआई वेबसाइट पर लिखा हुआ है कि पीठासीन अधिकारियों को विधानसभा और लोकसभा दोनों के दौरान उनके द्वारा जारी पूर्व-क्रमांकित पर्चियों की निर्वाचन क्षेत्र-वार कुल संख्या के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
आरटीआई लगाने वाले नायक ने इस बात पर जोर दिया कि ईसीआई की प्रतिक्रिया “आश्चर्यजनक है”, क्योंकि सबसे बड़ा चुनाव प्रबंधन निकाय होने के नाते आयोग के पास चुनाव कराने के लिए संवैधानिक अधिकार और वैधानिक शक्तियां दोनों मौजूद हैं।
नायक का कहना है कि “ईसीआई का चुनावी मशीनरी पर पूर्ण नियंत्रण है। विधानसभा या लोकसभा के क्षेत्र स्तर से सीईओ, आरओ और चुनाव पर्यवेक्षकों के जरिये निर्वाचन सदन तक सूचनाएं आती-जाती हैं। यह कल्पना से परे है कि जो जानकारी मैंने मांगी थी वह ईसीआई को सूचित नहीं की गई है।
भले ही कोई तर्क के लिए यह मान ले कि उनका जवाब सही है, लेकिन आरटीआई अधिनियम उन्हें उस स्रोत से जानकारी हासिल करने का अधिकार देता है जहां यह उपलब्ध है। मात्र एक बटन के क्लिक पर चुनाव आयोग ऐसी जानकारी किसी भी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र की हासिल कर सकता है।”
ईसीआई हैंडबुक 2023 के पैराग्राफ 7.1.2 में कहा गया है कि “मतदान शुरू होने के तय समय से कुछ मिनट पहले, मतदान केंद्र की सीमा के भीतर उन सभी लोगों के लिए घोषणा करें कि जो मतदान करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उन्हें बारी-बारी से अपना वोट डालने की अनुमति दी जाएगी।
ऐसे सभी निर्वाचकों को आपके द्वारा पूर्ण रूप से हस्ताक्षरित पर्चियां वितरित करें, जिन्हें उस समय कतार में खड़े निर्वाचकों की संख्या के अनुसार क्रम संख्या 1 से आगे क्रमांकित किया जाना चाहिए।
हैंडबुक में इसी नियम में आगे कहा गया है- “अंतिम मतदाता को पर्ची नंबर 1 दिया जाना चाहिए, और उसके सामने अगले मतदाता को पर्ची नंबर 2 प्राप्त होना चाहिए, और इसी तरह आगे तक यह सिलसिला जाता है। यानी तब तक कि जब तक ये सभी मतदाता अपना वोट नहीं डाल देते।
यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस या अन्य कर्मचारियों को तैनात करें कि तय समापन समय के बाद किसी को भी कतार में शामिल होने की अनुमति न दी जाए। इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है यदि ऐसे सभी मतदाताओं को पर्चियों का वितरण कतार में खड़े अंतिम मतदाता से शुरू किया जाए और पीछे की ओर इसका सिरा बढ़ाया जाए। यानी पर्ची नंबर 1 से शुरू होकर अंतिम पर्ची के नंबर तक।”
हैंडबुक के एनक्सचर 52 में बताया गया है कि पीठासीन अधिकारी की डायरी में मतदान केंद्र के बारे में ऐसे तमाम विवरण होने चाहिए, जिसमें आपूर्ति की गई और उपयोग की गई सामग्री के बारे में जानकारी हो।
यह भी दर्ज हो कि आपूर्ति की गई और उपयोग की गई ईवीएम, मतदान एजेंटों की संख्या, मतदाता मतदान विवरण, कितने लोगों को ‘टेंडर वोट’ डालने की अनुमति दी गई थी’, वोटों की कुल संख्या, तय समय के स्लॉट के दौरान मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या:
सुबह 7-9 बजे, सुबह 9-11 बजे, सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक, दोपहर 1-3 बजे तक, और 3-5 बजे तक डाले गये वोट, डायरी में मतदान समय समाप्त होने पर कतार में खड़े मतदाताओं को जारी की गई पर्चियों की संख्या भी दर्ज होनी चाहिए।
यह जानकारी सेक्टर अधिकारी की रिपोर्ट में भी दर्ज की जाती है, जिसका प्रारूप सेक्टर अधिकारी पुस्तिका के परिशिष्ट 6 में दिया गया है।
ईसीआई के आंकड़ों के अनुसार, 20 नवंबर 2024 को हुए राज्य चुनावों के लिए पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 97,793,350 (लगभग 97.80 करोड़) थी, जिसमें 64,592,508 (लगभग 64.60 करोड़) व्यक्तियों ने वोट डाले। इसकी तुलना में, लोकसभा चुनाव के दौरान, पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 92,890,445 (लगभग 92.90 करोड़) थी, और कुल वोट 56,969,710 (56.97 करोड़ लगभग) थे।
इन आंकड़ों के आधार पर, राज्य में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 50 लाख (49,02,905) बढ़ गई, जबकि डाले गए वोटों की संख्या 75 लाख (76,22,7980) से अधिक हो गई।
कांग्रेस पार्टी ने ईसीआई के पास शिकायत दर्ज की थी, लेकिन बाद में आरोपों को खारिज कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि जोड़ वैध थे। पार्टी ने मतदान के दिन महाराष्ट्र में मतदान में वृद्धि पर भी चिंता जताई थी और ईसीआई से स्पष्टीकरण मांगा था।
ईसीआई को लिखे एक पत्र में, कांग्रेस ने मतदान के दिन शाम 5 बजे और रात 11.30 बजे ईसीआई द्वारा घोषित अंतिम मतदान प्रतिशत के बीच मतदान प्रतिशत में “वृद्धि” पर प्रकाश डाला। कांग्रेस ने यह भी बताया कि, जिन 50 विधानसभा सीटों पर औसतन 50,000 मतदाताओं की वृद्धि हुई, उनमें से सत्तारूढ़ महायुति ने 47 पर जीत हासिल की।
15 जनवरी को नए कांग्रेस कार्यालय के उद्घाटन के दिन, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दोहराया कि उनकी पार्टी चुनाव आयोग के चुनाव कराने के तरीके से असहज थी।
गांधी ने कहा, ”मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच अचानक बड़ी संख्या में नए मतदाताओं, लगभग एक करोड़, का सामने आना समस्याग्रस्त है।”
दिसंबर में, ईसीआई ने स्पष्ट किया कि शाम 5 बजे से रात 11.45 बजे तक मतदान प्रतिशत में वृद्धि “सामान्य” थी। महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम ने बताया कि मतदान के अंतिम घंटे में मतदान प्रतिशत में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विधानसभा चुनाव कोई उछाल नहीं था, जैसा कि विपक्ष ने दावा किया था, बल्कि एक “औसत” प्रक्रिया थी।
हालांकि, ईसीआई ने नायक द्वारा पिछले साल दायर की गई कई आरटीआई पर कार्रवाई करने से बार-बार इनकार किया है। उन्होंने बताया कि न केवल वितरित किए गए टोकन के बारे में डेटा का सार्वजनिक खुलासा, बल्कि पीठासीन अधिकारियों और सेक्टर अधिकारियों द्वारा दर्ज किए गए दो घंटे के मतदाता मतदान के आंकड़े भी यह निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि ईसीआई के अंतिम मतदाता मतदान आंकड़े सटीक हैं या नहीं।
आरटीआई एक्टिविस्ट नायक का कहना है कि “केवल फॉर्म 17सी डेटा का खुलासा करने से मतदान के दिन मतदान प्रतिशत के रुझान को स्पष्ट करने में मदद नहीं मिलेगी। पारदर्शिता के पैरोकारों को विस्तृत डेटा बताने के लिए दबाव डालना चाहिए।
ईसीआई मतदान समाप्ति से पहले दो घंटे के मतदाता मतदान डेटा और वितरित टोकन की संख्या का खुलासा करके खुद पर एक एहसान कर सकता है। इससे अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकड़ों के बारे में सभी संदेह दूर करने में मदद मिलेगी।”
नायक की बात में दम है, अन्यथा केंद्रीय चुनाव आयोग संदेह के दायरे में हमेशा रहेगा। उस पर लग रहे धांधली के आरोप बरकरार रहेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का हर सवाल को शायरी में जवाब देकर उड़ा देना देश की जनता को संतुष्ट नहीं कर पायेगा।
चुनाव आयोग के जवाब को लेकर विवाद इस तथ्य से और भी जटिल हो गया है कि कांग्रेस पार्टी ने मतदान के दिन महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के बारे में चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई थी। चुनाव आयोग ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि इसमें की गई जोड़-तोड़ वैध थी।
हालांकि, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपनी पार्टी की चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच बड़ी संख्या में नए मतदाताओं का जुड़ना “समस्याग्रस्त” है।
15 जनवरी को नए कांग्रेस कार्यालय का उद्घाटन करते हुए गांधी ने कहा, “मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा था कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच अचानक बड़ी संख्या में नए मतदाता, लगभग एक करोड़, सामने आए हैं, जो समस्याजनक है।”
उल्लेखनीय बात यह है कि विस्तृत आंकड़ों के अभाव में समग्र मतों की गणना की सटीकता को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करना तथा जनता की चिंताओं का समाधान करना कठिन हो जाता है।
(जे पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)
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