Friday, March 29, 2024

किसान आंदोलन को समर्पित रहा महेंद्र सिंह का शहादत दिवस, श्रद्धांजलि सभा में बिहार के सभी माले विधायक रहे मौजूद

झारखंड। सीपीआई (एमएल) के दिवंगत नेता कॉमरेड महेंद्र सिंह का 16वां शहादत दिवस किसानों के खिलाफ लाए गए तीनों काले कानूनों को रद्द करने की मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन को समर्पित रहा। पूरे झारखंड में अलग-अलग जगहों पर भाकपा माले के अलावा अन्य संगठनों और लोगों ने भी कॉमरेड महेंद्र सिंह की शहादत दिवस में शिरकत की। शहादत दिवस कार्यक्रम के तहत महेंद्र सिंह के गांव खंभरा में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद एक छोटी सभा की गई तथा उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया गया।

वहीं बगोदर में पार्टी कार्यालय पर महेंद्र सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद एक छोटी सभा हुई और उसके बाद काले कानूनों को रद्द करने की मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में मानव श्रृंखला बनाई गई। मानव श्रृंखला में गिरिडीह जिले के बगोदर, सरिया, बिरनी, राजधनवार, जमुआ सहित तमाम प्रखंडों और कस्बों के लोग शामिल थे। सभी लोग तीनों काले कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे थे और किसान आंदोलन के पक्ष में नारे लगा रहे थे। मानव श्रृंखला में शामिल लोगों के हाथों में बैनर-पोस्टर थे, जिसमें किसानों के खिलाफ लाए गए तीनों काले कानूनों को रद्द करने की मांगों के साथ मोदी सरकार की तानाशाही के खिलाफ नारे लिखे गये थे। मानव श्रृंखला कोडरमा से गांडेय तक 50 किलोमीटर लंबी थी।

कार्यक्रम में बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह समेत भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य, निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी, चक्रधरपुर के पूर्व विधायक बहादुर उरांव और बिहार के विधायक मनोज मंजिल और रामबली सिंह समेत सभी नव निर्वाचित 12 विधायक शामिल हुए।

वहीं राजधानी रांची में अल्बर्ट एक्का चौक पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी। इस मौके पर महेंद्र सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण करके दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई। 

इस अवसर पर ‘खेतों में खलिहानों में, जनता के अरमानों में, कामरेड महेंद्र सिंह तुम ज़िन्दा हो, काला कृषि कानून वापस लो, झारखंड नव निर्माण के वास्ते कामरेड महेंद्र सिंह के रास्ते,’ आदि नारों के साथ जननायक महेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए सीपीआई एमएल की केंद्रीय कमेटी के सदस्य शुभेंदु सेन ने कहा कि राज्य और समाज का लोकतांत्रिकरण महेंद्र सिंह का मुख्य राजनीतिक लक्ष्य था। कॉमरेड महेंद्र सिंह जन सरोकार से जुड़े मुद्दों की मुखर आवाज़ थे। उनकी हत्या राज्य और देश के राजनीतिक अपराधीकरण का सबसे मजबूत उदाहरण है। जिसमें 16 वर्ष बीत जाने के बावजूद हत्यारे पकड़ से बाहर हैं। आज के दौर में सत्ता जनता के सवालों से कोसों दूर है। महेन्द्र सिंह के रास्ते ही झारखंड का नव निर्माण संभव है।

सामाजिक कार्यकर्ता अलोका कुजूर ने कहा कि महेन्द्र सिंह झारखंड के जल जंगल जमीन खनिज के दोहन के ख़िलाफ़ संघर्षरत थे। वे झारखंड के ग्रामीण गरीबों के विकास के लिए पंचायती व्यवस्था की मजबूती जरुरी शर्त मानते थे। उन्होंने झारखंड में पंचायत चुनाव नहीं होने से पहले ग्रामसभा का चुनाव कराकर पंचायतों को उनका अधिकार दिलाया था।

झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा के राजू महतो ने कहा कि झारखंड में सत्तासीन सभी सरकारों ने राज्य में लूट का कीर्तिमान स्थापित किया है। झारखंड संघर्षों से मिला है, इसे कॉरपोरेट लूट का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। मासस नेता सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया कृषि कानून पूरी तरह से संविधान विरोधी है। इसे हर हालत में केन्द्र को वापस लेना पड़ेगा। माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि जन और राजनीति के बेमिसाल मॉडल थे कामरेड महेंद्र सिंह जिन्होंने कमीशन कमाई और चढ़ावे की राजनीति से दूर जनता के प्रति जीवटता का प्रमाण प्रस्तुत किया है। देश और राज्य की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों के लिए महेन्द्र सिंह हमेशा याद आयेंगे। वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

भाकपा के जिला सचिव अजय सिंह ने कहा कि जन संघर्षों की बुलंद आवाज थे कामरेड महेंद्र सिंह। इनकी हत्या राज्य और जनता के लिए अपूर्णीय क्षति है।

श्रद्धांजलि सभा को जगरनाथ उरांव, आकाश रंजन, नंदिता भट्टाचार्य, एनामुल हक, भीम साहू, विश्वनाथ पंडित, सामाजिक कार्यकर्ता कुमकुम, आयती तिर्की,  तरुण कुमार, अनिल कुमार सिंह, छात्र नेता पॉवेल कुमार, तरुण कुमार, नौरिन अख़्तर, पुष्कर महतो आदि ने सम्बोधित किया। बोकारो जिले के सभी क्षत्रों में माले समर्थकों ने बड़े जोशो-खरोश के साथ शहीद कामरेड महेंद्र सिंह का 16वां शहादत दिवस मनाया।

बता दें कि 16 जनवरी, 2005 को माले के तत्कालीन विधायक कॉमरेड महेंद्र सिंह की हत्या उस वक्त कर दी गई थी जब वे बगोदर से एक चुनवी सभा करके लौट रहे थे। दुर्गीधवैया गांव के समीप महेंद्र के साथ उनके लोग खड़े थे। उसी वक्त मोटर साइकिल पर सवार होकर दो युवक आये और हवाई फायर की। फायरिंग होते देख लोग भागने लगे। हथियार बंद दोनों युवकों ने पूछा कि कौन है महेंद्र सिंह। इस पर महेंद्र ने आगे बढ़कर कहा कि मैं हूं महेंद्र सिंह, क्या बात है? इतना सुनते ही दोनों युवकों ने राइफल से महेंद्र को गोली मार दी।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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