छत्तीसगढ़ः मीडियाकर्मियों ने मार्च निकालकर मांगा न्याय, कहा- पत्रकारों की पिटाई करने वालों को बचा रही है सरकार

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छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले का मामला बड़ा मुद्दा बन गया है। न्याय की मांग को लेकर रायपुर में रविवार को ‘पत्रकार न्याय यात्रा’ निकाली गई। इसमें सिर्फ छत्तीसगढ़ के पत्रकार ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और ओडिशा के मीडियाकर्मी शामिल हुए। बाद में पत्रकारों ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। इस बीच कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मामले में हस्तक्षेप करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

रायपुर की सड़कों पर रविवार को पत्रकार एकता जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे। कांकेर में पत्रकारों पर हुए हमले के खिलाफ शहर में पत्रकार न्याय यात्रा निकाली गई थी। धरना स्थल से होती हुई यह यात्रा राजभवन की ओर निकली। आकाशवाणी के पास पुलिस ने पत्रकारों को रोक लिया। इसके बाद पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलने राजभवन पहुंचा। राज्यपाल ने पत्रकारों की बात सुनकर मामले में दोषियों पर कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने पिछले नौ दिनों से जारी पत्रकार कमल शुक्ला के अनशन को खत्म करने का आग्रह किया। इसे स्वीकारते हुए कमल शुक्ला की बेटी ने जूस पिला कर उनका अनशन तुड़वाया।

आप निडर होकर काम करें
राज्यपाल ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। आप सभी निडर होकर काम करें और जनसमस्याओं को सामने लाएं। राज्यपाल ने कहा कि पत्रकारों के द्वारा सुदूर एवं संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य कर शासन के समक्ष जिस प्रकार जनसमस्याओं को सामने लाया जाता है, वह सराहनीय है। साथ ही मीडिया के माध्यम से जनता तक शासन की कल्याणकारी नीतियां भी पहुंचती हैं। इस प्रकार मीडिया शासन और जनता के मध्य सेतु की भूमिका निभाते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि आप लोगों के साथ न्याय होगा। कांकेर में पत्रकारों के साथ जो घटना घटित हुई है, इस संबंध में शासन से रिपोर्ट मंगाकर न्यायोचित और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को कड़ा से कड़ा दंड दिलाया जाएगा। राज्यपाल से मिले सकारात्मक आश्वासन के बाद फिलहाल पत्रकारों का आंदोलन स्थगित हो गया है।

करीब 14 दिन पहले कांग्रेस नेताओं ने सतीश यादव और कमल शुक्ला को थाने के सामने पीट दिया था। इस मामले में सरकार ने अब कांकेर थाना के प्रभारी को हटाया है, पुलिस अधिकारियों की एसआईटी भी गठित की गई है।

अनशन तोड़ने के बाद कमल शुक्ला ने सभी साथियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निर्भीक, जनपक्षीय पत्रकारिता के संघर्ष में साथ देकर इस आंदोलन को खड़ा किया। उन्होंने कहा कि उन पत्रकारों का हमेशा आभारी रहूंगा जो कभी पहले पत्रकार हुआ करते थे और अब दरबारी होने की ईमानदारीपूर्वक जिम्मेदारी निभाते हुए इस आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश पूरी मेहनत और ईमानदारी से करते रहे, जिसकी वजह से आज यह आंदोलन सफल हुआ।

उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व राहुल गांधी को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इच्छा प्रकट की थी कि उन्हें देश में फ्री प्रेस चाहिए और इसी इच्छा के तहत जब उन्हें ध्यान दिलाया गया कि एक कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की आवाज को दबाया जा रहा है तो उन्होंने नौ अक्तूबर को प्रदेश के मुखिया सहित तीन प्रमुख मंत्रियों को फोन कर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।

उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव जी का भी आभार जताया, जिन्होंने बड़प्पन के साथ स्वीकार किया कि मेरे साथ गलत हुआ और इस बात के लिए उन्होंने अपनी ओर से मुझसे माफी मांगी। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी जी ने इस प्रकरण पर उनसे जानकारी मांगी है, जिसे वे अपने लिए आदेश और निर्देश की तरह लेते हैं। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि मेरे साथ हुए अन्याय की जांच होगी और दोषियों को दंडित करने के लिए उनकी सरकार पूरा प्रयास करेगी।

कमल ने कहा कि प्रदेश की सरकार के मुखिया ने शुरू से अब तक जो रवैया दिखाया है वह साफ इंगित करता है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार एक तानाशाह के हाथ में चली गई है। उन्होंने अभी तक पूरी कोशिश की कि घटना के आरोपियों को बचाया जाए और घटना को छुपाया जाए, इसके लिए तमाम हथकंडे अपनाने की कोशिश की गई। गंदी से गंदी कूटनीति और राजनीति की गई। यह न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि प्रदेश की जनता के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं।

(जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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