Saturday, April 20, 2024

रेल, बस के बावजूद हज़ारों प्रवासी पैदल नाप रहे हैं अपने घरों की दूरी, मौत और सड़क पर प्रसव बना जीवन का हिस्सा

रायपुर। ट्रेन और बस चलाने के सरकारी दावों के बीच हज़ारों किलोमीटर का सफ़र करते हुए मजदूर अब भी पैदल चलने को विवष हैं। पैदल सफ़र करते हुए अपने परिवार के साथ तेलंगाना से छत्तीसगढ़ आ रही एक गर्भवती महिला को रास्ते में सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की रहने वाली अनीता गर्भवती थी। वह परिवार के साथ सोमवार रात को करीब 9 बजे एनएच- 44 से होते हुए तेलंगाना से छत्तीसगढ़ पैदल अपने गांव जाने के लिए निकली। तभी रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। यह घटना तेलंगाना के मेडक जिले के नरसिंगी मंडल के जप्ती शिवनुर गांव में मंगलवार सुबह करीब 4 बजे की है। 

घटना के बारे में जानने के बाद, स्थानीय सब-इंस्पेक्टर राजेश ने प्रवासी मजदूरों की मदद करते हुए मां-बच्चे को एक पुलिस वाहन से हाइवे से 20 किमी पर स्थित सरकारी अस्पताल पहुंचाया। मां और बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं, कुछ दिनों बाद उन्हें उनके घर पहुंचा दिया जाएगा।

वहीं एक अन्य मामले में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला अन्तर्गरत गर्भवती पत्नी के साथ युवक पैदल ही हैदराबाद से धमतरी के लिए निकल पड़ा, चार दिन बाद धमतरी मंगलवार को पहुंचा। 

बताया गया कि धमतरी जिले के ग्राम गंगरेल क्षेत्र का एक युवक अपनी पत्नी के साथ चार माह पहले हैदराबाद के चेरकुपल्ली क्षेत्र में मजदूरी करने के लिए गया था। मगर लॉकडाउन में काम बंद हो गया तो वह भी वहीं फंस गया। वापस आने का प्रयास किया मगर सफल नहीं हो पाया, काम न होने के कारण पैसे भी खत्म हो गए थे। अब उसके पास कोई उपाय भी नहीं था इसलिए वह पैदल ही अपनी गर्भवती पत्नी एवं अन्य जिले के 6 मजदूरों के साथ वापस आने की योजना बना ली, बल्कि वहां से वे लोग एक मई को पैदल ही निकल पड़े थे। रास्ते में कुछ जगह लिफ्ट ले-लेकर वह नागपुर तक पहुंचे। जहां उन्हें कैम्प में रखकर जांच की गई थी। उसके बाद अगली सुबह वे लोग फिर वहां से पैदल निकल गये। फिर से लिफ्ट लेते हुए वे किसी तरह रायपुर तक पहुंचे। उसके बाद अन्य मजदूर अपनी-अपनी राह में चले गए और यह युवक अपनी पत्नी के साथ धमतरी जिला अस्पताल पहुंचा। जहां चेकअप के बाद उसे व उसकी पत्नी को क्वारंटाइन किया गया है।

“कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन है। जिससे सबसे ज्यादा गरीबों और प्रवासी मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है।”

वहीं एक अन्य घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सामने आ रही है जहां महाराष्ट्र से झारखंड पैदल जाते हुए एक मजदूर बिलासपुर में बेहोश होकर गिर गया था, उसकी सिम्स अस्पताल में मौत हो गई। उसके कोरोना संक्रमित नहीं पाए जाने की रिपोर्ट मिलने के बाद कल सुबह एक सामाजिक संस्था की मदद से बिलासपुर में ही अंत्येष्टि कर दी गई।

चालीस बरस के रवि मुंडा को बेहोशी की हालत में 3 तारीख की रात को सिम्स में भर्ती कराया गया था, और 4 की सुबह वह मर गया। झारखंड के सरायकेला का रहने वाला रवि नागपुर से पैदल चले आ रहा था। कोरोना जांच में वह निगेटिव निकला है। 

एकतरफा मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री जी के सिस्टम ने पूरे रास्ते कहीं भी इस गर्भवती महिला की सुध नहीं ली। अनीता के साथ हुई इस घटना ने पूरे सरकारी तंत्र की पोल खोल कर रख दी है।

मानव अधिकार कार्यकर्ता और वकील प्रियंका शुक्ला ने बताया कि ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में भी सामने आया था। उन्होंने बताया कि राजधानी रायपुर से 7 माह की एक गर्भवती महिला पैदल चलते हुए झारखंड के लिए निकली थी जिसे पूरे छत्तीसगढ़ में कहीं भी नहीं रोका गया ना ही कोई सुविधा दी गई। वो तो गनीमत है कि सड़क में उसका प्रसव नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने अन्य जगहों में फंसे अपने मजदूरों को सुविधा दिलाने के लिए अन्य राज्य सरकारों के साथ अब तक कोई कारगर संवाद स्थापित क्यों नहीं किया है?

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।) 

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