ग्राउंड रिपोर्ट: जो छात्रावास कभी हुआ करता था प्रतिभावान छात्रों से गुलजार, आज बना हुआ है चारागाह

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मिर्जापुर। खंडहर में तब्दील हो चुका विशालकाय भवन, सिसकती जर्जर दरो-दीवार, दीवारों पर उग आए पेड़-पौधे। यह तस्वीर है प्रतिभावान छात्रों से गुलजार रहने वाले ‘प्रतिभावान छात्रावास’ की जो अब नशेड़ियों और जुआड़ियो का आरामगाह बना हुआ है। इस छात्रावास में दूर से ही कोई फटकना नहीं चाहता। देखभाल का जिम्मा संभालने वाले सरकारी मुलाजिमों ने भी ऐसा मुंह मोड़ लिया है कि वह इसका नाम लेने मात्र से ही कन्नी काट अपनी जवाबदेही से बचना चाहते हैं।

यह बदहाली भरा दृश्य मिर्जापुर जिला मुख्यालय स्थित उस छात्रावास का है, जहां करीब एक दशक पहले तक गरीब, दलित और पिछड़े समुदाय के प्रतिभावान छात्रों का हुजूम नजर आया करता था। आसपास का वातावरण भी छात्रों के पठन-पाठन के स्वर से गुंजायमान हुआ करता था। अब इसे उपेक्षा की मार कहें या बेरूखी, लेकिन रख-रखाव के अभाव में जर्जर होती बिल्डिंग की दशा देखकर बरबस ही सरकारी उपेक्षा, मुलाजिमों और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी पर रोना आता है।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) के ठीक सामने मिर्जापुर, सोनभद्र व भदोही व आसपास के जनपदों के गरीब, दलित, पिछड़े समुदाय के प्रतिभावान छात्रों के बेहतर पठन-पाठन की सुविधा के लिए लाखों रुपये की लागत से छात्रावास की विशाल भव्य इमारत खड़ी की गई थी।

जर्जर ‘प्रतिभावान छात्रावास’

एक समय यह छात्रावास सैकड़ों छात्रों से गुलजार रहा करता था, लेकिन सरकारी मुलाजिमों से लेकर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा और अनदेखी का शिकार होकर यह जहां अपनी उपयोगिता खोने लगा, वहीं इमारत भी रख-रखाव के अभाव में जर्जर होती गई। जिसका असर यह हुआ कि प्रतिभावान छात्रों का यहां से पलायन होने लगा। छात्रों के पलायन का दूसरा पहलू यह भी रहा है कि सुरक्षा का घोर अभाव होने के कारण यहां नशेड़ी और जुआड़ियों का जमघट लगने लगा था।

स्थानीय निवासी आलोक दुबे ने बताया कि यहां स्कॉलरशिप वाले छात्र रहा करते थे, लेकिन छात्रावास पिछले कई सालों से बंद पड़ा है। अब यह नशे का अड्डा बन चुका है। छात्रावास की पूरी बिल्डिंग में दरारें पड़ गई हैं। यह कब धराशाई हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है।

आलोक दुबे का कहना है कि यदि इस छात्रावास को सही करा दिया जाए तो आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि प्रतिभावान छात्र कम पैसों में छात्रावास लेकर पढ़ाई कर सकेगें।

छात्रावास की जर्जर होती इमारत

छात्रावास भवन की बदहाली पर काफी कुरेदने पर मिर्जापुर के जिला विद्यालय निरीक्षक अमरनाथ सिंह बताते हैं कि “वर्ष 2010 से यह छात्रावास बंद पड़ा हुआ है। पहले सोनभद्र, भदोही, जौनपुर जनपदों के साथ मिर्जापुर के एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा पास करने वाले छात्र जीआईसी में एडमिशन लेकर पढ़ते थे और वही छात्र यहां रहते भी थे। किंतु अब जीआईसी स्कूल सोनभद्र और भदोही जनपदों में खुल जाने से यह छात्रावास खाली पड़ गया है। रख रखाव के सवाल पर वह कहते हैं कोई बजट न होने से यह छात्रावास भवन उपेक्षित पड़ा है और जर्जर हो चुका है।”

एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा पास करने वाले छात्रों के लिए बना था छात्रावास

मिर्ज़ापुर (विंध्याचल मंडल मुख्यालय) के महुवरियां में बना प्रतिभावान छात्रावास एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा पास करने वाले छात्रों के लिए बनवाया गया था। जहां उन्हीं छात्रों को इस छात्रावास में रहने की अनुमति मिलती थी जो एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा पास किए होते थे। छात्रावास में 100 बच्चों के रहने की व्यवस्था थी, जिसमें एक कमरें में अधिकतम तीन बच्चे रहते थे। प्रत्येक ब्लॉक से दो छात्रों को छात्रावास देने का प्रावधान था, जिसमें मिर्जापुर के लगभग 24, जौनपुर के 42 और सोनभद्र जनपद के 20 छात्र रहा करते थे।

नशेड़ियों, असमाजिक तत्वों का बना अड्डा

प्रतिभावान छात्रों से गुलजार रहने वाला छात्रावास इन दिनों बंद पड़ा है और अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। छात्रावास पूरी तरह से नशेड़ियों-जुआड़ियों और असमाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। तकरीबन 13 वर्ष से यह छात्रावास बंद पड़ा सिसकियां ले रहा है। रखरखाव के अभाव में छात्रावास भवन पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो रहा है।

बदहाल छात्रावास

यहां विषैले जीव-जंतुओं का कब्जा हो गया है। छात्रावास के कमरों के खिड़की-दरवाजे भी टूट कर गायब हो गए हैं। छात्रावास की दरों दीवारें भी जर्जर हो चुकी हैं जिनपर पेड़-पौधे उगे हुए दिखाई दे रहे हैं। छात्रावास के बाउन्ड्रीवाल भी ध्वस्त हो गई हैं। यूं कहें कि पूरी तरह से यह छात्रावास चारागाह में तब्दील हो गया है।

तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री लोकपति त्रिपाठी ने रखी थी नींव

मिर्ज़ापुर के जीआईसी के समीप प्रतिभावान छात्रावास भवन का निर्माण 27 अगस्त 1985 में करवाया गया था। तबके स्वास्थ्य मंत्री लोकपति त्रिपाठी ने इसका शिलान्यास किया था तथा 30 अगस्त 1988 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इसका उद्घाटन किया था। तब इसका उद्देश्य था कि बड़ी संख्या में यहां दूर-दराज से आये हुए छात्र रहकर पढ़ाई करेंगे। लेकिन 2010 से यह इमारत बंद पड़ी है।

पूर्व विधायक श्रीराम भारती जनचौक को बताते हैं कि ‘मैंने छात्रावास की उपेक्षा को लेकर संबंधित विभाग का ध्यान आकर्षित किया था, चूंकि मैं जिले की छानबे विधानसभा क्षेत्र का विधायक रहा, बावजूद इसके इस छात्रावास के जीर्णोद्धार व प्रतिभावान छात्रों की बेहतरी के लिए आवाज उठाई, लेकिन सरकारी मुलाजिमों की लालफीताशाही वाली नीतियों ने इस छात्रावास को उजाड़ खंड़ बनाकर ही दम लिया है’।

छात्रावास की टूटी बाउन्ड्रीवाल

पूरी तरह से खंडहर बना छात्रावास भवन

मजे कि बात यह है कि यह छात्रावास मिर्ज़ापुर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बगल में बना है, शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों से लेकर जिले के जिम्मेदार सरकारी मुलाजिमों का भी इधर से गुजरना होता है, लेकिन किसी का भी ध्यान इसकी बदहाली की ओर नहीं जा रहा है। छात्रावास परिसर में झाड़ियां उग आई हैं, जिससे लोग दिन में ही यहां आने से कतराते हैं।

छात्रावास के कमरे की खिड़कियों के दरवाजे गायब हैं। छात्रावास के उपरी तल पर जाने के लिए बनी सीढ़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कमरों में घास फूंस और झाड़-झंखाड़ उग गए हैं। भवन की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं, असामाजिक तत्वों द्वारा शराब, गांजा, हेरोइन से लेकर जुए के फड़ की महफिल सजाई जाती है, जिसके कारण आसपास के रहने वाले लोग भी परेशान हैं।

(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट)

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