Friday, March 29, 2024

मनरेगा मजदूरों ने समय पर भुगतान न होने पर मुआवजा और काम न होने पर बेरोजगारी भत्ते की मांग की

झारखंड। कहना ना होगा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून (मनरेगा) देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने वाली एकमात्र योजना है। जिसने 2008 के वैश्विक आर्थिक सुनामी और 2020 में विश्वव्यापी कोरोना संकट में लोगों के लिए जीवनरेखा साबित हुई। लेकि न वर्तमान में केंद्र सरकार एवं राज्य की सरकारों की मजदूर विरोधी नीतियों के कारण ईमानदारी से और कड़ी मेहनत करने वाले मजदूरों को अपनी मजदूरी के लिए अंतहीन इंतजार करना पड़ता है। मतलब मनरेगा के कानूनी प्रावधानों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है और अधिनियम को इसकी भावना के विपरीत तरीके से लागू किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में मनरेगा कार्यान्वयन को मजबूत करने और व्यवस्थित भ्रष्टाचार को समाप्त करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मनरेगा मजदूरों को उनकी मूल मनरेगा पात्रता के अनुसार उनकी मज़दूरी का समय पर भुगतान, मांग पर काम, देर से भुगतान के लिए मुआवज़ा व बेरोजगारी भत्ता मिले।

बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के लिए 18 लाख से अधिक चालानों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत सरकार (GoI) ने अनिवार्य 7 दिनों की अवधि के भीतर केवल 29% ऑनलाइन एफटीओ (फण्ड ट्रांसफर ऑर्डर) को संसाधित किया। 2009 से नरेगा श्रमिकों की मजदूरी वास्तविक रूप से स्थिर हो गई है। देश भर में नरेगा मजदूरी दर में औसत वृद्धि केवल 4.25% है जबकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 31% तक का महंगाई भत्ता (डीए) मिलता है। श्रम बजट की लगभग 75% राशि पहले ही राज्य सरकार द्वारा खर्च किया जा चुका है और चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने में छह महीने शेष हैं। अब तक इस बात के अकाट्य प्रमाण हैं कि अपर्याप्त वित्त के कारण वेतन भुगतान में भारी देरी होती है। वित्त मंत्रालय ने भी इस बात को माना है।

इन्हीं मुद्दों को लेकर सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार की मांग करने के लिए नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पिछले 2, 3 और 4 अगस्त 2022 को देश के 14 राज्यों के लगभग छह सौ मनरेगा कार्यकर्ता और उनके समर्थक जंतर-मंतर पर एकत्र हुए थे।

मनरेगा को पुनर्जीवित करने के लिए देश भर में राष्ट्रीय कार्रवाई के लिए नरेगा संघर्ष मोर्चा के आह्वान के हिस्से के रूप में 22 सितंबर को संयुक्त ग्राम सभा मंच गारू, जिला लातेहार (झारखण्ड) द्वारा प्रखंड सह अंचल कार्यालय गारू में मनरेगा मजदूरों द्वारा घेराव किया गया तथा मनरेगा मजदूरों के अधिकारों से संबंधित मांगों को लेकर एक मांग पत्र अंचलाधिकारी के माध्यम से प्रधान मंत्री, भारत सरकार को भेजा गया। साथ ही मंच ने ग्रामीण विकास मंत्री, मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, मंत्री, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग झारखण्ड सरकार, एवं नरेगा आयुक्त, झारखण्ड को भी उक्त मांग पत्र भेजा है।

जो इस प्रकार है

(1) सरकारें मनरेगा कानून के हिसाब से सभी नरेगा श्रमिकों को मस्टर रोल बन्द होने की तिथि से 7 दिन या अधिकतम 15 दिनों के भीतर भुगतान की गारंटी दी जाए। सभी लंबित भुगतान और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लंबित एफटीओ को भी तुरंत चुकाया जाए।

(2) मजदूरी भुगतान में देरी के लिए स्वत: मुआवज़ा, साथ ही मुआवज़े के मानदंड को बढ़ाकर 0.5% (देय राशि का) प्रति दिन किया जाए।

(3) मनरेगा योजनाओं के क़ानूनी प्रावधानों के अनुसार नियमित सोशल ऑडिट एवं समवर्ती ऑडिट कराना सरकार सुनिश्चित करेl

(4) राज्य में सुखाड़ की भयावहता के मद्देनजर सरकार अविलम्ब मनरेगा योजनाओं में मजदूरों को काम मुहैया कराये साथ ही काम के दिनों की संख्या 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन सुनिश्चित करे।

(5) मजदूर – मजदूर एक समान हैं अत: जातिगत आधारित एफटीओ सृजित करना सरकार पूरी तरह बन्द करे।

(6) नेशनल मोबाइल मोनिटरिंग प्रणाली एवं एक पंचायत में एक अवधि में सिर्फ 20 ongoing के फरमान से मजदूरों की परेशानी बढ़ गई है अत: सरकार दोनों आदेशों को तुरंत वापस ले।

(7) मनरेगा में पंजीकृत श्रमिकों को पर्याप्त काम और समय पर पूरी मजदूरी मिले इसके लिए सरकार मनरेगा मद में जीडीपी की 4 प्रतिशत राशि का प्रतिवर्ष आवंटन सुनिश्चित करे।

(8) सरकार सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का समय लाभ वगैर किसी जटिल प्रक्रिया के देना सुनिश्चित करे।

(9) मनरेगा मजदूरों तथा आम नागरिकों द्वारा मनरेगा योजना सम्बन्धी दर्ज शिकायतों पर सरकारी पदाधिकारी कानून में वर्णित समयावधि में कार्रवाई की गारन्टी करें।

(10) मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी 600 रूपये प्रतिदिन की जाए तथा यह सुनिश्चित करना कि मज़दूरी किसी भी राज्य में राज्य की न्यूनतम मज़दूरी से कम न हो।

घेराव कार्यक्रम में मजदूरों सहित बरवाडीह पूर्वी के जिला परिषद सदस्य कन्हाई सिंह, जीरा देवी गारू प्रखण्ड जिला परिषद सदस्य, करवाई पंचायत से प्रमिला देवी, पंचायत समिति सदस्य बबिता देवी, मुनेश्वर सिंह, अमिनता देवी, प्रियंका देवी, संजू देवी, कलिता देवी, कलिता देवी, ग्राम प्रधान राजू उरांव, कारवाई संयुक्त ग्राम सभा मंच सामाजिक कार्यकर्ता सभिल नाथ पैकरा, संयुक्त ग्रामसभा मंच के धीरज कुमार, मकल देव सिंह, बाल्की सिंह, ललिता देवी और करीबन 150 ग्रामीण शामिल थे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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