Thursday, March 28, 2024

एलाआईसी नहीं, लोगों के जीवन का सौदा कर रही है सरकार!

चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 के बजट भाषण में एलान किया था कि एलआईसी का आईपीओ लाया जाएगा। इसके लिए सरकार संसद में एलआईसी एक्ट 1956 में छह बड़े बदलाव करने जा रही है। एलआईसी की स्थापना इसी एक्ट के तहत की गई थी। दरअसल एलआईसी कंपनीज एक्ट के तहत नहीं चलती है, बल्कि यह एक स्वायत्त संस्था है और इसका संचालन एलआईसी एक्ट, 1956 के तहत किया जाता है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद एलआईसी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को सरकार संसद में पेश करेगी।

बता दें कि एलआईसी में सरकार की शत प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं एलआईसी के पास 34 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। मोदी सरकार का प्लान 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में से 90,000 करोड़ रुपये एलआईसी के आईपीओ और आईडीबीआई बैंक के विनिवेश के जरिए जुटाने का था, लेकिन अब सरकार सिर्फ़ एलआईसी से ज़्यादा बड़ी रकम जुटाने का लक्ष्य करके एलआईसी का 25 प्रतिशत शेयर बेचने जा रही है।

मोदी सरकार ने एसबीआई कैपिटल और डेलॉयट को प्री-आईपीओ ट्रांजैक्शन एडवाइजर (TAs) के तौर पर पहले ही मंजूरी दे दी है। अभी एलआईसी का वैल्यूएशन नौ लाख करोड़ रुपये का है। यानी अगर कंपनी ने आठ फीसदी की हिस्सेदारी भी बेच दी तो करीब 90 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।

इससे पहले एलआईसी के आईपीओ के लिए बतौर सलाहकार सिटी ग्रुप, इडेलवाइज, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स, क्रेडिट सुइस और डेलॉयट को शॉर्टलिस्ट किया गया है। इन पांचो में से किसी दो को ये जिम्मेदारी देने पर विचार किया गया था। अब भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए वित्त मंत्रालय ने कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि एलआईसी सिर्फ अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी ही नहीं बेचेगी, बल्कि उसके साथ बड़ी संख्या में बोनस शेयर भी जारी कर सकती है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसे कैबिनेट से भी मंजूरी मिल सकती है।

इसके बाद रिटेल निवेशकों और एलआईसी के कर्मचारियों के लिए पांच फीसदी तक शेयर रिजर्व हो सकते हैं। इतना ही नहीं, रिटेल निवेशकों को 10 फीसदी का डिस्काउंट भी दिया जा सकता है। इस बात की भी तैयारी की जा रही है कि ऑथराइज्ड कैपिटल और इश्यूड कैपिटल का प्रावधान जोड़ा जाए।

25 प्रतिशत शेयर बेचेगी सरकार
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने का ड्राफ्ट तैयार किया है और इसे सेबी, इरडा और नीति आयोग समेत संबंधित मंत्रालयों के पास भेजा गया है। भारतीय जीवन बीमा निगम की 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना के तहत सरकार रिटेल इन्वेस्टर्स को बोनस और डिस्काउंट देने पर विचार कर रही है। देश की सबसे बड़ी और सबसे भरोसेमंद सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO हो सकता है।

आपदा में अवसर तलाशती सरकार
दरअसल मोदी सरकार की योजना पहले एलआईसी के 10 प्रतिशत शेयर बेचनी की ही थी, लेकिन कोरोना काल में किसी दूसरे पीएसयू की अपेक्षा एलआईसी के जल्द विनिवेशक मिलने और आईपीओ से बड़ी रकम जुटने की उम्मीद के चलते सरकार ने इसके 25 प्रतिशत शेयर को निकालने का मन बनाया है। सरकार का अनुमान है कि इस दौर में कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ने और टैक्स में कमी होने के अंतर की भरपाई एलआईसी की हिस्सेदारी को बेचने से पूरी हो जाएगी। शायद यही वजह है कि सरकार ने एलआईसी की 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है, जबकि पहले 10 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बेचने की योजना थी।

बिग सेल में बंपर डिस्काउंट
सूत्रों के मुताबिक एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने में रिटेल इन्वेस्टर्स को प्राथमिकता दी जा सकती है और इसके लिए उन्हें 10 पर्सेंट का बंपर डिस्काउंट दिया जा सकता है। यह डिस्काउंट एलआईसी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगा। रिटेल इन्वेस्टर्स और कर्मचारियों के लिए पांच फीसदी शेयर रिजर्व किए जा सकते हैं। हालांकि शेयर्स को रिजर्व रखने का फैसला कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लिया जाएगा। इसके अलावा शुरुआती दिनों में बोनस शेयर की सुविधा भी दी जा सकती है।

चार सरकारी बैंकों को बेचने की योजना
एलआईसी के अलावा केंद्र सरकार बजटीय खर्च के लिए फंड जुटाने को कम से कम चार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) में अपनी हिस्‍सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। सरकार के पास इन बैंकों में प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष होल्डिंग्‍स के जरिए बड़ी हिस्सेदारी (Majority Stakes) है। कोविड-19 महामारी के कारण देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर काफी बुरा असर पड़ा है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण ठप हुई आर्थिक गतिविधियों की वजह से सरकार के राजस्‍व में जबरदस्‍त कमी दर्ज की गई है।

केंद्र सरकारी कंपनियों के साथ सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करके पूंजी जुटाना चाहती है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय ने अधिकारियों से कम से कम चार सरकारी बैंकों में सार्वजनिक हिस्सेदारी कम करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय ने अगस्‍त 2020 में ही वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखकर इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को चालू वित्त वर्ष में निपटाने को कहा है। इन बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं।

केंद्र सरकार की ओर से इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तय की गई समय सीमा कोरोना संकट के बीच बाजार के मौजूदा हालात को देखते हुए बहुत ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण हो सकती है, इसीलिए बिक्री के लिए एलआईसी का शेयर बढ़ाकर 10 से 25 कर दिया गया है। सरकार की मंशा देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर पांच करने की है। अभी देश में आईडीबीआई के अलावा एक दर्जन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं। LIC में सरकार की हिस्सेदारी 100 फीसदी है, जबकि IDBI बैंक में सरकारी हिस्सेदारी 46.5 फीसदी है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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