पटना। सीमांचल में 100 किलोमीटर की पदयात्रा संपन्न करने के बाद पटना पहुंचे माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उसने अमेरिका के समक्ष देश के स्वाभिमान, आजादी और संप्रुभता को गिरवी रख दिया है और उसके सामने घुटने टेककर पूरे देश को शर्मसार किया है।
संवाददाता सम्मेलन में पार्टी राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी व एमएलसी शशि यादव भी उपस्थित थे।
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि 5 फरवरी को जब दिल्ली में चुनाव हो रहे थे और मोदी जी डुबकी लगा रहे थे, उसी दिन एक अत्यंत शर्मनाक घटना घटी। एक अमेरिकी मिलिट्री जहाज में 104 भारतीय नागरिकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे, को अपराधियों और गुलामों की तरह 40-40 घंटे की यात्रा कराकर अमृतसर में उतारा गया। उस जहाज में मात्र एक शौचालय था और सभी यात्रियों के हाथ-पैर बांध दिए गए थे।
इससे भी शर्मनाक यह कि भारत सरकार के विदेश मंत्री इस घटना को सही ठहरा रहे हैं और अमेरिका के कानून के पक्ष की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा कि यह हमारे देश के लिए अपमानजनक है। वहीं, कोलंबिया के राष्ट्रपति ने अमेरिका द्वारा भेजे गए मिलिट्री जहाज को उतारने की अनुमति नहीं दी और अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए विमान भेजा।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी सवाल उठाए। कहा कि मोहन भागवत कहते हैं कि आजादी 2024 में आई। दरअसल, वे ऐसी गुलामी को ही आजादी कह रह हैं।
सरकार के बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत सरकार ने ट्रंप की धमकी के बाद अमेरिका को खुश करने के लिए वहां से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क घटा दिया और व्यापारिक दबाव को स्वीकार कर लिया। बजट का फोकस सिर्फ अमेरिकी और कॉर्पोरेट हितों पर है, न कि आम नागरिकों और उनके हकों पर।
सीमांचल और बिहार के हालात में बदलाव की लड़ाई
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि सीमांचल में पिछड़ापन और गरीबी और बढ़ी है। पलायन, बिना मुआवजे के किसानों की जमीन का अधिग्रहण, और मकानों पर बुलडोजर की घटनाएं ही राज्य की आज की सच्चाई है। 100 किलोमीटर की पदयात्रा में समाज के विभिन्न हिस्सों के लोग शामिल हुए।
लोग कर्ज में डूबे हुए हैं, और यह कर्ज अब भारी परेशानी का सबब बन रहा है। लोग चाहते हैं कि बिहार में बदलाव हो। केवल सरकार ही नहीं, बल्कि इस पूरे हालात को बदलने की जरूरत है।
उन्होंने बिहार में बढ़ते पुलिस राज पर सवाल उठाया। कहा कि नारा तो सुशासन का था, लेकिन अब बिहार पुलिस राज में बदलता जा रहा है।
मधुबनी में इमाम मो. फिरोज के साथ जो हुआ, मुजफ्फरपुर के कांटी में शिवम झा की पुलिस कस्टडी में हत्या – ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में पुलिस राज चल रहा है।
अफसरशाही बढ़ गई है, और विकास के नाम पर गरीबी और बेरोजगारी बढ़ रही है। नीतीश जी अफसरों और कुछ नेताओं से घिरे रहते हैं। जनता की किसी भी समस्या से उनको लेना देना नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट ने देश की आम जनता और बिहार को धोखा दिया है। 12 लाख रुपये तक की कमाई पर इनकम टैक्स में छूट देने का दावा किया गया है, लेकिन बिहार जैसे राज्य में कितने लोग महीने में एक लाख रुपये कमाते हैं?
आंकड़े बताते हैं कि देश में ऐसे केवल 5 प्रतिशत होंगे। बिहार में और भी कम हैं। बाकी 95 प्रतिशत लोग गायब हैं। मनरेगा, स्कीम वर्कर, और अनुबंध पर काम करने वाले लोगों की चिंता बजट में कहीं है ही नहीं।
उन्होंने मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र पहले भी था, लेकिन कोई ठोस विकास नहीं हुआ। आज वहां गेहूं की खेती हो रही है। मक्का का उत्पादन जरूर बढ़ा है, लेकिन किसानों को सही रेट नहीं मिल रहा है। बिहार में फैक्ट्रियों का अभाव है। फैक्ट्रियां तो हरियाणा और गुजरात में हैं। बजट में सिर्फ धोखा हुआ।
माले महासचिव ने कहा कि बिहार का चुनाव जनता के असली मुद्दों पर हो। दिल्ली चुनाव में हिंसा हुई और वोटर लिस्ट में हेराफेरी की गई। अब बिहार का चुनाव है, और हमें यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी मुद्दे हिंदू-मुसलमान की राजनीति से हटकर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों की जमीन और बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों पर आधारित हों।
उन्होंने कहा कि बिहार को बदलने वाली जनांदोलन की सभी ताकतें 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में जुटेंगी और एक ऐतिहासिक रैली होगी। यह रैली बिहार के असली मुद्दों को सामने लाएगी और बिहार के भविष्य के लिए एक निर्णायक कदम साबित होगी।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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