Friday, April 19, 2024

महामारी से कमाई करती रहेगी मोदी सरकार, दवाइयों व वैक्सीन पर से जीएसटी हटाने से इन्कार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में कल 28 मई शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की 43वीं ऑनलाइन बैठक में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया। हालांकि, ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा के आयात पर शुल्क में छूट का फैसला किया गया। गौरतलब है कि ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी पर वर्तमान में 5 फीसदी की रेट से जीएसटी लगता है। हालांकि कोविड-19 से संबंधित वस्‍तुओं पर जीएसटी में कटौती के मसले पर मंत्री समूह (GOM) का गठन किया गया, जो कोविड सामग्रियों पर GST रेट कम करने के मसले पर ‘काम’ करेगा और 10 दिन में रिपोर्ट पेश करेगा।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 10 मई सोमवार को ही कोरोना की दवा, वैक्सीन और आक्सीजन कंसंट्रेटर की घरेलू आपूर्ति तथा वाणिज्यिक आयात पर वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) हटाने से इनकार कर दिया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तर्क दिया था कि अगर जीएसटी हटा दिया गया तो आम उपभोक्ता के लिए ये सभी सामान महंगे हो जाएंगे। उन्होंने कहा था कि जीएसटी हटने पर इनके निर्माता उत्पादन में इस्तेमाल कच्चे माल दूसरी सामानों पर चुकाए गए टैक्स के लिए इनपुट-टैक्स-क्रेडिट का दावा नहीं कर सकेंगे।

विपक्ष और गैरभाजपाई राज्य सरकारों द्वारा लगातार कोरोना महामारी के खिलाफ़ इस्तेमाल होने वाली मेडिकल उपकरणों, वैक्सीन व दवाइयों पर जीएसटी हटाने की मांग होती आ रही है। 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कल बैठक से पहले ट्वीट करके कहा था कि – “महामारी के समय एंबुलेंस, बेड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, दवाइयों, वैक्सीन के लिए परेशान हुए लोगों से कोविड संबंधित उत्पादों पर GST वसूलना निर्दयता व असंवेदनशीलता है।” 

वहीं मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 13 मई को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर उनसे कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन, जीवनरक्षक दवाओं, मेडिकल सामग्री और कोरोना से जुड़े अन्य दवाओं की खरीद पर कुछ निश्चित समय के लिए वस्तु व सेवाकर (जीएसटी) को घटाकर शून्य करने की मांग की थी।

स्टालिन ने कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए सुझाव दिया था कि वैक्सीन पर लगाए जा रहे टैक्स को भी हटाया जाना चाहिए। 

स्टालिन से पहले 9 मई रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के मद्देनजर मेडिकल उपकरणों, दवाइयां और सहित कोरोना से संबंधित विभिन्न मद में लगने वाली कस्टम ड्यूटी और जीएसटी में छूट की मांग की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री से सभी को फ्री वैक्सीन देने की मांग की थी।

ममता बनर्जी ने मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि कोरोना महामारी के मद्देनजर नई चुनौतियों का सामना करने की राज्य सरकार कोशिश कर रही है, ताकि महामारी से निपटा जा सकता है। इस बीच बड़ी संख्या में विभिन्न संगठन, व्यक्ति और एजेंसियां सामने आए हैं, जो ऑक्सीजन, सिलेंडर, क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक, टैंकर्स और कोविड से संबंधित दवाईयों देने की पेशकश की है। इससे राज्य सरकार की ज़रूरतों को पूर्ति हो पाएगी। कई दानदाताओं ने राज्य सरकार ने इनके मद्देनजर वसूले जा रही कस्टम ड्यूटी और जीएसटी में छूट की अपील की है। इसलिए वह आग्रह कर रही हैं कि इनमें छूट दी जाए, ताकि व्यवस्था संभालने में मदद मिल सके। 

ममता बनर्जी और स्टालिन से पहले 7 मई 2021 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वैक्सीन और कोरोना के इलाज में उपयोग होने वाली दवा और उपकरणों को टैक्स फ्री करने की मांग करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था। 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार वैक्सीन पर पांच प्रतिशत जीएसटी वसूल रही है। इस वजह से राज्य सरकारें को वैक्सीन की प्रत्येक डोज पर 15 से 20 रुपये केंद्र सरकार को देने पड़ रहे हैं। इससे राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में 18 से 44 आयु वर्ग के करीब एक करोड़ 35 लाख लोग हैं, जिनके निःशुल्क टीकाकरण (वैक्सीनेशन) की घोषणा राज्य सरकार ने किया है। प्रदेश सरकार अब तक कोवैक्सीन की डेढ़ लाख डोज के लिए भारत बायोटेक को 6 करोड़ 30 लाख और कोविशील्ड की करीब 2 लाख 97 हजार डोज के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को 9 करोड़ 35 लाख रुपये का भुगतान किया है। यानी 400 रुपये वाली कोवैक्सीन राज्य सरकार को 420 और 300 रुपये वाली कोविशील्ड 315 रुपये में मिल रही है। इस तरह राज्य सरकार की तरफ से दोनों कंपनियों को 15 करोड़ 65 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है। इसमें 74 लाख 56 हजार से अधिक राशि जीएसटी के रूप में दी गई है।

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