मोदी सरकार किसान आंदोलन को तोड़ने का हरचंद कर रही है कोशिश: मोर्चा

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नई दिल्ली। 26-27 मार्च को किसान आंदोलन को पूरे चार महीने हो चुके हैं। 1 अक्तूबर से पंजाब में संयुक्त रूप से आंदोलन चल रहा है। पंजाब के लोगों, संगठनों, कलाकारों, सामाजिक और धार्मिक संस्थानों और व्यक्तित्वों ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मोदी सरकार किसान आंदोलन को खत्म करने, हराने और तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

किसान मोर्चा गेहूं की फसल के दौरान और बाद में इस आंदोलन में पंजाब के लोगों के योगदान के लिए पंजाबियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित कर रहा है।

इस बीच मोर्चा ने पंजाबियों के योगदान पर चर्चा करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कल लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में बड़ी तादाद में बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भाग लेने की उम्मीद है। बैठक का एजेंडा है किसान आंदोलन की स्थिति और पंजाबी लोगों और संगठनों का सहयोग।

इस संबंध में, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता पहले एक भूमिका पेश करेंगे। इसमें शामिल संगठनों के प्रतिनिधियों के विचार लेने के बाद, कुछ सुझावों को लागू करने का निर्णय लिया जा सकता है।

प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर, किसान नेताओं ने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में निर्णय लेंगे और प्रवासी श्रमिकों के बारे में लोगों और मीडिया के सामने सच्चाई पेश करेंगे। केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों को बदनाम करने के लिए और देश के किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए यह नया कदम उठाया है। किसानों का हमेशा से प्रवासी श्रमिकों के साथ अच्छा संबंध रहा है। सरकार मजदूर-किसान एकता से डरती है और संघर्ष को बांटना चाहती है।

पंजाब और हरियाणा से महिलाओं और युवाओं के कारवां दिल्ली के किसान मोर्चों पर अपनी ड्यूटी के अनुसार पहुंच रहे हैं। न केवल गांवों में, बल्कि शहरों में भी, लोग किसान मजदूर एकता के पक्ष में चौकों और मुख्य स्थानों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।इस बीच, राजस्थान के अलवर में तातारपुर चौराहे पर किसान नेता राकेश टिकैत पर हमला हुआ। इसी दौरान श्री टिकैत की कार का शीशा भी टूट गया। किसान मोर्चे ने इस घटना की निंदा किया है।

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