Tuesday, April 23, 2024

मोदी सरकार किसानों के प्रति अपनी जिद का 10वां भाग भी चीन के सामने रखती तो वह झुक जाता: सुब्रमण्यम स्वामी

“यदि मोदी सरकार किसानों के प्रति अपनी जिद का 1/10वां भाग भी चीन (जिसने 2013 के 1000 वर्ग किलोमीटर सहित लद्दाख के 3000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है, और मोदी को भारत की निर्विवाद भूमि का हिस्सा एक विसैन्यीकृत क्षेत्र में बनाने के लिए राजी कर लिया है) के सामने रखती तो शायद वह झुक सकता था।”

उपरोक्त बातें किसी विपक्षी दल के नेता ने नहीं बल्कि भजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कही हैं। इससे पहले भी उन्होंने चीन के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुये ट्वीट करके कहा है, ” आप इसके लिए नेहरू को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। बीजेपी को इस गलती को सुधारने के लिए वोट दिया गया था न कि इस मुद्दे पर वापस जाने के लिए।”

पिछले साल गलवान में बीस भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद मोदी के समर्थन में अंधभक्तों की नौटंकीबाजी को निशाने पर लेते हुये उन्होंने कहा था कि “हमारी ज़मीन बचाने के लिए अंध भक्तों और गंधभक्तों को लद्दाख में बसाया जाए। ईश्वर नमो नमन का 1008 बार जाप करें। कोई नहीं।”
इससे पहले चीन के उस सीमा कानून पर तंज कसते हुए स्वामी ने सरकार पर निशाना साधा था, जिस कानून से द्विपक्षीय सीमा प्रबंधन समझौतों पर प्रभाव पड़ सकता है।

इससे पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा था कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के बजट की जानकारी मांगी थी। पिछले तीन सालों में परिषद का बजट 10 गुना बढ़ गया है।
उन्होंने आगे कहा कि- “संसद पुस्तकालय में मैंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का बजट मांगा। मैंने तीन साल के लिए आवंटन मांगा था, जिसमें 2014-15 में 44 करोड़ रुपये; 2016-17 में 33 करोड़ रुपये और 2017-18: में 333 करोड़ रुपये; यह छलांग क्यों? क्योंकि एक नया प्रमुख जोड़ा गया था: “साइबर सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास।”

इसके बाद उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार के प्रवक्ता को स्पष्ट करना चाहिए कि आवंटित 333 करोड़ रुपये में से 300 करोड़ रुपये वास्तव में कहां गए हैं?

पेगासस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि “मुद्दा यह है कि क्या यह मामला कानूनी रूप से या अवैध रूप से किया गया था। कानूनी तौर पर इसका मतलब है कि इसे कैबिनेट में लाया गया और एक प्रस्ताव पारित किया गया। लेकिन अगर यह सिर्फ़ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और शायद कुछ राजदूत थे जिन्हें पीएम से मंजूरी मिली, तो फ्रांस की तरह, पीएम अभियोजन के लिए दोषी होंगे”।

बता दें कि पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल और इसके जरिए जासूसी करने को लेकर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। जबकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है । पेगासस मुद्दे पर विपक्ष ने मोदी सरकार पर नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इस मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच की मांग की है। अब इसी को लेकर स्वामी ने सवाल उठाया है कि 2017-18 में राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (एनएससी) का बजट अचानक 10 गुना क्यों बढ़ गया?

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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