Thursday, November 30, 2023

ओमिक्रॉन वायरस के खतरे को नजरंदाज कर ज़िंदगियों से खिलवाड़ कर रही है मोदी सरकार: कांग्रेस

देश के डॉक्टरों, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, फ्रंट लाईन वर्कर्स व अस्पतालों को साधुवाद, जिन्होंने जान हथेली पर रख कोरोना संकट से जूझने व खतरा उठाकर भी देशवासियों को कोरोना निरोधक वैक्सीन लगाया। देश ‘‘कोरोना वॉरियर्स’’ का सदा आभारी रहेगा। पर ‘‘बातें बनाने’’ या रोज़ ‘‘टेलीविज़न पर आने’’ से ज़ख्म नहीं भरेंगे!

मोदी सरकार का ‘‘जिम्मेवारी से बार-बार पीठ दिखाने’’, ‘‘कोरोना टीकाकरण की बार-बार नीतियां बदलने’’, ‘‘कोरोना की रोकथाम के बजाय खुद के महिमामंडन, रैलियों व चुनावी गोटियों को प्राथमिकता देने’’, ‘‘प्रांतों पर दोष मढ़ जिम्मेवारी से पीछा छुड़वाने’’ जैसी अपराधिक लापरवाहियों से देशवासियों की जान से खिलवाड़ किया गया। कोरोना की संभावित तीसरी लहर की आहट से ठीक पहले देशवासियों की जान एक बार फिर जोखिम में डाली जा रही है। ये बातें कांग्रेस के महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहीं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से जवाबदेही मांगने का समय आ गया हैः-

1.    47,95,00,000 (47.95 करोड़) वयस्क (Adult) भारतीयों को 59.40 करोड़ कोरोना वैक्सीन कब लगेगी?

सरकार के मुताबिक देश में 18 साल से अधिक वयस्क (Adult) जनसंख्या 94 करोड़ है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 22 जून, 2021 को शपथ पत्र देकर बताया कि 31 दिसंबर, 2021 तक सभी 18 साल से ऊपर की आयु के लोगों को कोरोना की दोनों डोज़ लग जाएंगी । सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के एफिडेविट की कॉपी A1 संलग्न है। यानि 31 दिसंबर, 2021 तक 94 करोड़ लोगों को 198 करोड़ वैक्सीन की डोज़ (94 Cr. X 2 = 198 Cr) उपलब्ध होकर लग जानी चाहिए।

पर मोदी सरकार द्वारा कल 25 दिसंबर, 2021 को जारी तथ्यों के मुताबिक-

·         36.50 करोड़ भारतीयों को अभी भी कोरोना का दूसरा वैक्सीन नहीं लग पाया है। यह देश की 18 साल से अधिक वाली जनसंख्या का 35 प्रतिशत हिस्सा है।

·         यही नहीं, सरकार द्वारा जारी तथ्यों के मुताबिक 18 साल से अधिक की आयु के, देश के 11.45 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन का एक डोज़ भी नहीं लग पाया है।

·         इसके साथ-साथ, 22,71,510 हेल्थकेयर/फ्रंटलाईन वर्करों को भी कोरोना का दूसरा डोज़ नहीं लग पाया है।

·         यानि अभी भी 59.40 करोड़ वैक्सीन (36.50 करोड़ X 1= 36.50 + 11.45 करोड़ X2 = 22.90- 59.40 करोड़) लगने बाकी हैं।

पर 59.40 करोड़ कुल वैक्सीन तो उपलब्ध ही नहीं हैं। मोदी सरकार के मुताबिक ही 25 दिसंबर, 2021 को 17.74 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध हैं। सवाल यह है कि बाकी 41.46 करोड़ वैक्सीन (59.40 करोड़- 17.74 करोड़ = 41.46 करोड़) कब तक उपलब्ध होंगे व किस तारीख तक लगाए जा सकेंगे?

दुनिया में दूसरे देशों की औसत भी देखें, तो अपने देशवासियों को दोनों कोरोना निरोधक टीके लगाने में भारत अभी भी 19 वें पायदान पर है। पर मोदी जी ने उपरोक्त किसी बात का जवाब, भविष्य का रास्ता या नीति बारे कुछ नहीं बताया।  

2.    नई घोषणा के बाद 25.69 करोड़ लोगों को 35.70 करोड़ अतिरिक्त वैक्सीन कब तक लगेंगे?

कल 25 दिसंबर, 2021 की मोदी जी की घोषणा के बाद कोरोना वॉरियर्स व 60 साल से अधिक के सभी व्यक्तियों को बूस्टर डोज़ लगेगा। इसके साथ-साथ 15 से 18 साल के बीच के युवाओं को भी कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज़ लगेंगे। देश में कोरोना वॉरियर्स की संख्या 1.89 करोड़ है। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक 60 साल से अधिक की आयु के 13.80 करोड़ बुजुर्ग हैं। एक अनुमान के मुताबिक 15 से 18 साल के देश में 10 करोड़ युवा हैं। यानि 25.70 करोड़ लोगों को 35.70 करोड़ वैक्सीन डोज और लगेंगे (1.89 Cr X 1= 1.89 Cr + 13.80 Cr X 1 = 13.80 Cr + 10 Cr X 2 = 20 Cr – 35.69 करोड़ 35.70 करोड़)

कल की घोषणा में शामिल 25.70 करोड़ लोगों को लगने वाले 35.70 करोड़ वैक्सीन डोज़ तथा 18 साल से अधिक की आयु की बकाया आबादी के वैक्सीन डोज़ का जोड़ लगाएं, तो देश में कुल वैक्सीन की आवश्यकता 35.70 + 59.40 = 95.10 करोड़ वैक्सीन है। 64 लाख वैक्सीन प्रतिदिन की औसत से लगाएं, तो 149 दिन और चाहिए। वैक्सीन की उपलब्धता ही संदेह के घेरे में है। इसेक साथ-साथ सबसे ज्यादा संक्रमण से फैलने वाला ओमिक्रॉन वायरस तो आज ही दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। ऐसे में बचाव कैसे होगा?

3.    वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की मासिक क्षमता मात्र 16.80 करोड़ वैक्सीन प्रतिमाह है, तो फिर 95.10 करोड़ वैक्सीन देशवासियों को कब तक उपलब्ध होंगे?

मोदी सरकार ने संसद में बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड वैक्सीन के 11 करोड़ डोज़ का उत्पादन प्रतिमाह कर सकता है। इसी प्रकार भारत बायोटेक 5.80 करोड़ वैक्सीन प्रतिमाह उत्पादन कर सकता है। यह 16.80 करोड़ वैक्सीन उत्पादन प्रतिमाह है। सरकार का संसद में जवाब की कॉपी संलग्नक A4 देखें।

यही नहीं, वैक्सीन मैत्री समझौते में मोदी सरकार आए माह देश में उत्पादन होने वाले वैक्सीन का निर्यात भी करती है। 25 दिसंबर तक मोदी सरकार 10.15 करोड़ वैक्सीन दूसरे देशों में भेज चुकी।

ऐसे में देश के लोगों को 95.10 करोड़ वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो पाएंगे? अगर वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं हैं, तो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अगले 149 दिन में भी वैक्सीन कैसे लग पाएंगे? क्या मोदी सरकार इसका जवाब देगी?

4.      15 साल से कम के आयु के बच्चों व युवाओं को वैक्सीन लगाने बारे मोदी सरकार की कोई नीति क्यों नहीं?

पूरी दुनिया में 3 वर्ष से 18 वर्ष के बीच की आयु के बच्चों व युवाओं को वैक्सीन लगाया जा रहा है। मिडिल ईस्ट के मुल्कों व चीन में वैक्सीन लगाने की आयु 3 साल व उससे अधिक है। अमेरिका में यह आयु 5 साल व उससे अधिक है। अफ्रीका व यूरोप सहित बाकी दुनिया में 12 साल व उससे अधिक आयु के सभी युवाओं को वैक्सीन लगाया जा रहा है।

हमारे देश में भी स्कूल जाने वाले करोड़ों युवाओं व उनके अभिभावकों तथा परिवार के बुजुर्गों को ओमिक्रॉन  व डेल्टा वायरस से संक्रमण का गंभीर खतरा है। फिर मोदी सरकार ने 5 वर्ष से 12 वर्ष तथा 12 वर्ष से 15 वर्ष की आयु के बच्चों व युवाओं को वैक्सीन न लगाने का निर्णय क्यों किया? क्या यह अपने आप में देश के युवाओं की सेहत और भविष्य के लिए खतरे की घंटी नहीं?

5.    कोरोना की दूसरी लहर में मोदी सरकार की अपराधिक लापरवाही से मरने वालों की संख्या की जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की व परिवारजनों को मुआवज़ा क्यों नहीं?

सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (हार्वर्ड विश्वविद्यालय) की श्री अरविंद सुब्रमण्यम (पूर्व चीफ इकॉनॉमिक एडवाईज़र) तथा अन्य की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच देश के 30 लाख से 47 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। यह मोदी सरकार की अपराधिक लापरवाही और निकम्मेपन के कारण हुआ।

परंतु सरकार सही आंकड़े न बताकर लगातार अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ती रही। यहां तक कि डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट में मोदी सरकार ने मुआवज़ा तक देने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर 4 अक्टूबर, 2021 को सरकार को कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवज़ा देने के आदेश दिए गए। पर आज तक न तो कुल मरने वालों की संख्या सामने आई और न ही मुआवज़ा मिला। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि मोदी सरकार ने कोरोना में मरने वाले व्यक्ति की कीमत केवल 50,000 रुपया आंकी है। यह अपराधिक लापरवाही और जिंदगियों से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?

6.    ओमिक्रॉन वायरस से कोरोना की तीसरी लहर के चारों ओर मंडराते खतरे बारे मोदी सरकार पूरी तरह अनभिज्ञ, उदासीन व अपराधिक लापरवाही की शिकार

ओमिक्रॉन वायरस पूरी दुनिया में भयंकर तेजी से फैल रहा है। ओमिक्रॉन वायरस का डबलिंग रेट भी 1.5 से 3 दिन है। कल ‘‘नेचर जर्नल’’ में छपी रिसर्च के मुताबिक ओमिक्रॉन वायरस एंटीबॉडी थेरेपी से साफ तौर से बच सकता है। ओमिक्रॉन वायरस अपनी शक्ल यानि प्रोटीन स्पाईक बार-बार बदलता है। यहां तक कि दोनों वैक्सीन डोज़ लगे व्यक्तियों को भी ओमिक्रॉन  वायरस का संक्रमण हो रहा है। मोदी सरकार के पास ओमिक्रॉन के संक्रमण रोकने बारे या कोरोना वैक्सीन की ओमिक्रॉन वायरस को रोकने की प्रतिरोधक क्षमता होने बारे कोई जानकारी उपलब्ध नहीं। यह उन्होंने 17 दिसंबर, 2021 को संसद में बताया। कॉपी संलग्नक A6 है।

मोदी सरकार ने ओमिक्रॉन वायरस के खतरे से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं की है। शादियों में भीड़ की संख्या को तो 200 तक सीमित कर दिया, पर कोरोना की पहली लहर में ‘नमस्ते ट्रंप’ व दूसरी लहर में ‘बंगाल चुनावी’ रैलियों की तर्ज पर प्रधानमंत्री व भाजपाई नेता हजारों- लाखें की भीड़ जमा कर रैलियां करने में लगे हैं। अगर कहीं ओमिक्रॉन वायरस का संक्रमण तेजी से फैला, तो सरकार के पास न नीति है, न नीयत, न दृष्टि, न रास्ता। यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है।

वक्त की मांग है कि प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी राजधर्म निभाएं, स्पष्ट वैक्सीन नीति अपनाएं, 5 से 15 साल के युवाओं को वैक्सीन उपलब्ध करवाएं व ओमिक्रॉन वायरस के खतरे से देश को बचाने के लिए रास्ता सुझाएं।

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