Friday, April 19, 2024

महिला उत्पीड़न की राजधानी बन गया है एमपी

मध्यप्रदेश में इन दिनों महिलाओं की हत्याओं और उन पर घरेलू हिंसा के अलावा सार्वजनिक तौर पर बेइंतहा मारपीट की रोज़ाना वारदातें सामने आ रही हैं। कोरोना कर्फ्यू की वजह से आंकड़ों में कमी बनी रही लेकिन उस वक्त की वारदातें अब सामने भी आने लगी हैं इनमें से इन दिनों देवास जिले का नेमावर नरसंहार काफी चर्चा में है। जिसमें चार महिलाओं और एक बच्चे के शव एक गहरे गड्ढे से पुलिस ने बरामद किए हैं। हत्यारे इतने बेख़ौफ रहे कि उन्होंने  प्रेम-प्रसंग को ख़त्म करने के लिए पांच लोगों की योजनाबद्ध तरीके से हत्या कर दी। उन्हें एक गहरे गड्ढे में इकट्ठा दफ़न करने से पहले, वे शीघ्र गल जाएं इसलिए उन पर यूरिया और नमक भी डाल दिया। ये लोग 13 मई से लापता थे। तकरीबन डेढ़ माह बाद इसका रहस्य सामने आया है। अब तक प्रेम प्रसंगों में शायद ही कहीं इतनी हत्याएं एक साथ कहीं हुई हों।

गंभीर बात ये है कि ये मृतक आदिवासी परिवार से हैं जिससे आदिवासी हलकों में काफ़ी रोष है। शुक्रवार सुबह से ही ट्विटर पर #नेमावरहत्यारोंकोफांसीदो ट्रेंड कर रहा है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि मुख्य आरोपी सुरेन्द्र सिंह चौहान किसी हिन्दू संगठन का सक्रिय कार्यकर्ता बताया जाता है उसके भाई, दो दोस्त और दो नौकरों ने मिलकर इस स्त्रियां कांड को अंजाम दिया। ये रसूखदार परिवार है जिसके कारण मामला लंबे समय तक सामने नहीं आ सका। बताते हैं आदिवासी परिवार की एक युवती सुरेन्द्र से प्यार करती थी। सुरेन्द्र का किसी अन्य युवती से विवाह होने वाला था। इसलिए लड़की शादी करने पर ज़ोर देने लगी थी फलस्वरूप उसे रास्ते से हटाने के लिए इस वीभत्स नरसंहार को किया गया। एक आदिवासी युवती को प्रेम करने की इतनी बड़ी सजा मिली कि उसकी मां, बहन व एक नाबालिग बहन और भाई को मौत के घाट उतरना पड़ा। पुलिस ने काफी मेहनत करके इस रहस्य को खोज निकाला है। देवास पुलिस बधाई की पात्र है।

एक और घटना मध्यप्रदेश की है जिसमें शाजापुर जिले के मोहन बड़ोदिया थाना क्षेत्र के ग्राम बिजाना में दलित समाज के वृद्ध दंपत्ति और उनकी बहू के साथ मारपीट करते हुए हाथ पैर बांधकर खेत में पटकने का मामला सामने आया है। पीड़ितों का कहना है कि उनकी पट्टे की जमीन जिसे कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने दो साल के लिए लीज पर दिया था उस जमीन की संबंधितों ने धोखाधड़ी करके बिक्री पत्र बनवा लिया। सोशल मीडिया में बंधे हुए तड़पते इन लोगों के दृश्य देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज भी सामंती समाज के अत्याचारों के ये दृश्य सरकार के सारे दलितों के लिए किए जा रहे कामों की बखिया उधेड़ रहे हैं।

इसी तरह मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के एक गांव में 20 साल की शादीशुदा युवती जो नाराज होकर, बताते हैं उसका पति काम करने गुजरात चला गया था, अपने ससुराल से बिना बताये मामा के घर चली आई। इस बात से ख़फ़ा युवती के मायके वालों ने उसे एक पेड़ में रस्सी से बांध कर लटकाया और तेज गति से उसे झुलाते हुए लाठी डंडों से बारी बारी से पीटते रहे। वह चीखती चिल्लाती रही। महिलाएं और पुरुष तमाशबीन खड़े देखते रहे। वीडियो बाहर आने के बाद पुलिस ने एक्शन लिया है। तथा इस मामले में पीड़ित महिला के चार भाइयों को आईपीसी की धारा 151 के तहत शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया है और उप संभागीय मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

सिलसिलेवार आईं ये तीनों वीभत्स घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि हमारे समाज में ना तो प्रेम करने वाली लड़की सुरक्षित है ना ही ससुराल से अपनी मर्जी से मामा के घर जाने वाली लड़की। समाज कब इन बच्चियों की सुरक्षा में खड़ा होगा। आज भी सामंती ढर्रा बरकरार है। पुरातन संस्कार कमज़ोर होने की बजाए समाज को जकड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश जहां मामा राज हो। भांजियों के लिए मामा बेचैन रहते हों वहां ये सब कितना दुखद है? अदालतें इस जुर्म की जो भी सजा मुकर्रर करें वह तो ठीक लेकिन समाज यदि इसी तरह सोता रहा, जागा नहीं तो लड़की यूं ही मर्दवादी सोच की शिकार होती रहेगी।

इससे पहले झाबुआ की रहने वाली एक महिला ने भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाये थे, महिला ने पुलिस चौकी बामनिया से लेकर एसपी कलेक्टर, प्रभारी मंत्री से लेकर पुलिस के आला अधिकारियों को शिकायत की, लेकिन उसके आरोपों पर ना तो जांच हुई और ना ही आरोपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई, महिला अपनी पीड़ा लेकर झाबुआ पहुंची थी ।

वैसे भी रेप के मामलों में मध्यप्रदेश का नाम पूरे देश के राज्यों की लिस्ट में पहले नंबर पर है। शहरों में इंदौर में सबसे ज्यादा मामले महिलाओं के अपहरण के दर्ज किए गए हैं। इनकी संख्या 453 है। जबकि भोपाल में इन मामलों की संख्या 431 है। जबलपुर में पिछले एक साल में 363 मामले किडनैपिंग के दर्ज किए गए हैं। पिछले एक साल में 4391 मामले रेप के दर्ज किए गए। यह आंकड़ा महाराष्ट्र में जहां 4, 144 है, तो राजस्थान में 3,644 वहीं उत्तर प्रदेश का नंबर चौथे स्थान पर है। यहां महिलाओं के साथ रेप के 2, 934 मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी की इस रिपोर्ट ने प्रदेश को महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में नंबर एक पर ला खड़ा किया है। जबकि पूरे देश में रेप के 34, 556 मामले दर्ज किए गए हैं।

यह स्थिति भयावह है इसे सरकार, सामाजिक संगठनों और समाज के मुखियाओं को गंभीरता से लेना होगा। सबसे अहम तो महिलाओं की भूमिका है जो महिलाओं के साथ खड़ी होने का साहस नहीं दिखाती।

(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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