मुकेश अंबानी के रिलायंस रिटेल और फ्यूचर ग्रुप के सौदे पर लगी रोक

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रिलायंस इंडस्ट्रीज-फ्य़ूचर ग्रुप डील मामले में, मध्यस्थता अदालत सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर से रविवार को अमेजन को अंतरिम राहत मिल गई। अदालत ने अमेजन की याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए, फ्यूचर ग्रुप पर रिलायंस इंडस्ट्रीज को खुदरा कारोबार बेचने पर रोक लगा दी है। अदालत के मुताबिक ये रोक मामले पर अंतिम फैसला आने तक रहेगी। अमेजन ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ सौदे में उसके साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का पालन नहीं किया है। दोनों पक्षों के बीच हुई डील में अमेजन की सहमति नहीं ली गई, इसलिए इस सौदे को लेकर अमेजन ने कोर्ट का रुख किया। मध्यस्थता अदालत इस मामले में अगले 90 दिन में फैसला दे सकती है।

सिंगापुर स्थित एक मध्यस्थता अदालत ने अंतरिम आदेश में फ्यूचर ग्रुप पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 24,713 करोड़ रुपये में अपना खुदरा कारोबार बेचने पर रोक लगा दी है। किशोर बियानी की अगुवाई वाली कंपनी की तरफ से अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने के निर्णय के बाद अमेजन, फ्यूचर को मध्यस्थता अदालत में ले गया है। अमेजन ने पिछले साल फ्यूचर की गैर-सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर कूपंस लिमिटेड में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। इसके साथ ही उसे तीन से 10 साल के दौरान समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण का अधिकार मिला था। फ्यूचर कूपंस के पास फ्यूचर रिटेल की 7.3 फीसदी हिस्सेदारी है।

अमेजन बनाम फ्यूचर बनाम रिलायंस इंडस्ट्रीज के इस मामले में एकमात्र मध्यस्थ वीके राजा ने अमेजन के पक्ष में अंतरिम फैसला सुनाया। उन्होंने फ्यूचर ग्रुप को फिलहाल सौदे को रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि जब तक इस मामले में मध्यस्थता अदालत अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच जाती है, तब तक सौदा नहीं किया जा सकता है।

अमेजन के एक प्रवक्ता ने भी मध्यस्थता अदालत के इस निर्णय की पुष्टि की है। उसने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने कंपनी के द्वारा मांगी गई राहत प्रदान की है। उसने कहा कि अमेजन मध्यस्थता प्रक्रिया के तेजी से संपन्न होने की उम्मीद करती है। अमेजन के प्रवक्ता ने कहा कि हम आपातकालीन मध्यस्थ के निर्णय का स्वागत करते हैं। हम इस आदेश के लिए आभारी हैं, जो सभी को अपेक्षित राहत देता है। हम मध्यस्थता प्रक्रिया के त्वरित निस्तारण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इसके पहले फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को चुनौती देने वाली अमेजन की अपील पर एक सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने पिछले सप्ताह इस मामले में अमेजन और फ्यूचर ग्रुप की दलीलें सुनी थीं। अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप को कानूनी नोटिस जारी करते हुए आरोप लगाया था कि रिटेलर कंपनी ने अपनी 24,713 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेच कर ई-कॉमर्स कंपनी के साथ करार का उल्लंघन किया है। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन केंद्र में 16 अक्तूबर को इस मामले पर सुनवाई हुई। मध्यस्थता मामले में वीके राजाह ने 16 अक्तूबर को सुनवाई की। राजाह सिंगापुर के पूर्व अटॉर्नी जनरल हैं। फ्यूचर-रिलायंस सौदे की घोषणा 29 अगस्त 2020 को की गई थी।

अगस्त के महीने में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने फ्यूचर समूह के साथ डील का एलान किया था। डील के तहत कंपनी फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार का अधिग्रहण करेगी। यह डील 24713 करोड़ रुपये में हुई है। वहीं अगस्त 2019 में अमेजन ने फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। बाद में फ्यूचर रिटेल में अमेजन ने 7.3 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके साथ ही यह शर्त भी थी कि अमेजन को तीन से 10 साल की अवधि के बाद फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा।

इस बीच कर्ज में दबे किशोर बियानी के समूह ने अपने खुदरा स्टोर, थोक और लाजिस्टिक्स कारोबार को हाल में रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का करार कर लिया। अमेजन का मानना है कि फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ समझौता कर उसके साथ करार का उल्लंघन किया है। यदि यह सौदा पूरा होता है तो रिलायंस को भारत के खुदरा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को करीब दोगुना करने में मदद मिलती।

माना जा रहा था कि इस मेगा डील से रिलायंस की रिटेल कारोबार में स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अमेजन जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को टक्कर देने के लिए रिलायंस रिटेल अपने पांव मजबूत कर रहा है। फ्यूचर रिटेल के देश भर में बिग बाजार, एफबीबी, फूडहॉल और ईजी डे क्लब ब्रांड्स के तहत 1,000 से भी अधिक स्टोर्स हैं। नोटिस के अनुसार, फ्यूचर ग्रुप ने डील की शर्तों को पूरा नहीं किया है। अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के सौदे में किसी तरह का विवाद होने पर कोर्ट और मध्यस्थता में जाने का प्रावधान है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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