Thursday, April 18, 2024

बहुदलीय प्रणाली संविधान की बुनियादी विशेषता, इसे सीबीआई, ईडी से नष्ट नहीं किया जा सकता: दुष्यंत दवे‌

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने इस बात पर चिंता जताई है कि किस तरह से दिन-प्रतिदिन भारत में लोकतंत्र का क्षरण हो रहा है और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं। मूल संरचना सिद्धांत आज प्रासंगिक क्यों हो गया है, क्योंकि राजनीति गटर में चली गई है। किसी भी राजनीतिक दल में संविधान और संवैधानिक नैतिकता के लिए सम्मान नहीं है। दवे ने कहा कि बहुदलीय प्रणाली हमारे संविधान की एक बुनियादी विशेषता है। आप सीबीआई, ईडी, आयकर और अन्य एजेंसियों जैसी एजेंसियों का उपयोग करके उसे नष्ट नहीं कर सकते। उन्होंने सामूहिक रूप से संवैधानिक संस्था को कमजोर करने की कोशिश की है।

शनिवार को कोच्चि स्थित एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एंड टीचर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक व्याख्यान में ‘भारतीय संविधान की मूल संरचना और इसकी वर्तमान चुनौतियों’ पर दुष्यंत दवे अपने विचार रख रहे थे।

दवे ने संविधान के मूल ढांचे की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, मौजूदा दौर में राजनीतिक दल पॉवर एक्सरसाइज को प्राथमिकता देते हैं न कि अपने नागरिकों के कल्याण को। दवे ने कहा कि बहुदलीय प्रणाली संविधान की बुनियादी संरचना विशेषता है जैसा कि कुलदीप नैयर मामले में हुआ था। इस संदर्भ में, उन्होंने सत्तारूढ़ दल की ओर से कथित तौर पर कहे गए एक बयान का उल्लेख किया कि वे “कांग्रेस मुक्त भारत” चाहते हैं। वे जो चाहते हैं वह विपक्ष मुक्त भारत है।

उन्होंने बताया कि संविधान सभा की बहस में एक सदस्य ने टिप्पणी की थी कि यदि सत्ता पक्ष विपक्ष को काम नहीं करने दे रहा है, तो यह देशद्रोह होगा। दवे ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी पार्टियों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

दवे ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमारे पास रूप में लोकतंत्र है, लेकिन सार में नहीं। उन्होंने सरकार के आलोचकों, अल्पसंख्यकों और यहां तक कि स्टैंड अप कॉमेडियसं पर होने वाले हमलों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

दवे ने कहा कि अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों ने शायद यह सोचा भी नहीं होगा कि भविष्य में संसद के लिए चुने गए लोग अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने की कोशिश करेंगे। हालांकि, अंबेडकर ने कुछ लोगों के हाथों में शक्ति की एकाग्रता और सत्ता के इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ संविधान की रक्षा करने की आवश्यकता की चेतावनी दी थी।

इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मनोज झा ने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधते हुए शनिवार को अकेले चुनाव लड़ने और अकेले सरकार बनाने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा इस तानाशाही की अति हो चुकी है। मनोज झा ने कहा कि मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि ये बंद किया जाए। थोक में तमाम विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया जाए, उन पर कार्रवाई की जाए और अकेले बीजेपी चुनाव लड़े अकेले सरकार बनाए और अपनी तानाशाही पर मुहर लगवाए।

मनोज झा ने शनिवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, बड़ी अदभुत चीजें हो रही हैं, इस देश में पहले सीबीआई एक पुराना केस जो 2008-2010 में दो बार बंद हो गया था। उसको खुलवाया जाता है। उसके बाद फिर प्रवर्तन निदेशालय सुबह 4:00 बजे सुबह तक जिस घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं और क्रिटिकल स्टेज में, तेजस्वी की पत्नी गर्भवती है वहां जांच की जाती है। किसी को इन मानवीय संवेदना से कोई लेना-देना नहीं। बिहार में जो सरकार, बीजेपी के हाथ से निकल गई यहां उसका दर्द था और बदले की कार्रवाई थी।

उन्होंने कहा, बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का एक इंस्ट्रूमेंट की तरह इस्तेमाल कर रही है।उन्होंने कहा देश में यह तानाशाही नहीं चलेगी। इस तानाशाही के खिलाफ आक्रोश है। बिहार में लालू यादव और तेजस्वी ने अपने समर्थकों को रोक रखा है, यह कहा है कि आप कानून का पालन कीजिए। लेकिन बीजेपी ने तय कर लिया है कि वह राजनीतिक लड़ाई लड़ने में नाकामयाब है। इसलिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मीडिया में लगातार सूत्रों के हवाले से खबर चलाई गई। पहले साल 2017 में यह कहा गया कि मीसा भारती के घर से 8000 करोड़ बरामद हुए। उसके बाद गुडगांव में किसी अन्य व्यक्ति के मॉल को तेजस्वी यादव का मॉल कहकर सूत्रों के हवाले से खबर चलाई गई। जो बाद में गलत साबित हुई। ये जो उत्पाती सूत्र है उन्हें पहले अपने कागजात दुरुस्त कर लेनी चाहिए। गलत साबित होने के बाद ये सूत्र कहां गायब हो जाते हैं।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार पर हुई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के संबंध में मनोज झा ने ये प्रतिक्रिया दी। ये छापेमारी दक्षिणी दिल्ली के उस घर में हुई जहां लालू यादव के बेटे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मौजूद थे। इसके साथ ही ईडी ने बिहार के कई शहरों में भी लालू प्रदास यादव के परिवार और आरजेडी नेताओं के परिसरों में ‘नौकरी के बदले जमीन’ केस की जांच के तहत छापेमारी की थी।

बीते सोमवार को पटना में सीबीआई की टीम ने राबड़ी देवी से चार-पांच घंटे तक पूछताछ की गई थी। इसके बाद अगले दिन मंगलवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी दिल्ली में करीब 2.30 घंटे तक पूछताछ की गई थी।

जमीन के बदले नौकरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लालू यादव के परिवार और उनके रिश्तेदारों के घर छापेमारी की है। इस कार्रवाई के बाद ईडी ने दावा किया कि उन्हें लालू परिवार के अघोषित 1 करोड़ रुपये का कैश, सोने के गहने सहित अन्य चीजें मिली हैं। ईडी के इस दावे पर बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है। तेजस्वी ट्वीट के जरिए बीजेपी और मीडिया पर हमला बोला। उन्होंने एक के बाद एक कई पोस्ट डाले और पुराने मामलों को याद दिलाते हुए अपने विरोधियों पर निशाना साधा।

तेजस्वी ने लिखा-याद करिए- 2017 में भी कथित 8000 करोड़ का लेनदेन, हजारों करोड़ का मॉल, सैकड़ों संपत्तियां, अभी चंद महीनों पहले गुरुग्राम में अरबों का व्हाईट लैंड कंपनी का अर्बन क्यूब मॉल भी मिला था। भाजपाई अब कथित 600 करोड़ का नया हिसाब लाने से पहले अपने सूत्रों को पुराने का तो हिसाब दे देते।

तेजस्वी यादव ने आगे लिखा, “बीजेपी सरकार की ओर से सूत्रों के हवाले से इधर-उधर की भ्रामक अफवाह फैलाने अथवा खबर प्लांट करवाने की बजाय रेड के बाद हस्ताक्षर किए जाने वाले पंचनामे की सूची ही सावर्जनिक कर देनी चाहिए। ‪अगर हम इसे सार्वजनिक कर देंगे तो इन बेचारे नेताओं की क्या इज्जत रहेगी? सोच लो..।”

दरअसल ईडी ने शनिवार को दावा किया कि लालू प्रसाद के परिवार के खिलाफ छापों में एक करोड़ रुपये की अघोषित नकदी जब्त की है। साथ ही जमीन के बदले नौकरी से हासिल की 600 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला है। केन्द्रीय एजेंसी ने कहा कि लालू प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों के लिए रियल एस्टेट और अन्य क्षेत्रों में किए गए निवेशों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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