Friday, March 29, 2024

जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है कमलेश तिवारी हत्याकांड में पुलिस की जांच

नई दिल्ली/लखनऊ। कमलेश तिवारी हत्याकांड में तस्वीर साफ होने की जगह और उलझती जा रही है। दरअसल पुलिस द्वारा कमलेश को मारे जाने की जो थियरी पेश की जा रही है। वह किसी के गले उतरती नहीं दिख रही है। उसमें इतने छेद हैं कि जहां भी नजर डालिए सुराख दिखने लग रहे हैं। इस बीच पूरे मामले में तीन पक्ष उभर कर सामने आए हैं। एक परिवार का पक्ष। दूसरा यूपी पुलिस का और तीसरा है गुजरात एटीएस का वर्जन।

जिस तरह से घटना के 12 घंटे के  भीतर ही गुजरात की एटीएस न केवल सक्रिय हुई बल्कि उसने ‘मास्टर माइंड’ समेत तीनों कातिलों को ढूंढ निकाला जिसमें एक शख्स दूसरे राज्य से जुड़ा था। वह किसी के लिए भी अचरज से कम नहीं था। जबकि उस बीच यूपी की पुलिस मामले में आपसी रंजिश से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। पकड़े गए आरोपियों के नाम खुर्शीद अहमद पठान, मौलाना मोहसिन शेख और फैजान है।

इंडिया अगेंस्ट हेट के मुख्य कर्ताधर्ता नदीम मामले में सक्रिय हैं। और सूरत से हिरासत में लिए गए कथित आरोपियों के परिवार वालों से संपर्क में हैं। मोहसिन के परिजनों से उनकी बात भी हुई। उनके मुताबिक मोहसिन के मां-बाप नहीं हैं। वह यतीम लड़का है। और पास के मार्केट में मजदूरी करता है। आधार सेंटर से 15 अक्तूबर को उसने आधार कार्ड बनवाया था। यह आधार सेंटर की रिपोर्ट है। 16 अक्तूबर को बुआ के साथ पास की मजार में गया था। और 17 तारीख को वह मार्केट में था। नदीम के मुताबिक लोगों का कहना है कि उसकी सीसीटीवी फुटेज भी मिल जाएगी। उमरबाड़ा के जिस इलाके में मोहसिन रहता है उसके पार्षद असलम साइकिलवाला ने जनचौक से बातचीत में इन बातों की पुष्टि की। साइकिलवाला का कहना है कि इलाके में उसका इस तरह का कोई भी आपराधिक रिकार्ड नहीं है।

इस बीच, एटीएस ने उसके परिजनों को आज अहमदाबाद बुलाया है।

पकड़े गए तीनों आरोपी।

खुर्शीद अहमद पठान दुबई में नौकरी करता था। दो साल बाद दो महीने की छुट्टी पर आया था। अगले हफ्ते भाई की शादी है और उसकी तैयारियों में शामिल था। नदीम की मानें तो वह घर में पेंटिंग का काम खुद कर रहा था। पुलिस ने गिरफ्तारी उसके घर से की है। इस तरह से दुबई में लेबर का काम करने वाला शख्स जो घर में खुद पेंटिंग कर रहा है वह इस केस का मास्टरमाइंड है।शाम को चार बजे हत्या होती है। उसके अगले ही दिन आरोपियों की सूरत से गिरफ्तारी हो जाती है।

इसी कड़ी में बिजनौर से भी दो लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की बात सामने आ रही है। दरअसल 2015 में जब कमलेश तिवारी ने पैंगबर मोहम्मद साहब के खिलाफ बयान दिया था तब बिजनौर के ही एक मौलाना अनवारुल हक ने तिवारी का सिर कलम करने वाले को 51 लाख रुपये ईनाम देने की सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी। और यूपी पुलिस की शक की सूई इस तरफ भी घूम रही है। लेकिन यह किस तरह से गुजरात से जुड़ती और अगर नहीं जुड़ती है तो फिर दोनों बातें एक साथ कैसे सच हो सकती हैं।

इस गुत्थी को सुलझा पाना यूपी पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। पुलिस ने बिजनौर से अनवारुल हक और नईम काजमी को हिरासत में लिया हुआ है। इस मामले में पुलिस के पास कमलेश तिवारी की पत्नी किरन तिवारी का वह पत्र सबसे ज्यादा सहायक साबित हो रहा है जिसमें उन्होंने अपने पति की हत्या के पीछे बिजनौर के मौलाना के उसी पुरस्कार की घोषणा को प्रमुख कारण बताया है।

हालांकि परिवार के दूसरे सदस्यों और खासकर कमलेश की मां कुसुम तिवारी और उनके बेटे सत्यम ने अपने बयानों में इससे अलग बात कही है। कुसुम तिवारी बार-बार सीतापुर के एक मंदिर के ट्रस्ट की जमीन को लेकर कमलेश के साथ चल रहे विवाद को प्रमुख वजह बतायी है। जिसमें उनकी उसके मालिक शिव कुमार गुप्त जो बीजेपी से भी जुड़े बताए जाते हैं, के साथ रंजिश की बात कही है। और लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने भी घटनास्थल के दौरे के दिन इसी आपसी रंजिश को प्रमुख वजह बताया था। और कुछ इसी तरह के बयान यूपी के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने भी दिए थे। आपको बता दें कि कमलेश तिवारी का पैतृक घर भी सीतापुर में ही है।

कमलेश के परिवार ने इस सिलसिले में नई योगी सरकार द्वारा तिवारी की कम की गयी सुरक्षा व्यवस्था की तरफ भी अंगुली उठायी है। एक वीडियो में कुसुम तिवारी को साफ-साफ कहते सुना जा सकता है कि पिछली सरकार में उनका बेटा सुरक्षित था लेकिन हिंदुओं के हितों की बात करने वाली योगी सरकार उनके बेटे को नहीं बचा सकी। कमलेश तिवारी भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। उन्होंने बार-बार इस सिलसिले में मुख्यमंत्री समेत प्रशासन को पत्र लिखा। कमलेश का एक बयान सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है जिसमें वह सीधे-सीधे बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते दिखते हैं और कहते हैं कि “हिंदुओं के लिए लड़ रहा हूं मेरी मौत के बाद भाजपा और आरएसएस वालों के षड्यंत्र के खिलाफ जरूर लड़ना”।  

हालांकि बाद में गुजरात एटीएस का पक्ष आ जाने और मामले में सूरत से तीन युवकों के गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद यूपी पुलिस के जांच की दिशा बिल्कुल बदल गयी। डीजीपी के मुताबिक गुजरात एटीएस और यूपी पुलिस की मदद से जो लोग भी अभी गिरफ़्त में आए हैं, वो सिर्फ़ साज़िश में शामिल बताए जा रहे हैं। कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले दो संदिग्धों की पुलिस अभी भी तलाश कर रही है।

डीजीपी का कहना था कि उन लोगों की भी पहचान हो गई है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। डीजीपी के मुताबिक, घटनास्थल पर पाए गए मिठाई के डिब्बे से अहम सुराग मिले और पुलिस साज़िशकर्ताओं तक पहुंच सकी।

कमलेश के परिजनों से मिलते योगी।

लेकिन डीजीपी के इस दावे पर कमलेश के परिजनों को भरोसा नहीं है। वो बार-बार कमलेश के साथ बीजेपी नेता की रंजिश की तरफ इशारा कर रहे हैं। साथ ही मामले को किसी हिंदू-मुस्लिम एंगल से न देखने की बात पर जोर दे रहे हैं। खुद कमलेश के बेटे सत्यम तिवारी ने एक वीडियो साक्षात्कार में कहा कि “मुझे नहीं पता है कि जो लोग पकड़े गए हैं उन्हीं लोगों ने मेरे पिता को मारा है या फिर निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है। यदि वास्तव में यही लोग दोषी हैं और इनके ख़िलाफ़ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं तो इसकी जांच एनआईए से कराई जाए क्योंकि हमें इस प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं है।” इसी साक्षात्कार में सत्यम को यह कहते सुना जा सकता है कि सीसीटीवी में आयी तस्वीरों का पकड़े गए लोगों के साथ मिलान कराया जाना चाहिए। अगर मिलता है तो ठीक है। वरना पुलिस को दूसरी दिशा में जांच को आगे बढ़ाना चाहिए।

इस मामले में गुजरात एटीएस और यूपी पुलिस के बीच न केवल तमाम चीजों को लेकर अंतरविरोध है बल्कि वह बार-बार उजागर भी हो जा रहा है। मसलन एटीएस का कहना था कि पकड़े गए तीनों आरोपियों ने अपने गुनाह कबूल कर लिए हैं। जबकि यूपी के डीजीपी का कहना है कि अभी पूछताछ जारी है। इसको लेकर लखनऊ के पत्रकारों के जेहन में भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

इंडिया टुडे के लिए एक दौर में रिपोर्टिंग कर चुके सुभाष मिश्रा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि जिस तरह से डीजीपी ने इस मामले को सुलझाने का दावा करते हुए इसे ख़त्म करने की कोशिश की है, उससे लगता है कि कुछ ज़्यादा ही जल्दबाज़ी दिखाई जा रही है। उनके बयान से साफ़ पता चलता है कि उसे एक ख़ास दिशा में मोड़ने की कोशिश हो रही है जबकि परिजनों के आरोपों से साफ़ तौर पर पता चलता है कि इसके पीछे आपसी रंज़िश और ज़मीनी विवाद से इनकार नहीं किया जा सकता।

इसको और ज्यादा स्पष्ट करते हुए सुभाष मिश्र कहते हैं, “जिन लोगों ने एक संकरी जगह पर जाकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी, उसे पुलिस ढूंढ नहीं पा रही है जबकि उसके पास सीसीटीवी फुटेज हैं, नौकर भी पहचानता है, दूसरे अन्य साक्ष्य भी मौजूद हैं। लेकिन एक ही दिशा में पुलिस अपनी तफ़्तीश को केंद्रित रखे है और वहीं से उसे ख़त्म भी करना चाह रही है।”

लखनऊ के ही एक और पत्रकार कुमार सौवीर भी मामले को निपटाने की पुलिस की इस जल्दबाजी से हतप्रभ हैं।

एक पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “साल 2017 से पहले वो अकसर लखनऊ में धरना-प्रदर्शन करते थे। लेकिन 2017 के बाद सब अचानक कम हो गया या यों कहें कि बंद हो गया। इसी दौरान उन्हें पैग़ंबर साहब के ख़िलाफ़ टिप्पणी के चलते सुरक्षा भी मिल गई।”

रविवार को परिजनों की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हो गयी है। मुलाकात के बाद आए पहले बयान में कमलेश की मां कुसुम तिवारी ने असंतुष्टि जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में 13 दिनों तक किसी के बाहर निकलने की मनाही है। लेकिन प्रशासन ने उनके परिवार पर दबाव डालकर मिलने के लिए मजबूर कर दिया।

उन्होंने कहा कि मामले को लेकर वह मुख्यमंत्री के हाव-भाव दोनों से संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि साथ गयीं पत्नी और बेटे ने संतुष्टि जाहिर की है। और कहा है कि नौकरी,फ्लैट और मुआवजा संबंधी शर्त को मुख्यमंत्री ने पूरा करने का भरोसा दिलाया है।  

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