Tuesday, April 16, 2024

रंग लाया हस्तियों के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे का राष्ट्रव्यापी वरोध, मुजफ्फरपुर पुलिस ने लिया केस वापस

बिहार के मुज़फ्फरपुर में पुलिस को अंततः अपनी भूल का एहसास जनचौक डॉट काम पर दो दिन पहले प्रकाशित ‘शख्सियतों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करवा कर मुज़फ्फरपुर सीजेएम ने उड़ाया ज्यूडिशियरी का मजाक’शीर्षक खबर को देखकर हुआ कि जिन 49 विशिष्ट लोगों के खिलाफ सीजेएम के आदेश के अनुपालन में देशद्रोह का मुकदमा कायम हुआ है वास्तव में धारा 124 के तहत उन पर यह अपराध बनता ही नहीं है। नतीजतन अपनी और फजीहत बचाने के लिए मुजफ्फरपुर (बिहार) के एसएसपी ने बुधवार को इन हस्तियों के खिलाफ दर्ज केस को बंद करने के आदेश दे दिए हैं। अब देश में मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाली 50 हस्तियों के खिलाफ देशद्रोह का केस नहीं चलेगा।

जनचौक डॉट काम में प्रकाशित खबर में क़ानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय का आदेश देश का कानून माना जाता है, इसलिए उच्चतम न्यायालय भी अनुच्छेद 142 के तहत ऐसा आदेश नहीं पारित कर सकता जो कानून के पूरी तरह प्रतिकूल हो। ऐसे में जब उच्चतम न्यायालय ने कई बार फिर साफ-साफ कहा है कि सरकार की आलोचना करने पर किसी के खिलाफ राजद्रोह या मानहानि के मामले नहीं थोपे जा सकते। विधि आयोग ने देशद्रोह  विषय पर एक परामर्श पत्र में कहा कि देश या इसके किसी पहलू की आलोचना को देशद्रोह नहीं माना जा सकता। 8 सितम्बर 2019 को उच्चतम न्यायालय के जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा था कि सरकार की आलोचना करने वाला व्यक्ति कम देशभक्त नहीं होता।

इस खबर के बाद मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा को लगा कि आरोपियों के खिलाफ लगाये गये आरोप शरारतपूर्ण हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है। बिहार पुलिस के एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार ने कहा कि इस मामले के शिकायतकर्ता सुधीर ओझा के खिलाफ आईपीसी की धारा 182/211 के तहत कार्रवाई का भी आदेश दिया गया है। हालांकि अभी तक पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सूर्यकान्त त्रिपाठी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है। पूरे प्रकरण को देखते हुए यह स्पष्ट है की या तो चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सूर्यकान्त तिवारी को सम्यक कानून का ज्ञान नहीं है अथवा सस्ती लोकप्रियता के लिए उनहोंने गैरकानूनी आदेश पारित कर दिया था ।

गौरतलब है कि यह केस स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद दर्ज हुआ था। ओझा ने बताया था कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद मुजफ्फरपुर के सदर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई।

मणिरत्नम, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल और शुभा मुद्गल समेत 50 हस्तियों ने इसी साल जुलाई में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी। पीएम को संबोधित करते हुए चिट्ठी में लिखा गया था कि देश भर में लोगों को जय श्रीराम नारे के आधार पर उकसाने का काम किया जा रहा है। साथ ही दलित, मुस्लिम और दूसरे कमजोर तबकों की मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई थी।

इसके जवाब में दो दिन बाद 61 सेलिब्रिटीज ने खुला पत्र जारी कर पीएम को लिखे गए पत्र को सिलेक्टिव गुस्सा और गलत नरेटिव सेट करने की कोशिश करने वाला बताया था। इस खुला पत्र लिखने वाली हस्तियों में अभिनेत्री कंगना रनौत, लेखक प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंह, मोहन वीणा के वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट और फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर एवं विवेक अग्निहोत्री शामिल थे। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने स्‍पष्‍ट किया था कि इस मामले से उसका या भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि बुद्धिजीवियों और कलाकारों के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे के लिए विपक्ष द्वारा मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से गलत है। जावड़ेकर ने कहा था कि एक याचिका के बाद बिहार की अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।

(लेखक जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ कानूनी मामलों के जानकार भी हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles