महंत नरेंद्र गिरि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हत्या-आत्महत्या का रहस्य और गहराया

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के तीसरे दिन उनके शव का पोस्टमार्टम पांच डॉक्टरों की टीम ने दो घंटे तक किया। कहा जा रहा है कि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होने की पुष्टि हुई है। यह सूचना भी आधिकारिक नहीं बल्कि सूत्रों के हवाले से है। महंत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में पुलिस अफसरों ने अब तक आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। कहा जा रहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट सील कर दी गयी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट की गोपनीयता से मामला और भी उलझता जा रहा है।

इस बीच प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महन्त नरेन्द्र गिरि की दुःखद मृत्यु से जुड़े प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति की गई है। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका आदेश दिया है। इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने ट्वीट करके दी है।

अब जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने नहीं आती तब तक दम घुटने से मौत के लिए केवल फांसी को एकमात्र कारण नहीं माना जा सकता। दरअसल मेडिकल जुरिस्प्रूडेंस के अनुसार हिंसात्मक श्वासावरोध केवल फांसी से ही नहीं बल्कि गला घोंटे जाने, विपाशन(स्ट्रेन्गुलेसन) द्वारा, दम घुटने (सफ्फोकेशन) से, गैगिंग द्वारा, अभिघतिक श्वासावरोध तथा जल में डूबने से श्वासावरोध से भी होता है।

जहां गला घोंटकर हत्या की जाती है वहां चेहरे में सूजन तथा नीलापन आ जाता है, आँखें विस्फारित दिखाई पड़ती हैं, ओठ और नाख़ून नीले पड़ जाते हैं, जीभ बाहर निकल आती है, खून मिला नाक से झाग नकलने लगता है तथा मल मूत्र विसर्जित हो जाता है।

जहां दम घुटने (सफ्फोकेशन) से मृत्यु होती है, उसमें नाक और मुंह बंद हो जाने से हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है या नाक और मुंह द्वारा विषैली गैसें या आक्सीजन विहीन वायु हृदय में प्रवेश करती है तो शरीर का संपूर्ण रक्त प्रदूषित हो जाता है। इस क्रिया द्वारा मृत्यु हो सकती ऐसी दशा में हुई मृत्यु को दम घुटने से हुई मृत्यु कहा जाता है।

गैगिंग में श्वसन क्रिया को अवरुद्ध कर श्वासावरोध कारित किया जा सकता है। जैसे नाक और मुंह को बंद कर अथवा कपड़े ठूंस कर श्वास को अवरुद्ध किया जा सकता है। इस प्रकार किए गए श्वासावरोध को गैगिंग कहते हैं।

अभिघातिक श्वासावरोध (एक्सीडेंटल) उसे कहा जाता है जब किसी व्यक्ति की दुर्घटना हो जाती है और फलस्वरुप उसका सीना दब जाता है तो श्वसनप्रणाली में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। इसे अभिघातिक श्वासावरोध या ट्राउमेटिक श्वासावरोध कहा जाता है।

जब श्वसन क्रिया को हिंसात्मक तरीके से बल प्रयोग द्वारा किसी कठोर वस्तु का उपयोग करके अवरुद्ध किया जाता है और परिणाम स्वरूप मृत्यु हो जाती है तो ऐसे मृत्यु को बिपाशन द्वारा मृत्यु (डेथ बाई स्ट्रेन्गुलेशन) कहा जाता है। ऐसी मौत में चेहरे पर श्यावता और नेत्रों में रक्ताधिक्य दिखाई पड़ता है जीभ पर कटने और नील के निशान देखे जा सकते हैं। कानों के पर्दों से भी खून बहता दिखाई पड़ता है। गले पर निशान प्रयुक्त हथियारों के साइज पर निर्भर करता है।

फांसी से मौत में गर्दन खिंचकर एक तरफ झुक जाती है नाखूनों में नीला बन जाता है। मुंह में लार भी पाया जा सकता है। चेहरे पर सफेदी भी आ सकती है। गर्दन के ऊपरी हिस्से में बंधक का चिन्ह पाया जा सकता है। बंधक चिन्ह की त्वचा के नीचे शुष्क उत्तक पाए जाते हैं। गर्दन खिंची हुई तथा कंठिका का अस्थि भंग भी पाया जाता है। स्वरयंत्र तथा श्वासप्रणाली भी भंग पाई जा सकती है। चेहरे पर घबराहट के चिन्ह, मुट्ठियां भिंची हुईं और आंखें बाहर की ओर निकली हुई पाई जाती हैं। चेहरे पर सूजन, जीभ का बाहर निकलना तथा दांत से कटा हुआ पाया जा सकता है। दायां हृदय रक्त से भरा हुआ तथा बायां खाली पाया जा सकता है।

कानों कान अफवाह फैली थी कि महंत को पहले कोई विष देकर हत्या कर दी गयी और फिर फांसी पर लटका दिया गया। ऐसे में तत्काल उनका पोस्टमार्टम कराया जाना जरुरी था लेकिन तीसरे दिन पोस्टमार्टम कराया गया।

जहर देने की स्थिति में भी श्वासावरोध हो जाता है। अब इसमें दाहिना फेफड़ा खून से भरा हुआ होता है। चेहरे अंगुलियों तथा नाखूनों पर नीला पन होता है। दिमाग में रक्त संकुलन होता है। श्वास प्रणाली (ट्रैकिया) में झाग या खूनी झाग होता है। फेफड़े में रक्त संकलित होने के साथ-साथ बिंदुओं के रूप में नीला लांछन (पगाक्तिफोर्म एकोमोसिस)देखने को मिलता है। 

मोदी की मेडिकल जूरिस्प्रूडेंस के 17 वें संस्करण पृष्ठ 125 के अनुसार श्वासावरोध होने से होने वाली मृत्यु के तत्काल बाद पोस्टमार्टम किया जाए तो हृदय के दोनों और रक्त भरा हुआ मिलता है। लेकिन पोस्टमार्टम में विलंब के कारण मृत्युज काठिन्य प्रारंभ हो जाने के बाद हृदय सिकुड़ा हुआ और खाली मिलता है। बहुत संभव है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु विष के परिणाम स्वरूप हुई है लेकिन मृत्यु के पश्चात उसके शरीर में कोई भी विष ना मिले तब हो सकता है कि सारा विष वाष्प द्वारा फेफड़ों से गायब हो चुका हो और कफ या दस्त के जरिए आमाशय या आँतों से निकल चुका हो और तत्पश्चात वह विष रहा हो, घुल-मिल गया हो और गुर्दे के रास्ते या अन्य मार्गों से शरीर से बाहर निकल गया हो। जिन मामलों में मार्फीन दिया गया हो उसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत शरीर में से कोई चिन्ह नहीं मिलते जो विशेष रूप से विलक्षण हो।

इसलिए जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट को मेडिकल जूरिस्प्रूडेंस की कसौटी पर विशेषज्ञों द्वारा नहीं कसा जाता तब तक हवाहवाई बातों का कोई अर्थ नहीं है।

नरेंद्र गिरि को भू-समाधि

इस बीच कल पोस्टमार्टम के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को बुधवार दोपहर प्रयागराज स्थित श्री मठ बाघबंरी गद्दी के परिसर में भू-समाधि दी गई। दो आरोपी अदालत में पेश कर जेल भी भेज दिए गए हैं।

प्रयागराज की पुलिस अभी भी इस कांड से सम्बन्धित सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं है। फिलहाल कुछ भी पूछने पर अफसर एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने का हवाला देकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अखाड़ों के साधु-संतों और श्री मठ बाघंबरी गद्दी से जुड़े भक्तों के साथ ही आमजन के मन में भी महंत की मौत को लेकर कई शंकाएं और सवाल हैं। सभी चाहते हैं कि महंत की मौत का रहस्य पुलिस जल्द सुलझाए और हकीकत को सबके सामने लाये।

अभी तक स्पष्ट नहीं है कि महंत के कमरे में सल्फास की डिब्बी कहां से आई? इसे लेकर आने वाला कौन था? महंत नरेंद्र गिरि ने जिस कमरे में 20 सितंबर को फांसी लगाई थी, उसमें 2 दरवाजे थे। पुलिस के पहुंचने पर पीछे की तरफ का दरवाजा खुला था या बंद? पुलिस के पहुंचने से पहले ही शव को फंदे से नीचे उतार कर क्राइम सीन और साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ क्यों की गई? छेड़छाड़ करने वाले प्रथमद्रष्ट्या नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के चश्मदीद भी हैं और हत्या की स्थिति में आरोपी भी। पुलिस को बिना बुलाये कमरे का दरवाजा तोड़कर तथा शव को फंदे से उतार कर क्राइम सीन और साक्ष्य से छेड़छाड़ क्यों हुई?

महंत को हरिद्वार से आखिरकार 13 और 20 सितंबर को किसने फोन किया था? उन्हें कौन धमका रहा था कि उनका अश्लील वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। 13 और 20 सितंबर को जब महंत को धमकी भरी कॉल आई, तो उन्होंने पुलिस या प्रशासन से संपर्क क्यों नहीं किया? महंत के सुसाइड नोट में काले और नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया है। क्या उनके कमरे में दो रंग के पेन थे? महंत के सुसाइड नोट में 25 जगह काटा गया है। जहां काटा गया है या डेट बदली गई है, उसके लिए नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया है और बाकी काले रंग की पेन से लिखा हुआ था।

आनंद गिरि और आद्या तिवारी व उसके बेटे संदीप का नाम सुसाइड नोट में बार-बार लिखा गया है। अमूमन ऐसा सुसाइड नोट लिख कर आत्महत्या करने वाले नहीं करते। महंत के मोबाइल में उनकी मौत से पहले सुसाइड नोट वाली बातों की वीडियो रिकार्डिंग है। वीडियो रिकॉर्डिंग महंत ने की या किसी और ने की? जब सुसाइड नोट में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी तीनों का जिक्र था तो एफआईआर में सिर्फ एक को नामजद क्यों किया गया?

महंत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में पुलिस अफसरों ने गोपनीयता क्यों रखी है? आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को गिरफ्तार किया गया। महंत की मौत में एक एडिशनल एसपी, सपा के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता की भूमिका को पुलिस ने स्पष्ट नहीं किया। यही नहीं सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री और जिले के आला पुलिस अफसरों का नाम भी महंत के साथ भूमि सौदे में आ रहा है, इस पर पुलिस ने क्यों चुप्पी साध रखी है?

बलवीर से पूछताछ

महंत नरेंद्र गिरि भू-समाधि की अंतिम प्रक्रिया के संपन्न होने के साथ ही एसआईटी टीम मठ पहुंची। टीम नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर से पूछताछ किया। मठ के अंदर एसपी, डीएम भी साथ में थे ।

कल तक खुद को गद्दी का अगला उत्तराधिकारी बता रहे बलवीर अपने बयान से पलट गए। अब उनका कहना है कि उत्तराधिकारी कौन होगा, ये निर्णय पंच परमेश्वर लेंगे। इससे पहले बलवीर कह रहे थे कि सुसाइड लेटर में गुरु जी नरेंद्र गिरि की ही राइटिंग है और वह उत्तराधिकारी बनने को तैयार हैं। अब वह बोल रहे हैं कि उन्होनें गुरुजी की राइटिंग नहीं पहचानी है।

महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार की शाम 5:20 बजे उनके बाघंबरी मठ के कमरे में फांसी के फंदे पर मिला था। मंगलवार को उनका 11 पन्नों का सुसाइड नोट सामने आया था। इसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए शिष्य आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को जिम्मेदार बताया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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