अनाथ बच्चों को एजुकेशन लोन, 23 साल पूरे होने पर 10 लाख रुपये फंड, और 18 साल के बाद मासिक वजीफा देगी नरेंद्र मोदी सरकार

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों का मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा था, जिसके दबाव से उबरने के लिये मोदी सरकार ने एक और जुमला योजना उछाल दिया है। जिसमें तुरंत तो कुछ नहीं मिलना मिलाना है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को घोषणा की है कि कोरोना महामारी के कारण माता-पिता या अभिभावक दोनों को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना’ के तहत सहायता दी जाएगी। योजना के तहत ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपए का फंड मिलेगा। इसके अलावा मोदी सरकार इन बच्चों को हायर एजुकेशन लोन भी देगी। और आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा देगी सरकार। 

योगी आदित्यनाथ ने हर महीने 4000 रुपये देने की घोषणा की 

वहीं अब से कुछ देर पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकर ने कोरोना में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिये ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के नाम पर ये योजना संचालित करने की घोषणा की है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यूपी सरकार ऐसे बच्चों के वयस्क होने तक 4000 रुपये प्रति माह वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी, ये सहायता उनके केयरटेकर को दी जाएगी। वहीं, 10 साल से कम आयु के ऐसे बच्चे जिनका कोई केयरटेकर नहीं है, उनके आवास की व्यवस्था बाल गृह में की जाएगी, जिसका ख़र्च सरकार उठाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अनाथ बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये राज्यों को दिया आदेश

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही यानि 28 मई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को ऐसे बच्चों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया था, जो मार्च 2020 के बाद से अनाथ हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कल अपने आदेश में कहा था कि केंद्र और राज्य के वकील को इस मामले में नवीनतम जानकारी मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बच्चों के अधिकारों की रक्षा और बिना सरकारी आदेश के भी उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने का आदेश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा कि ऐसे आप बच्चों की पीड़ा को समझेंगे और तुरंत स्थिति का समाधान करेंगे। 

इससे पहले 25 मई मंगलवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यों से मिली रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि इस साल 01 अप्रैल से 26 मई दोपहर दो बजे तक 577 बच्चे कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में अपने माता-पिता के निधन के कारण अनाथ हो गए हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि सरकार कोविड के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले हर बच्चे के संरक्षण एवं सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। 

सोनिया गांधी ने अनाथ बच्चों को लेकर प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र

इससे पहले 20 मई गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि- “इन बच्चों को बेहतर भविष्य की उम्मीद देना राष्ट्र के तौर पर सबकी जिम्मेदारी है। कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के बीच कई बच्चों का अपने माता-पिता में से किसी एक या फिर दोनों को खोने की खबरें आ रही हैं, जो तकलीफदेह हैं। ये बच्चे सदमे में हैं और इनकी सतत शिक्षा और भविष्य के लिए कोई मदद उपलब्ध नहीं है।”

उन्होंने पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में शुरू किए गए नवोदय विद्यालयों का उल्लेख करते हुये कहा मोदी से आग्रह किया था कि- “इस समय देश में 661 नवोदय विद्यालय चल रहे हैं। उन बच्चों को इन नवोदय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के बारे में विचार किया जाए। जिन्होंने कोरोना के कारण अपने पिता या पैरंट्स को खो दिया है। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्र में नरेंद्र मोदी को उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाते हुये कहा था कि – “मुझे लगता है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम अकल्पनीय त्रासदी से गुजरने के बाद इन बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद दें।” 

कांग्रेस अध्यक्ष के पत्र पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ट्वीट करके कहा था कि- “केंद्र सरकार को सोनिया गांधी के सुझावों को सुनना चाहिए।”

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा था कि -“कोरोना के सदमे से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में बच्चे भी शामिल हैं। कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने और नवोदय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। सरकार को यह सुनना चाहिए।”

केरल सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को तत्काल 5 लाख रुपये और मुफ़्त शिक्षा का एलान 

27 मई को कोविड-19 में अनाथ हुये बच्चों की बेहतर परवरिश के लिये केरल सरकार ने राहत पैकेज का एलान किया था। इसके तहत पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार कोविड में अनाथ हुये बच्चों को 3 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता देगी इसके साथ ही बच्चे के बालिग होने तक हर महीने 2000 रुपये मासिक सहायता राशि भी देगी। इसके अलावा केरल सरकार ऐसे बच्चों की स्नातक तक की पूरी पढ़ाई का खर्च वहन करेगी। 

25 साल की आयु तक 2500 रुपये महीने देगी केजरीवाल सरकार

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना में अनाथ हुये बच्चों को उनकी 25 साल की उम्र तक ढ़ाई हज़ार रुपए देगी। साथ ही उनकी एज्यूकेशन भी मुफ्त कर दी जाएगी। “

अनाथ बच्चों के लिए क्या कर रहीं राज्य सरकारें

केरल

-2000 / माह 

-मुफ्त शिक्षा 

-3 लाख रुपये की तत्काल सहायता

दिल्ली

-2500 रुपये/महीना (25 साल तक)

-शिक्षा मुफ्त

मध्य प्रदेश

-5000 रुपये/महीना

-मुफ्त शिक्षा, मुफ्त राशन

उत्तराखंड

-3000 रुपये/महीना (21 साल तक)

-सरकारी नौकरी में 5% आरक्षण

-मुफ्त शिक्षा, रोजगार की ट्रेनिंग

हिमाचल प्रदेश

-2500 रुपये/महीना (18 साल तक)

उत्तर प्रदेश

सरकार उठाएगी सारे खर्च

छत्तीसगढ़

सरकार उठाएगी सारे खर्च

जम्मू-कश्मीर

स्कॉलरशिप दी जाएगी

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