ग्राउंड रिपोर्ट: बीमारी बांट रहा चंदौली जिला अस्पताल, सीएमएस ने कहा- ‘मेरी कोई नहीं सुनता’

Estimated read time 1 min read

चंदौली। कृषि, किसान मजदूर और 90 फीसदी ग्रामीण जनसंख्या वाले जनपद चंदौली के जिला अस्पताल में रोजाना तकरीबन 1200 से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। मंगलवार की सुबह हजारों मरीज और तीमारदारों के लिए दोहरी मुसीबत झेलनी पड़ी। एक तरफ जहां कई डॉक्टर व कर्मचारी ओपीडी के निर्धारित समय सुबह आठ बजे नहीं पहुंचे। वहीं, जिला अस्पताल के जलजमाव के बीच से इलाज के लिए पर्ची, जांच, मरीजों से मिलने, दवा लाने, गर्म पानी व फल-नाश्ता लाने आदि के लिए लोगों को भागदौड़ करना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में जलजमाव होने से महिलाएं, बुजुर्ग और बाल मरीजों को दिक्कत हो रही है।

घुटने तक जलजमाव के बीच से पर्ची लेकर लौटती महिला मरीज

सुदूर गांवों से आये मरीजों को पर्चा कटवाने के लिए जल जमाव व कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं स्ट्रेचर और ह्वील चेयर पर आने-जाने वाले मरीजों को कीचड़ और गड्ढे युक्त रास्ते से वहां और अस्पताल तक जाने में बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही अस्पताल खुलते ही स्ट्रेचर इमरजेंसी के सामने बारिश में ही छोड़ दिया गया, जो बारिश में भीगता रहा।

पोस्टमार्टम हॉउस के मुख्य गेट पर डेड बॉडी के वेस्ट कवर बैग खुले में फेंके गए हैं। ये तस्वीरें जिला अस्पताल की हैं, जो जिलाधिकारी कार्यालय से महज एक या दो किमी की दूरी पर स्थित है। जब चंदौली नगर में स्थित जिला अस्पताल में इतनी बदइंतजामी और जल-जमाव से संचारी रोगों के पनपने की आशंका है। ऐसे में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाजा लगाना कठिन काम नहीं है।

खुले में फेंका गया डेड बॉडी का वेस्टेज कवर

जिला मुख्यालय से महज एक- दो किमी की दूरी पर स्थित जिला चिकित्सालय की बदहाली किसी छिपी नहीं है। यहां तक की जनप्रतिनिधि पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने तक ही जनता की परेशानियों से वास्ता रखते हैं। जमीनी हकीकत यह है कि मंगलवार को अपने मर्ज का इलाज कराने आ रहे लोग घुटने तक पानी से होकर दवा व इलाज के लिए परेशान होते रहे, मरीज और तीमारदारों की यह परेशानी किसी भी जिम्मेदार को नहीं दिखती।

जलजमाव से मरीजों को होती परेशानी

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि देश और प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद के ग्रामीण मरीजों को अस्पताल की अव्यवस्था से खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। “जनचौक” से अस्पताल की अव्यवस्था, अस्पताल कर्मियों-डॉक्टरों और नर्सों की लेट-लतीफी पर चंदौली जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. सत्यप्रकाश का कहना है कि “कैंपस से पानी निकालने वाली कार्यदायी एजेंसी, नगर पंचायत चंदौली के ईओ व अन्य कर्मचारी मेरी नहीं सुनते हैं।” लिहाजा, अस्पताल की व्यवस्था जैसे-तैसे चल रही है।

मंगलवार सुबह नौ बजे ओपीडी की सफाई, डॉक्टर नदारद

जलालपुर-कांटा के शैलेन्द्र कुमार अपनी पत्नी को लेकर कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। वह जनचौक से बताते हैं कि “सोमवार की रात तकरीबन बारह बजे मेरी पत्नी का तबियत अधिक बिगड़ गयी तो नर्स को बुलाने गया। तीन-चार बार बुलाने के बाद भी नर्स नहीं आयी। कई बार मिन्नत करने के बाद आई तब जाकर इंजेक्शन लगाया। रात में अचानक से पंखे बंद हो जाते हैं। बेड के नीचे सोने और पंखे के चलने के बावजूद मच्छरों के आतंक से सभी मरीज और तीमारदार परेशान हैं।

जिला अस्पताल में अव्यवस्था और मुंह चिढ़ाता संचारी रोग कंट्रोल का पोस्टर

शैलेन्द्र आगे कहते हैं “ यहां आम मरीजों की कम सुनवाई होती है। जिनका अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों से जान-पहचान है। उनकी सुनवाई जल्द हो जाती है, नियमित जांच, दवाई भी जल्दी मिल जाती है। जिनका कोई पहचान नहीं है, वे भटकते रहते हैं। भगवान भरोसे।”

जानलेवा मच्छरों के पनपने की आशंका

जिला अस्पताल में अव्यवस्था हावी है। एक तरफ तो मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल रहा है, दूसरी ओर बीमारियां फैलने का भी पूरा बंदोबस्त मानसून की वजह से है। पूरे परिसर में कई-कई दिनों तक पानी भरा रहता है। मरीजों के इस्तेमाल होने वाले कूड़े को भी खुले में फेंक दिया जाता है। जगह-जगह जलभराव हो रहा है। इससे तो अस्पताल में ही संक्रामक रोग फैलने की आशंका बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग कैंप लगाकर लोगों को जागरूक कर रहा है कि घर में या आस-पास पानी इकट्ठा न हो और सफाई रखी जाए।

वार्ड के पास में कूड़े का ढेर

संक्रामक बीमारियों से बचने का यह एक बड़ा माध्यम है। यह अपील लोगों को तो जागरूक कर रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अपने अहाते में नजर नहीं जा रही है। यहां गंदगी भी है और जलभराव भी है। यहां जानलेवा मच्छरों के पनपने से इनकार भी नहीं किया जा सकता। यह हाल जिला अस्पताल का है। अस्पताल के चारों ओर गंदा पानी भरा हुआ है। अस्पताल से निकलने वाले कूड़े को खुले में फेंक जा रहा है, जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना हुआ है।

बढ़ सकती है बीमारी

गोरारी-हथियानी गांव से आये विपिन यादव ने बताया कि जल निकासी ध्वस्त होने और रास्ते में गंदा पानी भरने से मेरा जूता भीग गया। साथ ही कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंदा पानी भरने से मच्छरों की भरमार हो सकती है और लोग बुखार और डायरिया की चपेट में आ सकते हैं। आखिर कर क्या रहा है अस्पताल प्रशासन ?

मरीज बढ़ रहे लेकिन नहीं बढ़ाये जा रहे बेड

सौ बेड के संयुक्त जिला अस्पताल में आये दिन बेड फुल होने से मरीज व तीमारदार को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सौ बेड के अस्पताल में रोज करीब 50 मरीज भर्ती होते हैं। जानकारी के अनुसार अस्पताल द्वारा रोजाना 10 से 12 गंभीर मरीजों को बाहर रेफर करना पड़ रहा है। यह स्थित एक दो दिन से नहीं है बल्कि महीने भर से बनी हुई है। इस महीने में 25 दिन से अधिक अस्पताल के सारे बेड फुल रहे। पिछले सात वर्षों से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन अस्पताल में बेड नहीं बढ़ाए गए।

बारिश में भीगता स्ट्रेचर और जमा पानी

आंकड़ों पर एक नजर डाले तो चंदौली जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या (रोजाना) ओपीडी में 1300 और इमरजेंसी में करीब 70-80 मरीज रोज पहुंचते हैं। 100 बेड के अस्पताल में रोज करीब 50 मरीज भर्ती होते हैं।

वार्डों में अस्पताल कर्मी चला रहे मनमाने नियम

अभी कुछ दिन पहले ही जिला अस्पताल चंदौली में नो बेड का बोर्ड लगा दिया गया। अस्पताल में उपचार कराने आए हसनपुर निवासी रामदुलार यादव समेत कई मरीजों को भर्ती करने से इन्कार करते हुए लौटा दिया गया। चहनियां ब्लॉक के हसनपुर गांव निवासी रामदुलार यादव ने बताया कि “दो महीने से उनकी तबीयत खराब चल रही है।

अपना इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल आया था, जहां डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन, जब इमरजेंसी कक्ष में गया तो वहां चिकित्सक ने मेरे पर्ची पर लिख दिया कि अस्पताल के वार्ड में बेड खाली नहीं है। मुझे काफी तकलीफ है, बीमारी की वजह से चलने-फिरने में असमर्थ हूं। मजबूरी में अब निजी हॉस्पिटल में इलाज के लिए जाना पड़ेगा।”

रामदुलार यादव

बेड फुल होने की नोटिस चस्पा होने के प्रकरण में जब वार्ड इंचार्ज (मेल वार्ड) सरंधा राय से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है। उक्त सूची के बाबत आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में तैनात चिकित्सक से बात की गई है। फिलहाल उक्त नोटिस को हटा दिया गया है।

चंदौली के वरिष्ठ समाजसेवी भोलानाथ शर्मा ने बताया कि “जब भी मैं जिला अस्पताल में जाता हूं, कोई न कोई अव्यवस्था मिलती है। अस्पताल के कई चिकित्सक, नर्स और अन्य कर्मचारी जिला अस्पताल का नियम ही नहीं मानते हैं। आप कभी भी ओपीडी के खुलने के समय पहुंचकर इनकी जिम्मेदारी की रियल्टी चेक कर सकते हैं। सुबह नौ बजे जब ओपीडी में चिकित्सक को मरीज देखना चाहिए तब सफाई कर्मी ओपीडी कक्ष में झाड़ू लगाता है।

कुछ पूछने पर लड़ने पर आमादा हो जाते हैं। इन दिनों पूरे अस्पताल परिसर में पानी भरा हुआ है। दूर-दराज से आये मरीज और तीमारदार भीगकर, फिसलकर और जान-जोखिम में डालकर इलाज कराने को विवश है। इतना ही प्रदेश में भर संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है।

जिसका शुभारंभ या फोटो सेशन कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य महकमा ने जिलाधिकारी के साथ करवाया था। इसके बाद मानो वे भूल गए कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान को सफल कैसे बनाना है।”

(पवन कुमार मौर्य बनारस और चंदौली के पत्रकार हैं ।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author