क्या किसी राज्य विशेष में किसी विशेष राजनीतिक दल की सरकार को चलवाते रहने का दायित्व देश की स्वायत्त संस्थाओं विशेषकर चुनाव आयोग और लोकतंत्र के चार खम्भों में सबसे महत्वपूर्ण खम्भे न्यायपालिका ने ग्रहण कर लिया है? यह सवाल कर्नाटक के उपचुनावों को लेकर चल रहे घटनाक्रम से उठ खड़ा हुआ है। इस मामले में चुनाव आयोग की अप्रत्याशित तेजी से राजनीतिक प्रेक्षक हतप्रभ हो गए हैं।
कर्नाटक के दलबदल करने के मामले में जिन दोषी विधायकों ने उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं डाल रखी थीं उन पर समय से सुनवाई नहीं हुई। फिर चुनाव आयोग ने कर्नाटक सहित कई राज्यों के उपचुनाव घोषित कर दिए। तब अचानक कर्नाटक के अयोग्य घोषित विधायकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात उठी और उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से उप चुनाव टालने के सम्बंध में पूछ लिया। चुनाव आयोग ने न केवल उपचुनाव टाल दिया बल्कि सिर्फ एक दिन में ही चुनाव आयोग ने कर्नाटक उपचुनाव पर फैसला बदलकर नयी तारीख घोषित कर दी। कर्नाटक में अब 5 दिसंबर को सभी 15 सीटों पर मतदान होगा।
दरअसल देश की स्वायत्त संस्थाएं जिस तेजी से अपने फैसले बदल रही हैं, उससे आम लोगों के मन में संशय पैदा हो रहा है। पीएमसी बैंक मामले में पहले आरबीआई ने सिर्फ एक दिन में अपना फैसला बदला, तो अब चुनाव आयोग ने कर्नाटक उप चुनाव को लेकर अपने फैसले में बदलाव किया है। वैसे भी देश में सभी स्वायत्त संस्थाओं के नष्ट करने के आरोप लग रहे हैं। कश्मीर में संविधान और कानून के शासन की अवधारणा पर न चलकर न्यायपालिका राष्ट्रवादी मोड में है। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां लोकतांत्रिक अधिकारों पर न्यायपालिका मौन है क्योंकि सत्ता को यह सूट कर रहा है।
कर्नाटक की सभी 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव अब 5 दिसंबर को होगा और वोटों की गिनती 9 दिसंबर को होगी। यह ऐलान चुनाव आयोग ने किया है। हालांकि गुरुवार को ही चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था। आयोग ने चुनाव टालने का फैसला उच्चतम न्यायालय में उन विधायकों की याचिका के मद्देनजर किया था, जिन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होनी है।
गौरतलब है कि 21 सितंबर को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया था। इन दोनों राज्यों में 21 अक्टूबर को मतदान होना है और वोटों की गिनती 24 अक्टूबर को होगी। इसके अलावा आयोग ने 63 अन्य विधानसभा सीटों पर चुनाव का भी ऐलान किया था। इन सीटों में सबसे ज्यादा 15 सीटें कर्नाटक की हैं। इसके अलावा एक लोकसभा सीट के उपचुनाव का भी ऐलान किया गया था।
कर्नाटक में जिन 15 सीटों पर उप चुनाव होना है, वे उन बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद खाली हुई हैं, जिन्होंने पूर्व की कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा स्पीकर ने इन सभी विधायकों को 5 साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा था कि पूर्वघोषित तारीखों पर उपचुनाव कराया जाता तो दल बदल से बनी येदियुरप्पा सरकार गिर सकती थी क्योंकि चुनाव परिणाम अप्रत्याशित हो सकते थे। फिलहाल राज्य सरकार और अयोग्य घोषित बागी विधायकों को जीवनदान मिल गया है।
(पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह का पूरा लेख।)
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