Thursday, April 25, 2024

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह को नोटिस

राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर पीठ ने  संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी प्रकरण में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनकी पत्नी नोनाद कंवर को नोटिस जारी किए हैं। हाई कोर्ट की ओर से इस मामले में 17 अन्य लोगों को भी नोटिस भेजे गए हैं। पिछले दो साल से राजस्थान की सियासत में इस प्रकरण ने खासा हड़कंप मचा रखा है। कांग्रेस सरकार को गिराने के प्रयास और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निशाने पर रहे हैं। अब कोर्ट से मिले नोटिस ने फिर से मामला गरमा दिया है।

हाई कोर्ट ने इस मामले में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उनकी पत्नी नोनाद कंवर, होम एंड अफेयर्स सेक्रेट्री के माध्यम से केंद्र सरकार, फाइनेंस मिनिस्ट्री के सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एवं फार्मर वेलफेयर डिपार्मेंट के सचिव, कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री के सचिव, सीबीआई, एनफोर्समेंट डायरेक्टर, ईडी के जोनल ऑफिस जयपुर, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन (एसएफआई) डायरेक्टर, सेंट्रल रजिस्टर मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी, बैंक ऑफ इंडिया के रिसीवर, संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी बाड़मेर, विक्रम सिंह इंद्रोई, विनोद कंवर आदि को पक्षकार बनाया है तथा सभी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

देश में एक लाख 46 हजार निवेशकों के एक हजार करोड़ से भी अधिक रुपये हड़प लेने वाली संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विजय विश्नोई की एकल पीठ ने जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उनकी पत्नी नोनाद कंवर सहित करीब 14 पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी में काफी निवेशकों ने भारी रकम निवेश की तथा संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी की ओर से निवेशकों को रकम को नहीं लौटाने पर निवेशकों ने संजीवनी पीड़ित संघ के नाम से संस्था बनाई थी। संस्था की याचिका में कहा गया है कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी ने भारी निवेश करवाकर विक्रम सिंह और सहयोगियों ने छल कपट किया तथा फर्जी रिकॉर्ड पोस्टर दिखा कर निवेशकों को धोखे में रखा। याचिका में अनुतोष मांगा गया है कि मामले की जांच ईडी, एसएफआईओ, सीबीआई से करवाई जाए तथा सोसायटी की संपूर्ण संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त किया जाए। साथ ही निवेशकों को भुगतान करवाया जाए।

राजस्थान में संजीवनी की 211 एवं गुजरात में 26 शाखाएं हैं। दोनों राज्यों में कुल 237 शाखाएं खोली गईं। राजस्थान से करीब 1,46,991 निवेशकों से 953 करोड़ से अधिक की ठगी की गई है। सोसायटी की लेखा पुस्तकों में 1100 करोड़ रुपये के ऋण दर्शित किए गए हैं, इनमें अधिकतर बोगस ग्राहक हैं। ऐसे बोगस ऋणों की संख्या करीब 55 हजार है एवं औसत ऋण प्रति व्यक्ति करीब दो लाख रुपये है।

कुल ऋण करीब 1100 करोड़ रुपये का दर्शाया गया है। एसओजी की जांच में सामने आया कि जिन व्यक्तियों के नाम ऋण स्वीकृत किया गया है, जांच में उन व्यक्तियों के कूट रचित हस्ताक्षर सामने आए। 1100 करोड़ रुपये ऋण बांटना दर्शाया गया है, जो अपने आप में संदेह के घेरे में हैं। ऐसे में एसओजी की टीम पूरे मामले में रिकॉर्ड की जांच कर रही है।

संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने अपनी शाखाओं के विस्तार के साथ ही ग्राहकों की सुविधा के लिए एटीएम तक लगा दिए थे, जबकि क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी एटीएम नहीं लगा सकती थी। इन एटीएम के उद‌्‌घाटन के लिए राजनेता और सरकारी अधिकारी भी शरीक हुए थे।

इसके पहले केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर अब राजस्थान के बहुचर्चित संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शामिल होने के आरोप पर  जयपुर की एडीजे कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच के आदेश भी जारी कर दिए थे।

राजस्थान में कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले की बात लगातार सामने आ रही थी, जिसमें आदर्श, नवजीवन के अलावा संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी की ओर से भी घोटाले की बात सामने आई थी। सोसायटी के खिलाफ निवेशकों से उनकी जमा पूंजी पर अधिक ब्याज, मोटे मुनाफे का लालच देकर ठगी करने का आरोप लगाया गया था। बाड़मेर में पहली क्रेडिट सोसायटी के रूप में संजीवनी वर्ष 2007 में शुरू हुई थी।

दरअसल इसी दौर में बाड़मेर जिले में तेल-गैस, लिग्नाइट जैसे खनिज और ईधन क्षेत्रों में बड़ा व्यापारिक बूम आया था। यहां तेल-गैस कंपनियों के बाड़मेर में निवेश और भूमि अवाप्ति से गरीब किसानों के पास भी करोड़ों रुपये आए थे। इस दौरान सोसायटी ने लोगों को लुभावने वादों के साथ झांसे में लिया और कम समय में दोगुनी-तिगुनी राशि करने का झांसा देकर हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपये की पूंजी जमा कर ली। निवेशकों की पूंजी पर आलीशान दफ्तर, गाड़ियां और फ्लैट खरीद लिए गए। ऐश-मौज की जिंदगी के साथ ही जोधपुर में तीन मंजिला प्रधान कार्यालय खोल दिया गया।

इस मामले के संज्ञान में आने के बाद राजस्थान की एसओजी की ओर से इस मामले में सरगना को 23 अगस्त 2019 में एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तार कर लिया था। सीएमडी विक्रम सिंह इंद्रोई और चार अन्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद से लगातार इस मामले को लेकर जांच की जा रही है। साथ ही मामले की सुनवाई भी कोर्ट में चल रही है। मामले का खुलासा निवेशकों की ओर से शिकायत करने के बाद हुआ, जिसके बाद जब कंपनी की बैलेंस शीट खंगाली गई, तो उसमें एक हजार करोड़ जमा कर 11 सौ करोड़ के बोगस ऋण दिखाए गए। साथ ही बैलेंस शीट जीरो दिखाई गई। देश में 1.46 लाख निवेशकों के एक हजार करोड़ रुपये हड़पने और वित्तीय अनियमित्ताओं से जुड़ा यह बड़ा मामला राजस्थान में इस रूप में सामने आया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों का जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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