पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने जानी-मानी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को उनके गीत ‘यूपी में का बा’ के लिए सीआरपीसी की धारा 160 के तहत भेजी गयी नोटिस का कड़ा विरोध किया है। पीयूसीएल ने इस नोटिस की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए यूपी सरकार की कार्रवाई को अभिव्यक्ति और आलोचना की आजादी के खिलाफ बताया है।
पीयूसीएल ने नेहा सिंह राठौर के खिलाफ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए योगी सरकार से इस नोटिस को तत्काल वापस लेने की मांग की है। पीयूसीएल ने कहा कि ऐसी सरकारी कार्रवाइयां जनपक्षीय अभिव्यक्तियों को हतोत्साहित करेंगी और समाज को प्रतिकूल सन्देश देंगी।
पीयूसीएल उत्तर प्रदेश संयोजक फरमान नकवी ने कहा कि ‘नेहा सिंह राठौर एक प्रतिष्ठित लोक गायिका हैं। कानपुर देहात में योगी सरकार द्वारा बुलडोजर से घर गिराये जाने के दौरान आग लगने से मां-बेटी की मौत की दर्दनाक घटना घटित होने के बाद नेहा ने इस घटना अपने गीत में ढाला था। जिसके बाद समाज में वैमनस्यता फैलाने और तनाव पैदा करने का आरोप लगा कर उन्हें नोटिस भेजी गयी।’
पीयूसीएल संयोजक ने कहा कि सांस्कृति, साहित्य और कला का क्षेत्र सरकारों के निशाने पर होना, खतरनाक संकेत है। आम जनता के अधिकारों के पक्ष में मुखरता ही किसी कलाकार-साहित्यकार का मौलिक कर्तव्य होता है और संविधान उनके इस मौलिक कर्तव्य को संरक्षण देता है।
उन्होंने कहा कि नेहा सिंह राठौर की पुलिसिया घेराबंदी आमजन के सांस्कृतिक आंदोलन को कैद करने की कलुषित कार्रवाई है। सामाजिक-सांस्कृतिक आवाजों को दबाने से सरकार को बाज आना चाहिए, क्योंकि अभिव्यक्ति की आज़ादी संविधान प्रदत्त अधिकार है।
नेहा सिंह अपने गीतों के जरिये बेरोजगारी, उत्पीड़न समेत जनता के तमाम सवालों को प्रमुखता से उठती रही हैं। मौजूदा गीत में भी उन्होंने सरकार की तानाशाहीपूर्ण बुलडोजरी कार्रवाई पर सवाल उठाया है। यूपी पुलिस की यह कार्रवाई बोलने की आजादी पर हमला है और उन्हें नोटिस जारी करना सरकार की दमनकारी नीति का हिस्सा है।
पीयूसीएल संयोजक ने कहा कि हम मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमालावर होने की बजाय कानून और संविधान के शासन को स्थापित करे।
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