9 अगस्त सोमवार को ट्रिब्यूनल रिफॉर्म बिल 2021 को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। बता दें कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म बिल 2021 लोकसभा में 3 अगस्त को ही पास हो चुका है। इस विधेयक के जरिए जिन ट्रिब्यूनल्स को खत्म किया जा रहा है उनमें फिल्म सर्टिफिकेशन अपीली ट्रिब्यूनल भी शामिल है।
इस बिल के जरिए सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952, कस्टम्स एक्ट 1962, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्टर 1994, ट्रेड मार्क्स एक्ट 1999 और प्लांट वैरायटीज व फार्मर्स राइट एक्ट 2001 समेत कई अन्य कानूनों में सुधार किया जाएगा।
बता दें कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ट्रिब्यूनल्स के रैशनलाइजेशन की प्रक्रिया साल 2015 में ही शुरू कर दी थी। पहले चरण में ऐसे ट्रिब्यूनल्स को खत्म किया गया था जो उनके मुताबिक ज़रूरी नहीं थे। ऐसे कई ट्रिब्यूनल्स को उनसे मिलते-जुलते काम वाले ट्रिब्यूनल्स में मर्ज कर दिया गया था। इसी कड़ी में फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिए सात ट्रिब्यूनल्स का अस्तित्व खत्म किया गया था। इन सभी का काम क़रीब एक जैसा ही था। इसके बाद ऐसे ट्रिब्यूनल्स की संख्या 26 से घटकर 19 हो गई थी। बिल में कहा गया है पिछले तीन साल के दौरान इनका विश्लेषण किया गया है। इनसे मिले आंकड़े दिखाते हैं कि यह ट्रिब्यूनल्स न्याय प्रक्रिया में किसी तरह की तेजी नहीं ला रहे थे और खर्च भी बढ़ा रहे थे।
राज्यसभा में बिल पेश करने के दौरान कांग्रेस सांसदों ने इस पर सवाल उठाया कि सरकार देश की न्याय व्यवस्था को नज़रअंदाज कर रही है। कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने सदन में कहा कि – “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये अध्यादेश असंवैधानिक है। और आर्टिकल 14 के ख़िलाफ़ है। देश की न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ है।
गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म बिल 2021 पास होने के बाद देश से 9 ट्रिब्यूनल खत्म हो जायेंगे।
राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पलटवार करते हुए कहा कि यह वही कांग्रेस है, जिसने इमरजेंसी के दौरान न्यायपालिका को ताख पर रख दिया। आज इस पार्टी को न्यायिक स्वतंत्रता की परवाह होने लगी। इस दौरान विपक्ष सदन के वेल में नारेबाजी कर रहा था। वहीं सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। निर्मला सीतारमण ने इस बात को भी खारिज़ किया कि इस बिल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार किया गया है। उन्होंने कहा कि हम यहां पर कानून बनाने के लिए हैं। यह देखना हमारी जिम्मेदारी है कि इस प्रक्रिया में संविधान का उल्लंघन न हो। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने विपक्ष को आश्वस्त किया कि सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता में पूरा यकीन रखती है।
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