Saturday, April 20, 2024

पश्चिम बंगाल: नफरत और घृणा की कारोबारी बीजेपी के एजेंडे में अब देवी-देवताओं के बीच युद्ध

पश्चिम बंगाल में होने वाला हर चुनाव हिंसक घटनाओं के कारण पिछले कई दशक से चर्चा में रहा है। पर इस बार के विधानसभा चुनाव में मार्क्सवाद, लेनिनवाद, साम्राज्यवाद और समाजवाद को दरकिनार करते हुए भगवान राम बनाम मां दुर्गा चुनावी मुद्दा बन गया है। ऐसा बंगाल में पहली बार हो रहा है जब धार्मिक भावना प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गई हो।

तृणमूल कांग्रेस के लोग अभी तक भाजपा के जय श्री राम के जवाब में जय सिया राम का नारा लगाते रहे हैं। मसलन अगर भाजपा के श्री राम हैं तो हमारे पास सीता और राम दोनों है। बंगाल में मातृ शक्ति की पूजा की जाने के कारण सीता की आराधना उल्लेखनीय है। इस लड़ाई में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की मेहरबानी के कारण तृणमूल कांग्रेस को एक जबरदस्त मुद्दा मिल गया। एक कार्यक्रम में दिलीप घोष ने कह दिया कि भगवान राम तो राजा थे। उनका सुशासन था। उनकी एक ख्याति थी। उनके वंश का इतिहास है, लेकिन दुर्गा का क्या है। इसी कार्यक्रम में मौजूद तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने इसे लपक लेते हुए कहा कि दिलीप घोष ने मां दुर्गा का अपमान किया है। बंगाल के लोग इसे कभी बर्दास्त नहीं करेंगे। यह सही भी है क्योंकि बंगाल के लोग बड़ी बेचैनी से दुर्गा पूजा के आने का इंतजार करते हैं।

अब तृणमूल कांग्रेस के नेता दिलीप घोष के इस बयान का धुआंधार प्रचार करने  में जुट गए हैं। ममता बनर्जी ने भी इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए कहा है कि बंगाल के लोग मां दुर्गा के इस अपमान को बर्दास्त नहीं करेंगे। जिस तरह मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था उसी तरह बंगाल के लोग भाजपा कि सांप्रदायिक राजनीति का वध करेंगे। इतना ही नहीं तृणमूल कांग्रेस ने मोबाइल पर एक एप बना कर प्रचार करना भी शुरू कर दिया है। इसमें दिलीप घोष के बयान को सुनाने के बाद सवाल किया जाता है कि क्या आप मां दुर्गा के इस अपमान को बर्दास्त करेंगे। अब आगे देखेंगे कि भगवान राम बनाम मां दुर्गा चुनावी राजनीति में क्या गुल खिलाता है। इतना ही नहीं भाजपा ने जै श्रीराम के अलावा एक और नारा गढ़ा है। यह है हरे रामा हरे हरे, बीजेपी सबार घरे घर यानी हरे राम हरे हरे भाजपा सभी के घर-घर में।

भाजपा ने इसे चैतन्य महाप्रभु से उधार लिया है। नदिया जिले में चेतन महाप्रभु के उपासकों की संख्या काफी अधिक है और उन्हें वैष्णव के रूप में जाना जाता है। उन्हें लुभाने के लिए भाजपा इस नारे का इस्तेमाल कर रही है। भाजपा धर्म जाति संप्रदाय के किसी भी कोने को खाली नहीं छोड़ रही है। मालदा जिले में बनवासी वर्ग में काम करने वाली और संघ से जुड़ी कमाली सोरेन को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। मालदह जिले के लोग भी इस सम्मान की खबर सुनकर हैरान हो गए थे।

बहरहाल धर्म संप्रदाय और जाति को चुनावी मुद्दा बनाए जाने के मामले में दिलीप घोष की यह टिप्पणी बेहद दिलचस्प है। वे कहते हैं कि धर्म को राजनीति से जोड़कर लोगों को बांटने का काम किया जा रहा है। अब यह बात दीगर है कि भाजपा की हर सभा जय श्रीराम से शुरू होती है और जय श्री राम के साथ समाप्त होती है। यहां तक कि जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा में अंतरिम बजट पेश कर रही थीं तो उनके लुभावने वादों की आलोचना करने के बजाए भाजपा की असली और हाल ही में उधार ले लिए गए विधायक, यानी तृणमूल से टूट कर आने वाले, जय श्री राम का नारा लगाते रहे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेके सिंह का लेख।)

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