Tuesday, March 19, 2024

अब एफसीआई पर कब्जे की तैयारी, अडानी को मिला 4 साइलो कॉम्प्लेक्स बनाने का ठेका

नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अपनी स्थापना के समय से ही किसानों के हितों की रक्षा, कृषि उत्पादों का प्रभावी समर्थन मूल्य दिलाने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से पूरे देश में खाद्यान्न वितरण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाता रहा है। लेकिन अब एफसीआई को भी निजी उद्योगपतियों को देने की तैयारी चल रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार ने एफसीआई के गोदामों को बनाने का ठेका अब अडानी ग्रुप की एक कंपनी अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को दिया है। अडानी के स्वामित्व वाली उक्त कंपनी एफसीआई की उत्तर प्रदेश और बिहार में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चार साइलो कॉम्प्लेक्स बनाने जा रहा है। सरकार का यह कदम एफसीआई के निजीकरण करने का पहला कदम है।

खबरों के मुताबिक अडानी लॉजिस्टिक्स लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को देश भर में विभिन्न स्थानों पर साइलो कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए प्रतिस्पर्धी बोली के बाद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से एक लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) प्राप्त हुआ है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स चार स्थानों- उत्तर प्रदेश में कानपुर, गोंडा और संडीला और बिहार में कटिहार में अत्याधुनिक साइलो परिसरों का विकास और संचालन करेगा, जिससे कुल 3.5 लाख टन साइलो भंडारण क्षमता का निर्माण होगा। इसके साथ ही अब अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के पास अब कुल 15.25 लाख टन भंडारण क्षमता होगी।

वर्तमान केंद्र सरकार पर दो उद्योगपतियों को ज्यादा तरजीह देने का आरोप लगता रहा है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चले आंदोलन के समय भी यह कहा जा रहा था कि उक्त कानूनों से किसानों का नहीं बल्कि उद्योगपतियों का लाभ होगा। अब किसान नेताओं की यह आशंका सच साबित होने जा रही है। मोदी सरकार ने कृषि कानूनों में जो संशोधन किया था वो सीधे-सीधे गौतम अडानी की कंपनियों में ध्यान में रखकर किए गए थे। गौतम अडानी पहले भी कृषि और बागवानी के क्षेत्र में उतरे थे। पंजाब और हरियाणा में उनके कई गोदाम बन चुके थे। इसके साथ ही अडानी ग्रुप हिमाचल प्रदेश में सेब के कारोबार में भी उतरा था। तब वह देश भर में भारतीय खाद्य निगम के चेन की तरह अपने गोदाम बना कर कृषि उत्पाद की खरीद-फरोख्त पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाह रहे थे।

लेकिन तीनों कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। कृषि कानूनों में राज्य सरकारों का मंडी से नियंत्रण हटा दिया था और कॉट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने की बात था। फसलों के भंडारण और फिर उसकी काला बाजारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले Essential Commodity Act 1955 बनाया था। इसके तहत व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज का भंडारण कर सकते थे। वे तय सीमा से बढ़कर किसी भी फसल को स्टॉक में नहीं रख सकते थे। लेकिन नए कृषि कानूनों में आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया।

इस तरह मोदी सरकार के इशारे पर अडानी ग्रुप पहले देश भर में अनाजों और सब्जियों के गोदाम बना रहा था उसके बाद भारतीय खाद्य निगम को अडानी ग्रुप को देने की तैयारी थी। लेकिन अब जब तीनों कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद अडानी समूह को अनाजों की खरीद फरोख्त में परेशानी होती, इसलिए अब उसे पहले एफसीआई के गोदामों को बनाने का ठेका दिया जा रहा है।

भारतीय खाद्य निगम की स्थापना का उद्देश्य

आजादी के देश में भुखमरी थी और कृषि व्यवस्था मानसून पर आधारित था। तब सरकार के समक्ष हर व्यक्ति के पास खाद्यान्न उपलब्धता के साथ ही देश को अन्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और विषम परिस्थितियों यानि- युद्ध और अकाल के समय के लिए स्टॉक रखाना था। भारतीय खाद्य निगम की स्थापना खाद्य निगम अधिनियम 1964 के तहत खाद्य नीति के क्षेत्र में आत्मनर्भरता के साथ-साथ किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए हुआ था। इसके साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए पूरे देश में खाद्यान्न का वितरण, खाद्यान्नों के परिचालन और बफर स्टॉक के संतोषजनक स्तर को बनाए रखना, समाज के कमजोर वर्ग को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना और मूल्य स्थिरीकरण के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना शामिल है। लेकिन अब सवाल यह है कि एफसीआई पर निजी उद्योगपतियों के कब्जे के बाद क्या किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सकेगा और समाज के कमजोर वर्ग को सस्ते दर पर खाद्यान्न की उपलब्धता होगी?

क्या है साइलो कॉम्प्लेक्स

अभी तक भारतीय खाद्य निगम की गोदामों में भंडारण और निकासी का काम मजदूरों से लिया जाता था। लेकिन अब अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से गोदामों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। साइलो कॉम्प्लेक्स यंत्रीकृत और स्वचालित इकाइयां हैं जो तापमान और आर्द्रता नियंत्रण से लैस हैं, खाद्यान्न को संभालने, भंडारण और संरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं। खरीद से लेकर परिवहन तक की हैंडलिंग प्रक्रिया, कंटेनरीकृत संचलन के माध्यम से थोक रूप में पूरी की जाती है।

सरकार का तर्क है कि वर्तमान में किसानों को अपने उत्पाद को गोदाम तक पहुंचाने में दो से तीन दिनों का इंतजार करना पड़ता है।अब गोदामों में पहुंचने और उसके प्रोसेसिंग का समय कम हो जाएगा। सरकार का यह भी दावा है कि यह प्रक्रिया खरीद दक्षता में काफी सुधार करेगा। इस परियोजना से आम उपभोक्ताओं और पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के लाभार्थियों को लाभ होगा, इसके अलावा श्रम लागत, गनी बैग और परिवहन पर पर्याप्त बचत होगी। साइलो कॉम्प्लेक्स को डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) मोड के तहत निष्पादित किया जाएगा।

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