Friday, June 2, 2023

आजमगढ़: हिरासत में एक शख्स की मौत, रिहाई मंच ने की परिजनों से मुलाकात

लखनऊ/आजमगढ़। यूपी के पूर्वांचल में हिरासत में एक और मौत का मामला सामने आया है। पीड़ित शख्स का नाम जियाउद्दीन है जिसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गयी। घटना को कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया है जिसमें तीन जिलों के थानों की पुलिस शक के दायरे में है।

रिहाई मंच ने जियाउद्दीन के पिता अलाउद्दीन से मुलाकात के बाद तत्काल दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। इसके साथ ही मंच ने पचास लाख रुपये मुआवजे की भी मांग की है।

मंच ने प्रथम दृष्ट्या इसे पुलिस का आपराधिक षड्यंत्र मानते हुए अम्बेडकर नगर के थाना ज़ैतपुर, जौनपुर के खुटहन और आजमगढ़ के थाना पवई, एसटीएफ व एसओजी को जाँच के दायरे में लाते हुए कार्रवाई करने की माँग की। एनएचआरसी की गाइड लाइन के मुताबिक हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।

मंच ने कहा कि इस मामले में लंबे समय से मृतक जियाउद्दीन एवं अन्य कई व्यक्ति पुलिस के संपर्क में थे और अभी भी कुछ व्यक्तियों के पुलिस हिरासत में होने की सूचना है। ऐसे में पुलिस की गैरकानूनी हिरासत में मौजूद व्यक्तियों की सुरक्षा की गारंटी की जाए। मंच ने कहा कि इन तथ्यों के आलोक में देखा जाए तो ज़ैतपुर थाने के किसी मामले को लेकर लगातार पुलिस व्यक्तियों के पूछताछ और धन उगाही की बात भी सामने आई है। ऐसे में ये मामला पुलिस द्वारा जबरन धन उगाही का भी है। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी है कि दोषी पुलिस कर्मियों के मोबाइल का काल रिकॉर्ड खंगाला जाए। 

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इस मसले पर स्वतंत्र टिप्पणीकार रविंद्र सिंह पटवाल की टिप्पणी:

यूपी के एक जिले आजमगढ़ में एक चोरी की घटना की रिपोर्टिंग होती है। पुलिस के पास यह मामला पिछले डेढ़ महीने से है। पुलिस ने इसकी तहकीकात के लिए 3 लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की थी। इसमें से एक व्यक्ति जियाउद्दीन है। 

पुलिस ने उसका नाम एफआईआर से हटाने के नाम पर 3 लाख रुपए मांगे। उसने 1.30 लाख रुपये का इंतजाम किया, बाकी का इंतजाम उसके बूते के बाहर था। आजमगढ़ से जौनपुर रिश्तेदार के घर के लिए कहकर वह बाइक से निकला। लेकिन पुलिस स्टेशन में पहुंचा दिया गया। घर परेशान लेकिन तीसरे दिन उसकी मौत की खबर मिलती है। परिवार और रिहाई मंच का आरोप है कि हिरासत में यातना से मौत हुई है, क्योंकि 3 लाख रुपए का इंतजाम नहीं कर पाए जियाउद्दीन।पुलिस की सफाई में कहना है हार्ट अटैक से मौत हुई है।

निष्कर्ष:- यूपी में चोरी की रपट लिखवाने पर आपको न्याय भले ही न मिले, लेकिन किसी और के साथ इतना बड़ा अन्याय हो सकता है।

जियाउद्दीन यदि मुस्लिम था, तो उसके साथ वैसे भी काफी कम लोग होंगे। लेकिन जिस भेड़िये के मुँह में एक बार स्वाद लग जाये वो फिर कल कहाँ मुंह मारेगा पता नहीं।

यूपी को फिलहाल ऐसा ही रामराज्य पसंद आ रहा है।

कुछ पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया है, धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर दिया गया है। लेकिन यह लड़ाई ज्यादा लंबी कौन लड़ेगा?

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