Thursday, March 28, 2024

न्यूजीलैंड व फिलीपीन्स दूतावास में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने पर जांच के आदेश

कमजोर और पीड़ित मनुष्य की मदद करना दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है। ये शिक्षा हमें दुनिया के हर स्कूल, हर संस्कृति, हर सभ्यता, हर धर्म से मिलता आया है। लेकिन नरेंद्र मोदी और आदित्यनाथ योगी के राज में किसी ज़रूरतमंद की मदद करना न सिर्फ़ अपराध है, बल्कि इसके लिए आपको देशद्रोह तक के क़ानून का सामना करना पड़ सकता है। बिल्कुल डॉ. कफील की तर्ज़ पर। गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में 46 बच्चों की मौत की कसूरवार योगी सरकार ने मददगार को ही मुल्जिम बना डाला था और उनके ऊपर देशद्रोह समेत कई गंभीर धारायें लगाकर जेल में डाल दिया था।

ताजा प्रकरण में य़ूथ कांग्रेस अध्यक्ष वी बी श्रीनिवास केंद्र की मोदी सरकार के निशाने पर हैं। केंद्र सरकार के आदेश पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष, वी बी श्रीनिवास, विधायक मुकेश शर्मा और हरियाणा से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के ख़िलाफ़ एक जांच शुरु की गई है, कि ये लोग ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाईयां और अस्पताल बेड का प्रबंध कैसे कर रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी (भाजपा) की सरकार है, बावजूद इसके कुछ दिन पहले भाजपा सांसद हंसराज हंस को कांग्रेस यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास से मदद मांगनी पड़ी और श्रीनिवास ने उन्हें सहायता मुहैया भी करवायी। जिस पर सोशल मीडिया में मोदी सरकार की अच्छी खासी फजीहत हुई थी। बाद में भाजपा सांसद हंसराज हंस ने वो ट्वीट डिलीट कर दिया था। वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे मदद अभियान की सराहना में ख़बर छापा है। इससे चिढ़कर केंद्र सरकार अब कांग्रेस पार्टी द्वारा लोगों की दी जा रही सेवाओं को बाधित किया जा रहा है। इससे पहले पिछले साल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर फँसे प्रवासी मजदूरों के लिए भेजी गई 300 बसों की सहायता को भी ठुकरा दिया गया था।  

तो ताजा मामला ये है कि न्यूजीलैंड हाईकमीशन ने 2 मई रविवार सुबह करीब सवा नौ बजे एक ट्वीट किया। इस ट्वीट को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास को टैग करते हुए एक ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद मांगी गई थी। जिस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस यूथ टीम ने न्यूजीलैंड दूतावास में अविलंब ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचाया।

तब न्यूजीलैंड दूतावास द्वारा भारत सरकार से मदद मांगने के बजाय विपक्षी पार्टी की यूथ विंग से मदद मांगने पर राहुल कंवल, उमाशंकर सिंह, अजीत अंजुम, अभिसार शर्मा समेत कई पत्रकारों ने सरकार की नाकामी और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिये थे।

आलोचना होते ही मोदी सरकार हरकत में आयी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने उच्चायोगों और दूतावासों में कोविड से जुड़ी मेडिकल आपूर्ति के लिए सोशल मीडिया पर लिखने को लेकर रविवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद भारत स्थित न्यूजीलैंड उच्चायोग ने ट्वीट कर माफी मांगी। न्यूजीलैंड दूतावास ने ऑक्सीजन की मांग वाली पोस्ट डिलीट कर स्पष्टीकरण में एक ट्वीट किया था। न्यूजीलैंड हाईकमीशन ने स्पष्टीकरण ट्वीट में लिखा कि–“हम लोग ऑक्सीजन सिलेंडर की तत्काल जरूरत के लिए सभी स्रोतों से व्यवस्था करने की अपील कर रहे थे लेकिन दुर्भाग्य से हमारी अपील को गलत संदर्भ में लिया गया।”

इससे पहले फिलीपींस दूतावास भी भारतीय विदेश मंत्रालय के निशाने पर आ गया था। वहां भी यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने ऑक्सीजन का सिलिंडर पहुंचाया था।


भारत के विदेश मंत्रालय ने लगाई फटकार

पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय ने 2 मई रविवार को एक प्रेस रिलीज जारी किया और विदेशी दूतावासों को सख्त संदेश दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा- “भारत स्थित उच्चायोगों और दूतावासों में कोविड से जुड़ी मेडिकल आपूर्ति को लेकर चीफ प्रोटोकॉल और विभागीय प्रमुख हमेशा संपर्क में रहते हैं। इनमें अस्पताल में इलाज की बात शामिल है। महामारी के हालात में सभी से अनुरोध है कि वे ज़रूरी मेडिकल आपूर्ति, जिसमें ऑक्सीजन भी शामिल है, उसे जमा न करें।”

दरअसल, दूतावासों में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने यूथ कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी का युवा मोर्चा) की ओर से फिलीपींस के दूतावास में ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने का वीडियो रिट्वीट किया। जयराम रमेश ने रीट्वीट करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को टैग कर पूछा था कि क्या भारत का विदेश मंत्रालय सो रहा है? जयराम रमेश के इस ट्वीट का विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब में इसे सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा करार दिया और कहा कि फिलीपींस दूतावास में कोई भी कोरोना से पीड़ित नहीं है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि ऑक्सीजन के लिए लोग परेशान हैं इसलिए सिर्फ़ ज़रूरतमंदों को ही मदद पहुंचाई जानी चाहिए।

न्यूजीलैंड प्रधानमंत्री व विदेश मंत्रालय की सफाई

न्यूजीलैंड उच्चायोग द्वारा कांग्रेस पार्टी के युवा मोर्चा से आँक्सीजन की मदद मांगने और कांग्रेस युवा मोर्चा द्वारा ऑक्सीजन पहुंचाने को लेकर हुई मोदी सरकार की फजीहत ने कूटनीतिक विवाद का रूप धर लिया। भारत स्थित अपने उच्चायोग में ऑक्सीजन की ज़रूरत और उसकी आपूर्ति को लेकर उठे विवाद पर न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा एर्डर्न ने खुद सामने आकर कहा कि उच्चायोग को मेडिकल मदद के लिए किसी और माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए था। जैसिंडा एर्डर्न ने टीवीएनजेड से कहा, “’हमारे उच्चायोग ने ट्वीट के लिए माफी मांग ली है। ऐसे मामलों में जो आधिकारिक माध्यम हैं, उनका ही इस्तमाल करना चाहिए। लेकिन उच्चायोग में एक स्थानीय स्टाफ है जो गंभीर रूप से बीमार है। हमारे उच्चायोग का कैंपस है और वहां पिछले साल से ही कोविड के कारण लॉकडाउन है। लोगों की सेहत को देखते हुए कड़े प्रोटोकॉल हैं। स्थानीय स्टाफ भी कैंपस में ही रहते हैं। हालांकि, ऐसे माहौल में सभी को संक्रमण से बचाना बहुत मुश्किल काम है।”

वहीं पूरे मामले में न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार से विवाद को लेकर खेद जताते हुए बयान जारी करके कहा कि भारत स्थित उसके उच्चायोग में स्टाफ की सुरक्षा, सेहत और उनकी देखभाल सरकार की प्राथमिकता में है। न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय ने जारी अपने बयान में कहा है कि उच्चायोग में कुछ स्थानीय स्टाफ कोविड से संक्रमित हो गए हैं और इनमें से एक की हालत ज्यादा खराब थी, इसलिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। बयान में यह भी कहा गया है कि न्यूजीलैंड का कोई भी राजनयिक कोविड संक्रमित नहीं है। कोराना संक्रमण के कारण लोगों के लिए न्यूजीलैंड का उच्चायोग खुला नहीं है। कैंपस के भीतर ही बीमार होने पर इलाज की व्यवस्था की गई है।

न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेरी ब्राउनली ने भी इस पूरे मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि ऑक्सीजन के लिए अनुरोध करने वाला ट्वीट शर्मनाक और असंवेदनशील था। जब सड़कों पर लोग मर रहे हैं, इलाज के लिए अस्पताल ले जाए जा रहे कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं… ऐसे हालात में इस तरह का ट्वीट करना गलत था। ये बहुत ही असंवेदनशील है। उच्चायोग का माफी मांगना सही कदम है लेकिन हमारे लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों।”

ब्राउनली ने आगे कहा है कि जिस व्यक्ति ने भी ट्वीट किया है, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। हर कोई ख़बरें देख रहा है, सबको अंदाजा है कि दिल्ली में हालत कितनी खराब है। न्यूजीलैंड का भारत के भीतर दूसरे राजनीतिक दलों से ऑक्सीजन के लिए अपील करना बहुत ही अजीब है। ब्राउनली ने कहा, अगर उच्चायोग के भीतर हालात खराब होने की वजह से ऐसी अपील की गई तो इसको लेकर भी स्पष्टीकरण आना चाहिए। ये भी शर्मनाक है कि न्यूजीलैंड जैसा देश अपने स्टाफ को ऑक्सीजन जैसी बेसिक सप्लाई ना पहुंचा पाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उच्चायोग ये फैसला करने के लिए भी स्वतंत्र है कि उन्हें भारत में रुकना है या नहीं।

ऑटो एंबुलेंस वाले जावेद ख़ान पर केस

अस्पतालों के लिए भागदौड़ करते लोगों को रास्ते में ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराने की मंशा के साथ राजधानी भोपाल के निवासी जावेद ने ऑटो एम्बुलेंस शुरू की है। इसको तैयार करने के लिए उसने बीवी का मंगलसूत्र भी बेच दिया और जरूरत के लिए कुछ राशि उधारी पर भी ली है। ऑक्सीजन सिलेंडर और सैनेटाइजर आदि की सुविधाओं के साथ चल रहे इस ऑटो की सेवा के लिए जावेद लोगों से कोई शुल्क भी वसूल नहीं कर रहे हैं।

लेकिन अपना समय, पैसा और सेहत दांव पर लगाकर लोगों के लिए ऑटो एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करा रहे जावेद खान को 01मई की दोपहर में ऑक्सीजन की कालाबाजारी, कानून तोड़ने वाला और पुलिस की कार्रवाई में बाधा डालने वाला करार देकर गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि जावेद एक कॉल पर भानपुर स्थित आयुष्मान अस्पताल में किसी को मदद पहुंचाने जा रहा था। जिसके बाद जावेद ख़ान के समरप्थन में सोशल मीडिया पर एक पूरी मुहिम ही चल पड़ी। कोरोना के खिलाफ़ बुरी तरह फेल हो चुके शासन प्रशासन को शाम होते-होते झुकना पड़ा। पुलिस ने न सिर्फ़ ऑटो एंबुलेंस चलाने वाले ज़ावेद ख़ान के खिलाफ़ की गई कार्रवाई वापस ले ली, बल्कि लॉकडाउन के बीच सुविधाएं उपलब्ध कराने का पास भी जारी कर दिया।

बता दें कि ऑटो एंबुलेंस ईजाद करने वाले जावेद ख़ान मरीजों को निःशुल्क अस्पताल पहुंचाते हैं, इसीलिए उन्होंने ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लगा रखा है। शाम जारी किए गए पुलिस प्रेस नोट में कहा गया कि आज दिनांक 01/05/21 को थाना छोला मंदिर पुलिस द्वारा भानपुर चौराहे पर बैरिकेट्स लगाकर अनावश्यक घूमने वाले वाहनों को चेक किया जा रहा था। इस दौरान एक खाली ऑटो चालक जावेद पिता मुन्ना 34 साल निवासी बागफरहत अफजा बेरिकेट हटाने लगा, जिसके द्वारा कोई कारण नहीं बताने पर 144 धारा का उल्लंघन किया जाने से पुलिस द्वारा 188 की कार्रवाई कर तत्काल नोटिस देकर ऑटो चालक को छोड़ा गया। प्रकरण में अनावेदक की ना तो गिरफ्तारी की गई और ना ही ऑटो व ऑटो में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त किए गए। अनावेदक द्वारा स्वयं को सेवा का उद्देश्य से एंबुलेंस के रूप ऑटो चालान बताया गया है। अतः प्रकरण में जावेद के ख़िलाफ़ अब कोई पुलिस केस नहीं है।

यूपी जौनपुर के एम्बुलेंस मालिक पर केस

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के इस दौर में ज़रूरतमंदों की मदद करना मुसीबत मोल लेने से कम नहीं है। जहाँ योगी सरकार के आदेश पर ज़रूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ रहे लोगों पर भी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन नकेल कस रहा है। यूपी के जौनपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है।

जानकारी के अनुसार जौनपुर जिला अस्पताल में मरीजों का तांता लगा था। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण मरीजों का इलाज समय पर नहीं हो पा रहा था। मरीजों को जमीन पर तड़पता देख नगर के अहियापुर मोहल्ले का निवासी व प्राइवेट एम्बुलेंस संचालक विक्की अग्रहरि खुद अपने स्तर से आक्सीजन की व्यवस्था करके मरीजों को आक्सीजन देने लगा। विक्की के अनुसार उसने 27 से 28 मरीजों को आक्सीजन देकर उनकी जान बचायी। यह ख़बर जब मीडिया के जरिये सुर्खियों में आयी तो अस्पताल प्रशासन की पोल खुल गई। किरकिरी होने से नाराज़ सीएमएस ने देर शाम नगर कोतवाली में महामारी फ़ैलाने का मुकदमा दर्ज करा दिया।

जौनपुर में कई साल से एम्बुलेंस चला रहे विक्की का कहना है कि 30 अप्रैल गुरुवार को वह एक मरीज को अपनी एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल लाया था। यह आदमी एक प्राइवेट अस्पताल में था। हालत बिगड़ी तो डाक्टरों ने उसे सरकारी अस्पाल ले जाने को कहा। उस मरीज को विक्की सरकारी अस्पताल लाया। जब अस्पताल ने बेड और ऑक्सीजन न होने की बात कह कर हाथ खड़े कर दिए तो उसने मरीज को अस्पताल के बाहर लिटा दिया। उसकी हालत अच्छी नहीं थी। सो, वह एम्बुलेंस में रखा सिलिंडर ले आया और मरीज को ऑक्सीजन देने लगा। अस्पताल के बाहर और भी मरीज पड़े थे। उन लोगों ने भी विक्की से ऑक्सीजन लगाने का निवेदन किया तो उसने उनके लिए भी सिलिंडर मंगवा दिये। गौरतलब है कि विक्की साल 2004 से एम्बुलेंस चला रहा है। वह पहले एक डाक्टर के पास कम्पाउंडरी भी कर चुका है। इस नाते ऑक्सीजन देने की पूरी जानकारी रखता है। विक्की कहता है कि साढ़े तीन बजे के लगभग एक वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल आए तो बाहर पड़े सभी मरीजों को भर्ती कर लिया गया। एंबुलेंस ड्राइवर कहता है कि वह किसी एनजीओ से नहीं जुड़ा। उसने तमाम बातों का वीडियो भी नहीं बनाया है। विकी ने बताया कि उसके पास अस्पताल का एक कर्मचारी सिलिंडर मांगने आया था। मना कर दिया तो केस दायर कर दिया।

वहीं पूरे मामले में डीएम जौनपुर मनीष कुमार वर्मा का कहना है कि पूरे मामले की जांच करायी जाएगी। सीएमएस की इस कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में देखना होगा कि जिलाधिकारी व सीएमओ साहब आरोपित का सम्मान करवाते हैं या फिर उसे जेल भेजेंगे। 

वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि विक्की अस्पताल में वीडियो बना रहा था और प्रशासन का कहना है कि वह राज्य सरकार और प्रशासन पर झूठे और अपमानकारी आरोप लगा रहा था। उनका कहना है कि विक्की ने बाद में अपना वीडियो एक वॉट्सैप ग्रुप में अपलोड भी किया। प्रशासन ने विक्की पर धारा 188 और 269 भी लगाई हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles