Friday, March 29, 2024

ऑक्सीजन संकटः केंद्र अपनी नाकामी किसानों के सर न मढ़े, अस्पताल बनाने में कृषक करेंगे मदद- एआईकेएमएस

कोरोना की दूसरी मारक लहर के साथ ही पांच महीने से दिल्ली घेरे बैठ आंदोलनकारी किसानों को ‘क्रिमिनलाइज’ करने का काम मोदी सरकार, भाजपा-आरएसएस और Gसके सहयोगी न्यूज चैनलों ने शुरू कर दिया है। दिल्ली के कई अस्पतालों में लगातार ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार जितना मांग रही है केंद्र सरकार उससे कम ही मुहैया करवा रही है। यानी पूरा मामला ऑक्सीजन की कुल खपत, तुल मांग और कुल आपूर्ति का है, लेकिन इसके लिए दोष किसानों के सिर मढ़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि ये रास्ता रोके बैठे हैं इसलिए नहीं पहुंच रहा। किसान संगठनों की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करके हुए केंद्र सरकार द्वारा कोरोना के खिलाफ़ अपनी नाकामी किसानों के मत्थे मढ़ने वाला बताया है, और कहा है कि ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी के लिए किसानों को दोष देना गलत है।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने एक बयान जारी करके केन्द्र सरकार की कोरोना संक्रमण रोकने तथा कोरोना पीड़ितों के उपचार के प्रति संवेदनहीनता की कड़ी आलोचना की है। एआईकेएमएस ने कहा है कि विरोध-धरनों की खुली हवा अपेक्षाकृत सुरक्षित केन्द्र हैं, जबकि कोरोना वायरस बंद कमरों में ज्यादा तेजी से फैलता है।

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किसान आंदोलन को खत्म करने के सवाल पर बयान में कहा गया है, “जो लोग यह वकालत कर रहे हैं कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किसानों के विरोध-प्रदर्शनों को समाप्त कर देना चाहिए, उन्हें जानना चाहिये कि किसान चाहे गांव में रहें या धरनों पर, कोरोना संक्रमण की गति नहीं बदलेगी। पंजाब में जून 2020 से और दिल्ली में नवम्बर 2020 से किसानों के धरने चल रहे हैं और ये धरने संक्रमण के केंद्र नहीं बने। कोरोना के 90 फीसद से ज्यादा मरीज ऊंची इमारतों के घरों या बंगलों से मिले हैं, जबकि झोपड़पट्टियों और ग्रामांचल से यह बहुत कम फैला है, पहले व दूसरे, दोनों चरणों में।

एआईकेएमएस उन लोगों की निन्दा करते हैं जो कोरोना महामारी के विषय में लोगों के मन में गैरवैज्ञानिक और अनैतिक ढंग से भय फैला रहे हैं और भगदड़ की स्थिति पैदा कर रहे हैं। कोरोना को न तो पुलिस की बैरिकेड से रोका जा सकता है, न ही लोगों पर जुर्माना लगाने से या केस दर्ज करने से। लोगों की लाचारी का लाभ उठाकर उनसे 2000 रुपये का जुर्माना लगाने से उनकी गाढ़ी कमाई छीनी जा रही है। आरएसएस को सुनिश्चित करना चाहिये कि यह अमानवीय कर वसूली रोकी जाए।

कोरोना की रोकथाम का मुख्य तरीका मास्क पहनना, हाथ धोना और सैनिटाईजर का प्रयोग है। सरकार तथा पुलिस को जनता में इनका वितरण करना चाहिये। इससे लोगों में कोरोना से लड़ पाने का विश्वास बढ़ेगा। वर्तमान दमनकारी तरीकों से लोग कोराना से बचाव करने की जगह पुलिस से बचने पर ध्यान दे रहे हैं।

अगर सरकार अस्पताल बनवाए तो किसान देंगे मदद
एआईकेएमएस ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वह ग्रामीण इलाकों में तथा शहर की बस्तियों में सरकारी अस्पतालों का निर्माण कराएं। 14 महीने के कोरोना काल के बावजूद सरकार ने अपने अस्पतालों में बिस्तरों का विस्तार नहीं किया है। उच्च न्यायालयों ने भी सरकारी चिकित्सा सुविधाओं में कमी की निंदा की है। अगर सरकार अस्पताल बनवाएगी तो किसान उसमें बढ़-चढ़कर मदद करेंगे।

वर्तमान संकट इसलिए गंभीर हो गया है, क्योंकि सरकारी उदासीनता जारी है और कॉरपोरेट क्षेत्र के अस्पताल कोरोना मरीज को भरती करने के लिए 10 लाख की वसूली कर रहे हैं। ऑक्सीजन तथा रेमेडिसविर की खुली काला बाजारी की जा रही है और भयभीत मध्य वर्ग इनको खरीद कर जमा कर रहा है। भाजपा-आरएसएस के इस ‘कॉरपोरेट का साथ’ से आम मरीजों की पीड़ा बढ़ रही है।

कृषि की तर्ज़ पर मेडिकल में कॉरपोरेट को मुनाफा कमवा रही सरकार
एआईकेएमएस के महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने बयान में आगे कहा है कि जैसा कि केंद्र सरकार ने खेती के तीन काले कानूनों में किया, वैसा ही मोदी सरकार मेडिकल सेवा में कर रही है। वह कॉरपोरेट मुनाफा बढ़ा रही है और आम जन से वसूली कर रही है।

एआईकेएमएस ने सरकार से आग्रह किया है कि वह तुरन्त इन दवाओं और ऑक्सीजन की जमाखोरी करने वालों तथा कोरोना का बिस्तर बेचने वाले अस्पतालों पर आवश्यक वस्तु कानून अमल करे, उन्हें नोटिस दे और कार्रवाई करें। खाने की सामग्री पर इस कानून को बहाल करके कार्रवाई करें, ताकि काला बाजारी रुक सके।

इस बीच किसान संगठनों ने अपने विरोध स्थलों पर मास्क, सैनिटाइजर, हाथ धोने तथा चिकित्सा की सारी व्यवस्था कर दी है। टिकरी, कुन्डली, गाजीपुर, शाहजहांनपुर, पलवल आदि में सभी प्रशासनों से आग्रह किया है कि वह इन व्यवस्थाओं में तथा वैक्सीन देने में पर्याप्त व्यवस्था करें।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने आरएसएस भाजपा नेताओं द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के लिए किसानों को दोष देने की कड़ी निंदा की है। व्यवस्था करने में अपनी कमी को छुपाने के लिए वह ऐसे आरोप लगा रहे है। एआईकेएमएस ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह खेती के तीन काले कानून वापस ले और एमएसपी की कानूनी गारंटी और सरकारी खरीद की गारंटी करे, ताकि किसानों की समस्याएं हल हों।

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