पार्टियों के मौन के बीच यूपी-बिहार के लोगों पर हमले के खिलाफ जिग्नेश और हार्दिक ने संभाला मोर्चा

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जनचौक ब्यूरो

(गुजरात में यूपी और बिहार के लोगों पर हमले का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि प्रशासन अपनी तरफ से पूरी कार्रवाई की बात कह रहा है। लेकिन राजनीतिक दलों और सरकार के रुख ने हालात को बेहद संदेहास्पद बना दिया है। न किसी राजनीतिक दल और न ही उसके नेता का कोई बयान आया है। सभी ने एक सिरे से चुप्पी साध रखी है। लेकिन इस बीच आंदोलन की पैदाइश दलित अधिकार मंच के नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी और पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल ने बेहद साहस का परिचय दिया है। और दोनों खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने गैर गुजरातियों पर हो रहे हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। इस मसले पर जिग्नेश मेवानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। पेश है पूरी विज्ञप्ति-संपादक)

जिस गुजरात में भाजपा सरकार स्टेच्यू ऑफ यूनिटी खड़ी कर रही है वहीं हमारे देश की एकता और अखण्डता तो तहस-नहस करने की चाहत राखने वाले कुछ प्रांतवादी लोग यूपी-एमपी-बिहार के भाई बहनों पर हमला बोल रहे हैं। गुजरात से निकली प्रांतवाद की आग आगे फैले उसके पहले ही उसे रोक देना चाहिए। पिछले दिन गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मत नगर में 14 माह की एक बच्ची के साथ बलात्कार किया गया।

स्वाभाविक है कि इस घटना के गहरे प्रत्याघात पड़े। बलात्कार का इल्जाम है बिहार के शख्स पर। 14 माह की बच्ची पर कहर बरसाने वाले बलात्कारियों को निर्विवाद रुप से सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन नालियाकांड की रिपोर्ट दबा कर बैठी भाजपा सरकार के बजाय प्रांतवादी मानसिकता से पीड़ित कुछ लोग अपना गुस्सा यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश के गरीब मज़दूरों पर निकाल रहे हैं जो बेहद शर्मनाक है।

सुनकर बड़ी पीड़ा हुई। आज लगातार चौथे दिन यूपी और बिहार के मजदूरों पर हमला किया गया है और बिगड़ते हालात को देखकर यह आंतरराज्य प्रवासी मजदूर बोरिया बिस्तर बांध कर अपने-अपने वतन वापस लौट रहे हैं। गुजरात के लिए यह एक शर्म का विषय है। प्रांतवाद का बीज बोने वाले किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। मैं आज ही इस मामले में गुजरात के डीजीपी (डाइरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस), चीफ सेक्रेटरी और देश के होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह की ऑफिस में बात करके उनसे अपील करने वाला हूं कि वो तुरंत मामले में हस्तक्षेप करें। यह भी मांग करने वाला हूं कि पूरे मामले में बलात्कार के आरोपी के साथ-साथ जिन प्रांतवादी गुंडों ने इन प्रवासी मजदूरों पे हमले किए हैं उनके खिलाफ भी सख्त करवाई होनी चाहिए। बिहार, यूपी और  मध्यप्रदेश की सरकारों को भी गुजरात के मुख्यमंत्री से इस मामले में रिपोर्ट मांगनी चाहिए।

किसी भी जाति या धर्म की महिला या बच्ची के साथ यह हरकत नहीं होनी चाहिए, किसी कीमत पर नहीं। यदि इस प्रकार की कोई वारदात होती है तो उसके खिलाफ सख्त करवाई होनी चाहिए, लेकिन कसूरवार की जाति खोज निकालकर उसके समाज के लोगों को टार्गेट करना हरगिज़ नहीं चलेगा। जिन यूपी, बिहार और एमपी के मजूदरों पर गुस्सा निकाल कर उन्हें भगाया जा रहा है वह मजदूर गुजरात के और पूरे देश के अर्थतंत्र में बड़ा योगदान देते हैं। यह वही मजदूर हैं जो निर्माण मजदूर के तौर पर अहमदाबाद में फ्लाई ओवर खड़े करते हैं और तपती धूप में ईंटों के भट्ठों में पसीना बहाकर निर्माण के लिए ईंटें पैदा करते हैं। यह वही मजदूर हैं जिनके खून पसीने से गुजरात के कारखाने चलते हैं और जिनकी मेहनत से गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय की दीवारों पर रंग-रोगन होता है। प्रांतवादी मानसिकता के चलते इस प्रकार इन प्रवासी मजदूरों को खदेड़ देना गुजरात की संस्कृति कभी नहीं रही।

गुजरात के लाखों लोग आज काम धंधे के लिए मुम्बई में और  यूएसए में रहते हैं। वहां सालों से काम करते हैं, छोटे बड़े बिज़नेस करते हैं। कल को यदि हमारे इन गुजराती भाई बहनों को पर प्रांतीय या विदेशी बताकर अपने बच्चों और सामान के साथ वहां से खदेड़ दिया तो हम गुजरातवासियों को कैसा लगेगा? भारत माता की जय का नारा लगाने वाले यह लोग एक ही मां के संतानों में यह भेदभाव खड़ा करेंगे? क्या यह हमारी संस्कृति है ? जब हम जन-गण-मन अधिनायक जय है गाते हैं तब क्या हम यह नहीं गाते की ‘ पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा, द्राविड़, उत्कल, बंगा’ ? 

हम और हमारा संगठन ‘राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच’ गुजरात में सालों से रहते और मजदूरी के लिए आए अंतर राज्य प्रवासी मजदूरों के हो रहे प्रांत वादी उत्पीड़न के खिलाफ हैं और इन मजदूरों को आस्वस्त करते हैं कि आप पर हो रहे हर हमले के खिलाफ हम खड़े रहेंगे। यह भी कहना चाहते हैं कि लोकल एम्प्लॉयमेंट ( स्थानिक रोजगार ) के नाम पर अंतर राज्य प्रवासी मजदूरों को भगाने के बजाय गुजरात और बिहार दोनों के मजदूरों को ठेका प्रथा के खिलाफ मोर्चा खोलकर मालिक वर्ग और दमनकारी गुजरात की भाजपा सरकार के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।

यह मुल्क दलित का भी है, गैर दलित का भी है, हिंदू का भी है मुसलमान का भी है, गुजराती का भी है और बिहारी का भी है। प्रांत वाद मुर्दाबाद, भारत की विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय जिंदाबाद।

– जिग्नेश मेवानी, कन्वेनर , राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच और विधायक वडगाम, गुजरात।

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