Tuesday, March 21, 2023

पाटलिपुत्र की जंग: जनता के निशाने पर सत्तारूढ़ नेता, जगह-जगह हो रहा है विरोध-प्रदर्शन

जितेंद्र उपाध्याय
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पटना। बिहार विधान सभा के पहले चरण का मतदान करीब आने से चुनाव प्रचार अब अपने शबाब पर है। इसके बीच बुधवार को बिहार के तीन क्षेत्रों में एनडीए के कार्यक्रमों के दौरान विरोध-प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया। जिसका लोग अलग अलग मायने निकाल रहें हैं। 

कहा जाता है कि भारतीय राजनीति में बिहार हमेशा से अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाता है। सत्ता के खिलाफ व लोकतंत्र की रक्षा के लिए समय-समय पर संघर्षों के बल पर देश को राजनीतिक दिशा देने का काम किया है। भगवा उभार के नब्बे के दशक में जब पूरे देश में अराजकता का माहौल था, उस समय बिहार ने ही सबसे पहले अपना विरोध दर्ज कराया। दूसरी तरफ भाजपा के पक्ष में वर्ष 2014 में राजनीतिक ध्रुवीकरण के वक्त भी बिहार ने अपनी अलग राय जताई। जानकारों का मानना है कि मुल्क इस समय सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। ऐसे वक्त पर सबसे अधिक कोरोना काल की मार बिहार पर पड़ी है।

इसका नतीजा यह है कि लोगों में एक किस्म की बौखलाहट है जो अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप में सामने आ रही है। चुनाव के इस दौर में वह होने वाली कई चुनावी सभाओं दिखने लगी है। कहीं इसके नेता शिकार हो रहे हैं तो कहीं प्रत्याशी। इसका सबसे ज्यादा सामना सत्तारूढ़ दलों के नेताओं को करना पड़ रहा है।

बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छपरा के परसा में चुनावी सभा को संबोधित करने गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के पुत्र व लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय यहां से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सभा के वक्त मंच पर प्रत्याशी की बेटी ऐश्वर्या राय मौजूद थीं। नीतीश कुमार के संबोधन के दौरान ही कुछ लोग भीड़ से लालू प्रसाद यादव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। नारे व शोर-शराबे के चलते मुख्यमंत्री को कुछ पल के लिए संबोधन रोकना पड़ा। मुख्यमंत्री ने उन लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर वोट नहीं देंगे तो कम से कम शांत हो जाएं। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। इसके एक दिन पूर्व औरंगाबाद की सभा में भी नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ लोगों ने नारेबाजी की थी।

विरोध-प्रदर्शन की दूसरी खबर बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से आई। यहां पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की समधिन ‘हम’ पार्टी से उम्मीदवार हैं। जिनके प्रचार में स्वयं जीतन राम मांझी पहुंचे थे। इनका काफिला शर्मा बाजार पहुंचने पर कुछ युवाओं ने घेराव कर दिया। आक्रोश देख अपने वाहन से उतरकर पूर्व मुख्यमंत्री उनके बीच पहुंचे। इस पर युवा ‘रोड नहीं, तो वोट नहीं’ के नारे लगाने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने  युवाओं के साथ चलकर सड़क देखी। उन्होंने चुनाव बाद सड़क निर्माण कराने का भरोसा दिलाया। विरोध की बात यहीं खत्म नहीं हुई।

आरा से केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की सूचना है। जिसमें कहा गया कि केंद्रीय मंत्री के काफिले को रोक कर कुछ लोगों ने काला झंडा दिखाया तथा इनमें से किसी ने कार के शीशे पर हाथ से प्रहार किया।

इन घटनाओं पर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता मणिलाल कहते हैं कि ये सब युवाओं के अंदर छुपे आक्रोश का नतीजा है, जो पिछले 15 वर्षों में सरकार की नाकामी को जताता है। विकास कार्यों के दावे धरातल पर न पहुंचकर मात्र कागजों तक ही सीमित हैं।रोजगार देने में सरकार नाकाम रही है। जिसका गुस्सा नौजवान चुनाव में दिखा रहे हैं,जो चिंताजनक है।

(पटना से स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

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