योगी की नाक के नीचे भुखमरी के चलते मुसहर जाति के लोग दे रहे हैं तड़प-तड़प कर जान: माले जांच दल की रिपोर्ट

Estimated read time 1 min read

ठाढ़ीभार (कुशीनगर)। मोदी-योगी राज में खाद्य सुरक्षा कानून व बहुप्रचारित आयुष्मान योजना गरीबों के लिए मजाक बन गयी है। इसका ज्वलंत उदाहरण यूपी का कुशीनगर जिला है, जहां भुखमरी, कुपोषण व बीमारी से मुसहर गरीबों की अकाल मौतें हो रही हैं। 

केंद्र में मोदी-एक की सरकार ने गरीबों के लिए संपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कानून बनाने के बजाए तथाकथित खाद्य सुरक्षा गारंटी कानून बनाया। इस कानून में, पहले से प्रति परिवार मिल रहे 50 किलो राशन की जगह, पांच किलो प्रति यूनिट कर दिया गया। एक मजदूर के लिए इतना राशन बमुश्किल महीने में केवल पंद्रह दिन के भोजन की गारंटी करता है। गांवों में मनरेगा ठप होने से भूमिहीन मजदूरों के पास फूटी कौड़ी भी नहीं है। इसलिए लोग आसानी से कुपोषण जनित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। सरकार की आयुष्मान योजना महज प्रचार तक ही सीमित है।

कुशीनगर में बीती जुलाई से अब तक (लगभग ढाई माह में) कुपोषण जनित बीमारियों से मुसहर जाति के दस लोगों (पुरूष व महिला, जिनमें कई तो परिवार के मुखिया व एकमात्र कमाऊ सदस्य थे) की हुई मौतें सरकारी ढकोसले की पोल खोलती हैं। मौतों की खबरें आने के बाद भाकपा-माले के तीन सदस्यीय जांच दल ने 10-11 सितंबर 2019 को कुशीनगर का दौरा किया। इस दल में शामिल राज्य कमेटी सदस्य राजेश साहनी, हरीश जायसवाल व कुशीनगर के जिला प्रभारी परमहंस सिंह दुधहीं ब्लाक के ग्राम ठाढ़ीभार पहुंचे। यह वही गांव है जहां मुसहरों की दशा बदलने के नाम पर मुख्यमंत्री बनने के पूर्व योगी ने पदयात्रा की थी।

ठाढ़ीभार ग्राम सभा में 150 से अधिक मुसहर समुदाय से जुड़े परिवार हैं। इस ग्राम सभा में शाहपुर पट्टी के मृतकों के नाम सुदर्शन 38 साल, वैदायी 35, बीपत 30 हैं। इनकी मौत अगस्त मध्य में मामूली बुखार से हुई। राजीटोला के 42 साल के गनेश, रामपुर पट्टी के 17 साल के पंकज, मंगरी 52, ठाढ़ीभार की महिला 55, दु:खी 58, बंका 57, तरकुलाही की चंदा 55, एक अन्य जिनकी उम्र 54 साल थी – सबकी मौतें जुलाई से सितंबर के मध्य केवल हल्की बीमारियों से हुई हैं, जिनकी मुख्य वजह कुपोषण है। 

इन परिवारों तक न तो प्रशासन की नजर पहुंचती है और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ। उज्जवला गैस योजना में पैसा लेकर चूल्हा कनेक्शन दिया गया। कनेक्शन के बाद किसी ने दुबारा गैस नहीं भरवाया। शाहपुर पट्टी के 90 परिवारों में 45, रामपुर के 80 में से 42, ठाढ़ीभार खास के 12 में से 4, रजही टोला के 46 में से 6 परिवारों को अंत्योदय कार्ड दिया गया है, जिन्हें साल में 2-3 बार ही राशन मिलता है। इन लोगों के घरों में राशन नहीं है, इसलिए भोजन की व्यवस्था अनिश्चित है। गांव में यदा-कदा ही सौ रूपए दैनिक मजदूरी पर काम मिल जाता है।

मनरेगा योजना में साल में 12-15 दिन ही काम दिया गया। पूर्व में जो भी इंदिरा आवास मिले थे वे या तो जर्जर हैं या अधूरे हैं, जिनका उपयोग नहीं हो रहा है। एकाध लोगों को बिजली कनेक्शन दिया गया है। इन 150 से अधिक परिवारों में 100 लोगों को 75-76 में 275 एकड़ भूमि पर पट्टा दिया गया, जिसमें से केवल 7-8 परिवार ही कब्जा ले पाये। इनके पट्टे सड़क से लगे हैं और इन पर पड़ोसी राज्य से आये दबंगों ने कब्जा कर लिया है। 

हिंदूवादी संगठन के लोग भी इनको भगाने के लिए दबाव बनाते रहते हैं। अधिकांश लोग खलिहान की जमीन पर झोपड़ी में रहते हैं। आये दिन तहसील प्रशासन भी इन्हें उजाड़ने के लिए प्रताड़ित करता रहता है। शाहपुर पट्टी के प्रधान व लेखपाल ने सत्तर लोगों के लिए आवासीय पट्टे की फाइल तैयार की, तो लेखपाल को हटा दिया गया। राष्ट्रवाद व देशभक्ति की जाप करने वाली मोदी-योगी सरकार और भाजपा-संघ परिवार के लोगों को कुपोषण व गरीबी से हो रही अकाल मौतों को रोकने में देशभक्ति नहीं नज़र आती। भाकपा-माले ने आगमी 25 व 30 सितंबर को गोरखपुर मंडल की विभिन्न तहसीलों पर मुसहरों की कुपोषण व भुखमरी से हो रही मौतों को रोकने समेत अन्य मांगों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन करने का फैसला किया है। 

(सीपीआई (एमएल) जांच दल की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author