भीमा कोरेगांव, दिल्ली दंगा और सीएए-एनआरसी के प्रतिवाद में शामिल आंदोलनकारियों पर केंद्र सरकार की तरफ से चलाए जा रहे दमन के खिलाफ एक सप्ताह के विरोध कार्यक्रमों के पहले दिन प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देश आज अघोषित आपातकाल से गुज़र रहा है। दिन प्रति दिन लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी और अन्य लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं।
लोक स्वातंत्र्य संगठन की राष्ट्रीय इकाई और सहमना संगठनों की तरफ से किए जा रहे विरोध के पहले दिन जमशेदपुर के प्रबुद्ध नागरिकों ने उपायुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर लगातार किए जा रहे हमलों के खिलाफ नारे लगाए गए।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार देश को धर्मनिरपेक्षता और समानता के सार्वभौमिक मूल्यों के विरुद्ध विषमतामूलक बहुसंख्यकवाद की ओर ले जा रही है। साथ ही सरकार की जन विरोधी नीतियों और विफलताओं पर सवाल उठाने वालों पर लगातार दमन किया जा रहा है। इसका एक स्पष्ट उदहारण है भीमा-कोरेगांव मामला।
इसमें 12 सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, लेखकों और शिक्षकों को फ़र्ज़ी आरोपों पर महीनों से जेल में डाल रखा गया है। इनमें आनंद तेलतुंब्ड़े, अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा, हनी बाबु, महेश राउत, सुरेन्द्र गाडलिंग, सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, सुधीर धावले, सोना विल्सन, वर्नन गोंज़ाल्विस और वरावरा राव शामिल हैं। कई अन्य लोगों को लगातार पूछताछ और छापे से परेशान किया जा रहा है। झारखंड में स्टैन स्वामी एक ऐसे ही उदाहरण हैं।
आयोजकों ने बताया कि यह विरोध-प्रदर्शन सप्ताहांत तक चलेगा और इस क्रम में अगला प्रदर्शन 05 अगस्त 2020 को उपायुक्त कार्यालय के सामने 12 से एक बजे तक फिर से आयोजित किया जाएगा। आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से कुमार चंद्र मार्डी, डेमका सोय, अजित तिर्की, दीपक रंजीत, गौतम बोस, सुभाष चंद्र गुप्ता, बापी कर, गौतम सामंतरा, ऋषभ रंजन, अमरेंद्र, प्रियांक प्रभात, युगांधर, कासिफ इकबाल, सुजय राय, डॉ. राम कवींद्र, जिज्ञासु, सुनीता मुर्मू, सलीम अख्तर, युधिष्ठिर, अख्तर हसनैन, बीएन प्रसाद, एफए फ़ातिमी, अंकुर, अंकित, कमलेश साहू, राहत हुसैन, सुनील विमल, अशोक शुभदर्शी, ओमप्रकाश, विकास कुमार, मदन मोहन, जगत मंथन, बाबलु, मो हबीब, अजय कुमार शर्मा, अरविंद अंजुम एवं निशांत अखिलेश आदि शामिल रहे।
(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)