Friday, April 19, 2024

कोरोना में मारे गए लोगों की याद में हर रविवार कैंडल जलाने की अपील

देश भर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाज के अलग-अलग संवेदनशील तबकों से जुड़े लोगों ने साझे रूप से Covid-19 और अन्य सन्दर्भों में मारे गए लोगों का शोक मनाने का एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत हर रविवार की शाम को अपनों की याद में मोमबत्ती या फिर दिया जलाने की अपील की गयी है। इसके साथ ही लोगों को यह छूट भी देने की बात कही गयी है कि अगर कोई चाहे तो किसी दूसरे दिन भी इस काम को कर सकता है। इनसे जुड़ी तस्वीरों को #ApnonKiYaad #CountEveryDeath के साथ साझा करने की अपील की गयी है। और इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की बात कही गयी है। अपीलकर्ताओं का कहना है कि इस अभियान में परिवार, मुहल्ले, कॉलोनी, गांव के लोगों को जोड़ें, मुहल्ले के तमाम गुजर गए लोगों को साझे रूप से श्रद्धांजलि दें।

इसके साथ ही कहा गया है कि इस अभियान के कोई नियम नहीं हैं। अपीलकर्ताओं ने कहा है कि जोर हमारी एकता और साझी पीड़ा पर हो, और सरकारों को जवाबदेह ठहराने पर हो ताकि आगे फिर ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।

अपील का मजमून नीचे है:

अपनों की याद

हर मौत को गिनें-हर ग़म को बाँटें

साझे रूप से Covid-19 और अन्य सन्दर्भों में मारे गए लोगों का शोक मनाने का एक अभियान

कोविड-19 का देश के नागरिकों ने साझा सामना किया। एक दूसरे का हाथ थामा, जब सरकारों ने हाथ खींच लिया। हमारे लाखों अपने बच नहीं पाए – वायरस से, फंगस से, आक्सीजन, अस्पताल या दवा के अभाव में। जिन्हें कोविड के अलावा कोई जानलेवा बीमारी थी- उनके लिए अस्पतालों में जगह न होने से उनकी जान गई।

जलाने दफ़नाने की जगह कम पड़ गई। गरीबों ने अपने आंसुओं के साथ अपनों को नदी में बहा दिया, या नदी किनारे कफ़न डाल विदा किया। पूरा देश इस साझे दर्द को आज भी झेल रहा है।

इस ग़म को परिवार, समुदाय, धर्म, जाति में बांटना संभव नहीं- ये ग़म हम सबका अपना है, इसे साझा करके हम ग़म को बांट सकते हैं।

सरकारें तो इन मौतों को गिनना, मानना नहीं चाहतीं। दुनिया न गिन पाए इसके लिए वे नदी किनारे दफनाई गई लाशों से कफन तक हटवा दे रही हैं। मौतों की गिनती न करके, सरकारें हमारे प्यारे अपनों को भुला देना चाहती हैं। पर हमारे अपनों को हम भुला नहीं सकते। इनमें से हरेक का नाम है, जिसे याद रखना ज़रूरी है, उनके लिए अपने प्यार को जिंदा रखना ज़रूरी है।

और उनके साथ अन्य हादसों, हिंसा की घटनाओं में मारे गये लोगों को भी याद रखेंगे हम।

-पिछले साल लॉकडाउन में पैदल घर लौटते हुए मजदूर

– भूख से खत्म हुए बच्चे, बुजुर्ग

– तूफान, बाढ़, सुखाड़ में खत्म हुए लोग

– नफ़रत या झूठ से उकसाये गए भीड़ की हिंसा में मारे गए लोग

– साम्प्रदायिक, जातिगत या पितृसत्तात्मक हिंसा में मारे गए लोग

– पुलिस दमन में मारे गए लोग

– सीवर की सफाई करते हुए मारे गए सफ़ाई कर्मी

आइए, इन सबके लिए एक आवामी यादगार के सिलसिले को अंजाम दें। आपस में संवाद बनाएँ- कि आने वाले दिनों में हमारे अपनों को ऑक्सीजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं, अन्न के अभाव में मरना न पड़े; प्राकृतिक हादसों और महामारी से जीवन और जीविका के बचाव का काम समय पर हो; उत्पीड़न, अन्याय, नफ़रत और हिंसा से किसी की जान न जाए; जो मारे गए उन सब को न्याय मिले।

इसके लिए हम अपने सरकारों को जवाबदेह कैसे बनाएँ-

हर रविवार (संडे) को

हर घर, मुहल्ले, गाँव, क़स्बे और दफ़्तर, कारख़ाने, अस्पताल आदि पर रात 8 बजे ‘अपनों की याद’ में कैंडल/दिया जलाएं।

इसके तहत- याद और दुःख बाँटने के लिए कविता और संगीत, मोमबत्तियों का इजलास, बैनर और पोस्टरों से सजे सामूहिक यादगार स्तम्भ और अन्य सृजनात्मक कदम उठाए जा सकते हैं- हर नागरिक को न्योता दिया जाता है कि वह इस सिलसिले में सृजनात्मक तरीक़े से शामिल हों। याद रहे: ऐसा करने के लिए भीड़ जुटाने और बीमारी को मौक़ा देने की ज़रूरत नहीं- आप जहां हैं वहीं से जुड़ें; बस, आस-पास के लोगों से नाता जोड़ें, उनके घरों में जो शोक और ग़म है, उसे ज़रूर साझा करें!

Abhijit Mazumdar, activist
Aditya Nigam, CSDS
Admiral (Retd) Ramdas, former Chief of Staff, Indian Navy
Ajit Kr Bhuyan, Rajya Sabha MP, senior Journalist
Annie Raja, activist
Arup Chatterjee, former Jharkhand MLA
Arundhati Ghosh, Director, India Foundation for the Arts
Balamurugan, Advocate
Bela Bhatia, activist and researcher
Bezwada Wilson, activist, Magsaysay award winner
Bhasha Singh, journalist
Chhotubhai Vasava, activist, Gujarat MLA
Clifton D’ Rozario, activist
Chetan Ahimsa, actor
Deben Tamuli, Ex Director Guwahati Doordarshan Kendra
Devanuru Mahadeva, Kannada writer, Dalit activist
Dr Harjit Singh Bhatti, medical doctor
Indira Jaising, Senior advocate, human rights lawyer
Jignesh Mewani, Gujarat MLA
Jwala Gutta, sportsperson
Kavita Krishnan, women’s rights activist
Kavita Lankesh, director,
Lalita Ramdas, anti nuclear activist
Dr. Lakshminarayana, doctor, scholar, activist
Leo Saldanha, environmental activist
Loknath Goswami, cultural activist, singer
Mahboob Alam, activist, Bihar MLA
Manoj Manzil, activist, Bihar MLA
Medha Patkar, environmental and farmers’ movement activist
M.D. Pallavi, artist
Moushumi Bhowmick, singer-songwriter
Dr R Murali, human rights activist
Nadeem Khan, human rights activist
Nirmala M, municipality workers’ union activist
N Sai Balaji, student activist
Parambrata, actor
Paranjoy Guha Thakurta, journalist
Pratima Engheepi, women’s rights activist
Prakash Rai, actor
Rameshwar Prasad, ex MP, activist
Richa Chadda, actor
Dr. Rituraj Kalita, Professor Cotton University
Rupam Islam, singer-songwriter
Dr. Samim Ahmed, writer
Du Saraswati, Kannada writer
Sashikanth Senthil, ex IAS office, resigned for conscientious reasons
Shashi Yadav, scheme workers’ federation activist
Dr P Sivakumar, Former Principal, Government Arts College, Gudiyattam
Shantanu Barthakur, Advocate
Shuddhabrata Sengupta, artist
Dr. Souravpran Goswami, professor, Guwahati University
S V Rajadurai, writer, Tamil Nadu
Tirupati Gomango, agricultural labour union activist
T.M. Krishna, musician and writer, Magsaysay award winner
T Neethirajan, Chief Editor, South Vision Books
Dr. T. N. Prakash Kammardi, Agriculture Economist
Vijay Shankar, Editor Frontline
Vijayamma, feminist writer
V Geetha, Writer, Tamil Nadu
Urmila Chauhan, sanitation workers’ union activist
Vinod Singh, activist, Jharkhand MLA
Yogendra Yadav, farmers’ movement activist

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