Wednesday, April 17, 2024

मई 2024 तक का प्लान हुआ तैयार, आंदोलन और खेती होगी साथ-साथ

सरकार के रवैये से किसान नेताओं ने बखूबी समझ लिया है कि यह आंदोलन लंबा खिंचने वाला है। सरकार आंदोलन को लंबा खींचने की कोशिश में है, ताकि जनमानस में यह बात भरी जा सके कि सरकार हल निकालने के लिए लगातार बात कर रही है, लेकिन किसान ही अड़ियल रुख अपनाए हुए हैं। इसलिए किसान नेताओं ने भी आंदोलन के लंबे चलने को लेकर तैयारी करनी शुरू कर दी है। वह अब आंदोलन और खेती-किसानी साथ-साथ करने को लेकर स्कीम बना रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है, “हम तो मई 2024 तक आंदोलन करने का रोड मैप बना रहे हैं। हम ऐसी प्लानिंग कर रहे हैं, ताकि खेती भी चलती रहेगी और आंदोलन भी चलता रहेगा। किसानों ने सरकार से कह दिया है कि हमें ये कानून नहीं चाहिए, आप कानून खत्म करें।”

वहीं आज सरकार के साथ बैठक से पहले राकेश टिकैत ने एक बार फिर दोहराया कि हमारे पास कोई फॉर्मूला तो है नहीं। सरकार के पास बहुत ज्ञानी लोग हैं और वो फॉर्मूला लेकर आएंगे। हमने सरकार को बता दिया है बिल वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून और स्वामीनाथन की रिपोर्ट के बिना बात नहीं बनेगी।

टिकरी बॉर्डर के हाईवे और निरंकारी मैदान पर प्याज सब्जियां उगाने वाले किसान अरहर और गन्ना जैसी लंबी कालावधि की फसलें दिल्ली बॉर्डर और हाईवे के डिवाइडर पर उगाने लगें तो कोई ताज्जुब नहीं होगा, क्योंकि मई 2024 में अगला लोकसभा चुनाव होना है और किसानों ने मई 2024 तक दिल्ली बॉर्डर पर टिकने और नरेंद्र मोदी सरकार का बोरिया-बिस्तर बांधकर विदा करने के बाद ही आंदोलन खत्म करने का एलान पहले ही कर रखा है।

सरकार के प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्रियों और किसान यूनियनों के नेताओं के बीच कृषि क़ानून और एमएसपी के मुद्दे पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक चल रही है। सरकार ने कृषि कानूनों को अपनी नाक का सवाल बना रखा है। जाहिर है इसकी वापसी से उसकी प्रो-कॉरपोरेट नीतियों को धक्का लगेगा। इसके अलावा नरेंद्र मोदी की ताक़तवर प्रधानमंत्री की मीडिया मेड इमेज भी टूटेगी।

वहीं दूसरी ओर किसान आंदोलन के 44वें दिन भी वे कृषि क़ानूनों की वापसी और एमएसपी पर खरीद की गांरटी देने वाले क़ानून से कम पर राजी नहीं हैं। सरकार किसान आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है, साथ ही वो ये भी चाहती है कि अवाम में ये संदेश जाए कि सरकार बातचीत कर रही है, किसान ही अड़ियल रुख अपनाए हुए हैं। सरकार कहीं न कहीं सुप्रीम कोर्ट के जरिए इस आंदोलन को निष्प्रभावी बनाने के भी जुगत में है। किसान यूनियन के लोग सरकार के इस फरेब को भलीभांति समझ रहे हैं और तदानुसार रणनीति को बना और उस पर अमल कर रहे हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles