सीपी कमेंट्री: मोदी जी के ‘मेहुल भाई’ कैसे पकड़े गए सात समुंदर पार, क्या हैं इसके मायने?

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आख़िर गिल अपनी सर्फ़-ए-दर-ए-मय-कदा हुई

पहुँची वहीं पे ख़ाक जहां का ख़मीर था

  • मिर्ज़ा जवां बख़्त जहांदार

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोषित ‘मेहुल भाई‘ यानि मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 13,500 करोड़ रुपये की लूट के आपराधिक मामले में भारत में पुलिस को वांछित हैं। दोनों गुजराती मूल के बहुत बड़े हीरा कारोबारी हैं। ये लूट इन ‘लम्पट पूंजीपतियों‘ ने अपने कारोबार में आम तौर पर बैंक से बड़े परिमाण में अल्पकालिक उधारी लेने में इस्तेमाल किये जाने वाले ‘लेटर ओफ अंडरटेकिंग‘ (वचन-पत्र) का बेजा इस्तेमाल कर 2017 में की थी।

भारत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के बाद इस दूसरे सबसे बड़े बैंक के आला प्रबंधकों को इस लूट का पता उसके मुम्बई के एक कॉर्पोरेट ब्रांच की कर्मियों की चौकसी से बाद में तब चला जब फरार हो चुके नीरव मोदी के दावोस में विश्व आर्थिक सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से भेंट की खबर सामने आई। 

नीरव मोदी पहली जनवरी 2018 को भारत से भागा। उसी दिन उसका भाई निशल मोदी भी विदेश फरार हो गया। नीरव मोदी के मामा, मेहुल चोकसी 4 जनवरी को भागा। पत्नी अमि मोदी 6 जनवरी को भाग निकली। कोई शक ना हो इसलिए वे अलग-अलग भागे। नीरव मोदी ने विदेश में प्रधानमंत्री मोदी से अलग से भी मुलाक़ात की। इस मुलाकात की खबर फैलने के बाद ही पीएनबी घोटाला की भनक उसके आला मैंनेजरों को मिली। तब मामला छानबीन के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को 29 जनवरी, 2018 के हाथ आया।

मोदी जी की पार्टी के प्रवक्ता ने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि इस घोटालेबाज से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग में तत्कालीन संयुक्त सचिव लोक रंजन ने कह दिया ये बड़ा मामला नहीं है स्थिति काबू में है। तब केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ‘सिंह गर्जना‘ थी : जरुरत पड़ी तो उसको अमरीका से खींच लाएंगे। बहरहाल मोदी सरकार के न्यायिक आला अधिकारी ने इस घोटाले की जांच की याचना के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका का खुल कर विरोध किया।

भारत से अब भगोड़ा घोषित नीरव मोदी फरार होकर लंदन चला गया था। वहाँ की पुलिस ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिये 2019 में उसकी गिरफ्तारी भी की। लेकिन उसे प्रत्यर्पण की वैधानिकता को चुनौती देने की उसकी याचिका पर अदालत से अंतरिम राहत मिल गई और वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर मजे ले रहा है। मेहुल चोकसी भारत से भाग कर कैरिबियाई देश एंटीगुआ पहुंच वहीं बस भी गया। मामा और भान्जा दोनों ही लूट का सारा धन, अपनी अन्य पूंजी और कमाई पहले ही विदेश भेज चुके थे,  

नीरव मोदी का जलवा अभूतपूर्व है। वह विदेश फरार होने के बाद छुपा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ दावोस में भारतीय व्यवसाइयों के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो गया। उसने वहा दर्प की मुद्रा में मोदी जी के साथ की वो फोटो भी सार्वजनिक की जो जनचौक पर सीपी-कमेंट्री के पिछले अंक में छप चुकी है, उसी फोटो से भारत में पीएनबी घोटाले की भनक लगी। फिर जब हो हल्ला मचा तो नीरव मोदी ने अमरीका पहुंच कर कहा कि वह कुछ भी धन लौटाने वाला नहीं है और कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

वह भारत के बैंकों को करोड़ों रूपये का चूना लगाकर विदेश फरार हुए भाजपा-समर्थित पूर्व राज्यसभा सदस्य और शराब कारोबारी, विजय माल्या ही नहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को चार हज़ार करोड़ रूपये की चपत लगाकर भारत की तब की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (अब दिवंगत) और राजस्थान की तब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से हासिल दस्तावेज के बूते कानून को धता बता लंदन फरार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट के ललित मोदी की तरह अब लंदन में मजे ले रहा है। कोई जब नीरव मोदी से पूछ्ता है- कैसे हो? तो वह अक्सर गुजराती में बोलता है : मजे मा छू। उसके भाई का विवाह उद्योगपति मुकेश अम्‍बानी की भांजी से हुआ है। इस विवाह के उपलक्ष्य में मुकेश अम्‍बानी के मुंबई स्थित विशाल आवास में हुई भव्य पार्टी में सियासत, व्यापार और फिल्मी दुनिया के करीब सभी नामी -गिरामी लोगों ने हाजिरी दी थी।

मेहुल पुलिस गिरफ़्त में

हाल में इंटरपोल की पहले से जारी नोटिस की बदौलत कैरेबिया के ही देश डोमनिका गणराज्य की पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पहले ये खबर आई कि डोमनिका में 26 और 27 मई की आधी रात पकड़े गये 62 बरस के मेहुल चोकसी को अंटिगुआ की पुलिस के हवाले करने के बाद प्रत्यर्पण के जरिये भारत भेजा जा सकता है। पर उसे बचाने का तंत्र भी काम पर लग गया है, मेहुल चौकसी के भारत में नियुक्त वकील विजय अग्रवाल के अनुसार वह अंटीगुआ का नागरिक बन चुका है। इसलिये उसे भारत नहीं भेजा जा सकता है।

अंटिगुआ से जारी दोनों फोटो।

कोरोना कोविड-19 नेगेटिव

इस बीच मेडिकल जांच में 62 बरस का मेहुल चोकसी कोरोना कोविड-19 पोजिटिव नहीं बल्कि नेगेटिव निकला। वह कैरेबियाई देश डोमिनिका गणराज्य की राजधानी रोजियो के एक सरकारी क्वारंटाइन अस्पताल में भर्ती है, वहां उसे भारी पुलिस बंदोबस्त के साथ एक खास रूम दिया गया है जिसकी कोई तस्वीर तत्काल नहीं मिली है। लेकिन रविवार को उसकी सलाखों में बंदी हालात में नई तस्वीर सामने आई थी। उसकी ये तस्वीर पिछले तीन बरस के बाद दुनिया को दिखी। तस्वीर से लगता है उसके हाथ पर चोट है और बाई आंख में सूजन है। ये नई तस्वीर सरकारी तौर पर ‘अंटिगुआ न्यूज रूम‘ ने जारी की।  

उसके वकीलों का दावा है कि मेहुल चोकसी का अंटिगुआ और बरबूडा के जौली हारबर से भारत और अंटिगुआ के सुरक्षा कर्मियों जैसे लगने वालों ने अपहरण करने की कोशिश की थी।

अंटिगुआ के प्रधानमंत्री गास्तन ब्राऊन ने रविवार को बताया कि उसे ले जाने के लिये भारत से एक प्राइवेट जेट विमान डोमिनिका के डगलस चार्ल्स एयरपोर्ट पर उतरा। पर डोमिनिका की एक अदालत ने मेहुल के प्रत्यर्पण पर लगाई रोक दो जून को अगली सुनवाई तक बढ़ा दी है।

पिछले रविवार मेहुल के अंटिगुआ से रहस्यमय तरीके से ‘गायब‘ हो जाने पर विपक्षी दलों के हल्ला गुल्ला करने के बाद अदालत में मेहुल को सशरीर पेश करने के लिये याचिक दाखिल की गई थी। उसी याचिका पर अदालत ने उसके भारत प्रत्यर्पण पर अंतरिम रोक लगाई है।

मेहुल ने भारत से फरार होकर अंटिगुआ पहुंच जाने के बाद वहां की नागरिकता खरीद ली थी। बामुश्किल एक लाख की आबादी के एंटिगुआ के कानून के अनुसार देश में पूंजी निवेश करने वाला कोई भी उसकी नागरिकता हासिल कर सकता है। जो लम्पट पूंजीपति भारत से बैंक लूट कर उस धन का निवेश कर नागरिकता खरीद सकता है वो भारत में कानून की गिरफ्त से बचने के लिये कुछ भी कर करा सकता है। और हमें नहीं भूलना चाहिए कि वह गुजराती मूल का हीरा कारोबारी ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेहुल भाई‘ भी है।

(चंद्र प्रकाश झा वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं आप यूएनआई में तकरीबन 26 वर्षों तक वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।)

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