नरेंद्र मोदी के शासन वाले ‘न्यू इंडिया’ में जैसा कि आम चलन है कि किसी गांव, गली, शहर या मोहल्ले में कोई अजनबी या संदिग्ध दिख जाये तो उसकी मॉब लिंचिंग कर दी जा रही है। लेकिन सेहुड़ा गांव के ग्राम प्रधान रज्जन कोल के गांव में एक संदिग्ध दिखा तो उन्होंने 112 नंबर पर कॉल करके पुलिस को सूचना दी और मदद मांगी। अंजाम ये हुआ कि न्यू इंडिया की ‘रवायत’ तोड़ने की सज़ा आदिवासी ग्राम प्रधान समेत पूरे गांव को दी गयी। ग्राम प्रधान रज्जन कोल, उनके छोटे बाई अर्जुन कोल, बीडीसी पति श्याम मोहन पाल, राजू कुशवाहा, सुरेश वर्मा पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 332, 353, 427, 506, 307, 186 आईपीसी के तहत फर्जी मुक़दमा दर्ज़ कर लिया गया। ग्राम प्रधान और उनके भाई को थाने में बंद करके घंटों पीटा गया और चालान करके नैनी जेल भेज दिया दया।
मामला जिला प्रयागराज (इलाहाबाद) के थाना क्षेत्र बारा के गांव सेहुड़ा का है। संतरा देवी (ग्राम प्रधान की बीवी) बताती हैं कि 23 अगस्त की बात है। शाम ढले सेहुड़ा गांव के मजरे गोदिया का पुरवा निवासी दुरेन्द्र यादव ने फोन करके ग्राम प्रधान (रज्जन कोल) को बताया कि “हमारे घर के आस-पास एक संदिग्ध व्यक्ति घूम रहा है। जो साफ सुथरा कपड़ा पहने हुआ है। पूछने पर कुछ अस्पष्ट बातें कर रहा है। हम लोगों को डर लग रहा है, प्रधान जी कुछ करिये।”
ग्राम प्रधान पत्नी संतरा देवी बताती हैं कि फोन करने के कुछ देर बाद 112 नंबर गाड़ी में पुलिस आयी। उसमें एक ड्राइवर और एक सिपाही मुकेश कुमार मौर्या बैठे थे। बता दें कि गोदिया के पुरवा जाने वाला रास्ता ग्राम प्रधान के दरवाजे से ही होकर जाता है।
शुभम कौल (बेटा) बताता है कि प्रधान ने उक्त ड्राइवर को बताया कि यहां से थोड़ी ही दूर पर वो पुरवा है जहां संदिग्ध व्यक्ति को लोगों ने पकड़ा है। आप मुझे गाड़ी पर बैठा लीजिये मैं आपको वहां तक लेकर चलता हूं। इस पर नाराज़ होकर सिपाही मुकेश मौर्या ने कहा कि गाड़ी मुजिरम को ले जाने के लिये है या तुम्हारे बैठने के लिये। हम गाड़ी में सिर्फ़ उसे ही बैठायेंगे। तुम्हें नहीं। इतना कहकर 112 नंबर गाड़ी लेकर वो लोग गोदिया पुरवा के लिये निकल गये।
गांव में मवेशियों के कई चोरियां हुयीं
ग्राम प्रधान के बेटे शुभम कोल बताते हैं कि “ गोदिया पुरवा पहुंचकर 112 नंबर में आये पुलिस वालों ने उक्त संदिग्ध व्यक्ति को अपने साथ लिवा जाने से साफ इन्कार कर दिया। यह कहकर कि ये पागल है। गांव वालों ने गुजारिश की कि साहेब हमारे गांव में चोरी की कई घटनायें हो चुकी हैं। कई लोगों की भैंस चोरी हो चुकी है। और पूर्व प्रधान जवाहर लाल पाल की भैंस चोरी की घटना, राजेंद्र यादव की भैंस चोरी की घटना, परमानन्द के घर में भैंस चोरी की घटना, व फूलबाबू की भैंस की चोरी की घटना थाने में दर्ज़ भी करवायी गयी है, जिसका आज तक कोई निवारण नहीं हुआ है। इसलिये हम ग्रामवासी उक्त संदिग्ध व्यक्ति से अपनी महिलाओं, बच्चों व मवेशियों की सुरक्षा को लेकर डरे हुये हैं। गांव वालों ने अपनी पीड़ा दर्द और भय को बयान करते हुये 112 नंबर पुलिस से विनती की कि आप उक्त व्यक्ति को साथ ले जायें।
लेकिन उक्त संदिग्ध व्यक्ति को पागल बताकर न ले जाने पर अड़े रहे। गांव वालों ने दलील दी कि पागल होता तो उसके कपड़े इतने साफ सुथरे और सलीके से न होते। फिर सिपाही मुकेश कुमार मौर्या ने एसओ टीका राम वर्मा से फोन पर बात किया। और दुरेन्द्र यादव समेत वहां मौजूद लोगों से कहा कि इस व्यक्ति (संदिग्ध) को ग्राम प्रधान के यहां छोड़ आओ। और फिर आगे आगे संदिग्ध को लेकर और पीछे पीछे 112 नंबर गाड़ी में दो पुलिसकर्मी ग्राम प्रधान रज्जन कोल के घर पहुंचे।
एसओ टीकाराम ने प्रधान को कहा ‘तू उस आदमी को अपने घर रख’, फिर जाति सूचक मां बहन की गालियां दीं।
बता दूँ कि ग्राम प्रधान रज्जन कोल आदिवासी समाज से आते हैं। न सिर्फ़ वो झोपड़ी में रहते हैं उनके यहां बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। एसटी आरक्षित ग्रामसभा होने के चलते इस बार वो ग्राम प्रधान के तौर पर चुने गये हैं। उनके पास अपना कोई संसाधन तक नहीं है एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये।
आदिवासी ग्राम प्रधान के घर पहुंचकर सिपाही मुकेश कुमार मौर्या ने बारा थानाध्यक्ष टीकाराम वर्मा को फोन मिला कर ग्राम प्रधान को पकड़ा दिया। जब ग्राम प्रधान ने फोन हाथ में लिया तो स्पीकर ऑन था और उनके इर्द गिर्द गांव के तमाम आदमी औरतें खड़ी थीं।
एसओ टीका राम वर्मा ने फोन पर ग्राम प्रधान से कहा कि उस व्यक्ति (संदिग्ध) को तू अपने घर रख। इस पर ग्राम प्रधान रज्जन कोल ने कहा कि कैसी बात करते हैं साहेब। इसे अपने यहां रखकर क्या मैं इससे अपना घर, अपना गांव लुटवाऊंगा।
ग्राम प्रधान का जवाब सुनते ही आग बबूला हो थानाध्यक्ष बारा ने ग्राम प्रधान की मां-बहन को गंदी-गंदी गालियां, इतना ही नहीं जाति सूचक गालियां देनी शुरू कर दी। जिन्हें पूरे गांव ने सुना। बावजूद इसके ग्राम प्रधान ने बारा थानाध्यक्ष से कहा कि आप उक्त संदिग्ध व्यक्ति को मेरे ग्रामसभा से बाहर ले जाइये। ग्राम प्रधान ने कहा कि साहेब आपको इस संदिग्ध व्यक्ति को मेरे गांव से लेकर जाना ही होगा। ये लोग नहीं ले जा रहे हैं तो आप आइये तभी 112 नंबर गाड़ी गांव से जायेगी।
आदिवासी प्रधान का जवाब देना एसओ टीकाराम के इगो को हर्ट कर गया
फोन कटने के थोड़ी देर बाद एक दूसरी गाड़ी में छोटे दरोगा अजीत कुमार कुछ सिपाहियों को लेकर गांव पहुंचे। उन्होंने उक्त संदिग्ध व्यक्ति को गाड़ी में बैठाया और जाते जाते गांव वालों से कहा कि आप सभी लोग पूछ-ताछ के लिये थाने आइये।
उसी वक़्त गांव के क़रीब 200 लोग पीछे पीछे थाने चल दिये। उस वक़्त रात के 11:00 बज रहे थे। गांववाले बारा थाना के पास सड़क पर ही थे कि एक पुलिस वाला गुर्राता हुआ आया और बोला ग्राम प्रधान कौन है। और ‘मैं’ कहते ही वो ग्राम प्रधान को घसीटता हुआ थाने के अंदर ले गया।
थाने पहुंचे गांव वाले कुछ समझ पाते इससे पहले ही उन निहत्थे गांव वालों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें गांव के कई स्त्री-पुरुष ज़ख्मी हुये। बाक़ी डर के मारे वापस गांव भाग आये। पुलिस ने ग्राम प्रधान रज्जन कोल और उनके छोटे भाई अर्जुन कोल को थाने में बंद कर दिया। मजदूर नेता डॉ. कमल उसरी बताते हैं कि जेल में बंद होते ही ग्राम प्रधान ने उनको फोन मिलाकर उनसे घटना को बताना शुरु ही किया था कि एक पुलिस वाले ने उन्हें गरियाते हुये उनसे उनका मोबाइल फोन छीन लिया।
थाने में एसओ टीकाराम ने 3 घंटे लगातार पीटा
24 घंटे बाद थाने से छूटकर आये ग्राम प्रधान के भाई व खुद भुक्तभोगी अर्जुन कोल बताते हैं कि मुझे और मेरे प्रधान भाई को तीन घंटे तक लगातार एसओ टीना राम वर्मा ने रॉड से पीटा। बीच-बीच में दूसरे पुलिस वाले भी पीटते थे। अर्जुन कोल बताते हैं कि मुझे कम प्रधान जी को ज़्यादा पीटा। थोड़ी देर पीटने के बाद एसओ जाता और फिर दारू पीकर वापस लौटकर आता और पीटने लगता। ये सिलसिला लगभग तीन घंटे तक चलता रहा।
ग्राम प्रधान रज्जन कोल का चलान करके नैनी जेल भेज दिया गया है। कल सुबह उनसे मिलकर आये उनकी बीवी संतरा देवी और बेटा सुभाष बताते हैं कि उनके पिता को पुलिस खासकर एसओ ने बहुत ज़्यादा पीटा है। उनके पूरे शरीर में सूजन है। वो ठीक से उठ बैठ तक नहीं पा रहे हैं। पीटे जाने के बाद से लगातार उनकी आँत में दर्द हो रहा है। पिटाई में उनकी आंत में भी चोट आयी है। उनकी पीठ जांघ, हाथ पैर सब डंडे की मार से काले पड़े हुये हैं।
डॉ. कमल बताते हैं कि 24 अगस्त की सुबह जब ग्रामवासी थाने का घेराव करने के लिये पहुंचे। और आवाज़ उठायी कि थाने में ग्रामवासियों को क्यों पीटा गया और उनके ग्राम प्रधान को थाने में क्यों बंद करके रखा गया है तो सीओ ने ग्रामवासियों से कहा कि आप लोग घर जाइये हम इन्हें थोड़ी देर में छोड़ देंगे।
सीपीआई (माले) सदस्य और ट्रेड यूनियनकर्मी डॉ कमल उसरी आगे बताते हैं कि लेकिन सीओ ने गांव वालों से आश्वासन देने के बावजूद ग्राम प्रधान को नहीं छोड़ा और निर्वाचित ग्राम प्रधान रज्जन कोल को चालान काटकर नैनी जेल भेज दिया। रज्जन कोल, उनके भाई अर्जुन कोल, बीडीसी शीला पाल के पति श्याम मोहन पाल, सुरेश वर्मा और राजू कुशवाहा के ख़िलाफ़ फर्जी एफआईआर मु. अ. सं. 0120 वर्ष 2021 धारा 147, 148,149,332,353, 427, 506, 307, 186 आईपीसी दर्ज़ किया गया है।
डॉ कमल बताते हैं कि रज्जन और उसके भाई को 23 अगस्त की रात में 11:30 बजे ही थाने में बंद कर दिया गया था जबकि एफआईआर में गिरफ्तारी 24 अगस्त को 2 बजे भोर में थाने से तीन किलोमीटर दूर की दिखा रहे हैं।
और जिस संदिग्ध व्यक्ति को पागल कह कर ले जाने से इंकार कर रहे थे उसे अगले दो तीन दिनों तक़ थाने में रखते हैं वो भी बिना कोई सावधानी बरते।
सीओ व थानाध्यक्ष के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग
एक सच्चे नागरिक व जन प्रतिनिधि की तरह अपने उत्तरदायित्व व कर्तव्य का निर्वाहन कर रहे निर्वाचित जनप्रतिनिधि रज्जन कोल समेत पांच लोगों को झूठे मुक़दमे में फंसाकर जेल में डालने और निर्दोष गाँव वालों पर लाठीचार्ज करने से आक्रोशित ग्रामवासी सीओ व थानाध्यक्ष के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
26 अगस्त को सेहुड़ा गांव के ग्राम वासियों ने पूरा दिन पुलिस महानिरीक्षक के दफ़्तर के बाहर भूखे प्यासे विरोध प्रदर्शन किया। गांव वासियों ने महानिरीक्षक प्रयागराज से मांग किया कि एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर निष्पक्षता से जाँच करवाएं और ग्रामीणों में व्याप्त भय के वातावरण को दूर करते हुए कानून का राज स्थापित करें।
बिना घटनास्थल और थाने गये दर्ज हो गया केस
जिन पांच लोगों के नाम धारा 147, 148,149,332,353, 427, 506, 307, 186 आईपीसी में केस दर्ज़ किया गया है उसमें बीडीसी शीला पाल के पति श्याम मोहन पाल का नाम भी है। श्याम मोहन पाल बताते हैं कि उस रोज न तो मैं घटनास्थल पर गया था, न ही पुलिस थाना। बावजूद इसके मेरे नाम पर केस दर्ज़ कर लिया गया है। श्याम मोहन पाल बताते हैं कि पिछले चार साल से वो इलाज पर चल रहे हैं। उनकी दोनों किडनी डैमेज हो चुकी है। बिना नमक मिर्च मसाला का खाना खाता हूँ। अस्पताल छोड़ न कहीं आता हूँ, न जाता हूँ।
वो कहते हैं मेरी किसी पुलिस सिपाही होमगार्ड से कोई वास्ता भी नहीं पड़ा कभी। फिर जाने कैसे मेरे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। श्याम मोहन पाल बताते हैं कि थाने वाले मुझे या मेरा नाम क्या जानें। ज़रूर किसी गांव वाले ने ही लिखवाया होगा। श्याम मोहन बताते हैं कि मेरा गाँव में भी किसी से कोई झगड़ा फसाद नहीं रहा। क्या कहूँ। पहले से ही इतना बीमार चल रहा हूँ, पानी तक उबालकर पीना पड़ रहा है ऐसे में अगर मुझे जेल में डाल दिया तो मैं तो मर ही जाऊँगा।
(प्रयागराज से जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)
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