मोदी सरकार ने किसी और का भला किया हो न या न किया हो उसने अम्बानी और अडानी का भला जरूर किया है। जनता के अच्छे दिन नहीं आए लेकिन अडानी, अम्बानी के अच्छे दिन जरूर आ गए। मुकेश अम्बानी की जिओ देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गयी है और अडानी को जो मिला है उसे देखकर आपकी आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो जाएंगी।
आज सुबह की ही खबर है कि देश में जल्द ही 25 अन्य हवाई अड्डों का परिचालन निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले साल देश के छह में से पांच हवाई अड्डों के परिचालन की जिम्मेदारी अडानी समूह को दी गई थी जिस पर नयी कैबिनेट ने भी मुहर लगा दी है।
लेकिन यह तो सभी को पता है, जो सबको नहीं पता है वो ये है कि मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते संसद भारतीय हवाई अड्डा आर्थिक नियमन प्राधिकरण संशोधन अधिनियम पारित कर दिया है। इस संशोधन विधेयक के जरिये वर्ष 2008 में बने मूल कानून के खास प्रावधानों में बदलाव कर दिया गया है। बदलाव यह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के अधिकार क्षेत्र से वे सभी हवाई अड्डे बाहर हो जाएंगे जिन्हें ऑपरेटरों ने शुल्क-आधारित निविदा या पूर्व-निर्धारित शुल्कों के आधार पर हासिल किया है।
यानी अडानी द्वारा खरीदे गए एयरपोर्ट पर अब सरकारी नियंत्रण पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। अब उसे सीधे 50 साल के लिए ये हवाई अड्डे सौंप दिए गए हैं। इतनी लंबी अवधि के लिए हवाई अड्डे सौंपे जाना कई सवाल खड़े करता है जिसका कोई जवाब नहीं है।
देश में 123 में से केवल 14 हवाई अड्डे लाभ की स्थिति में हैं, शेष 109 नुकसान में हैं। और इन 14 में से 5 हवाई अड्डे अडानी के सौंपे जा चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि 100 करोड़ से अधिक मुनाफा कमाने वाले हवाई अड्डों की संख्या 7 है। इनमें लखनऊ, अहमदाबाद और तिरुवनंतपुरम शामिल हैं। यानी प्रॉफिट कमाने वाले एयरपोर्ट अडानी जी के पास।
अडानी को ये हवाई अड्डे 50 साल के लिए सौंप देने से लोगों को हवाई यात्रा के लिए ज्यादा शुल्क चुकाना होगा, निजी ऑपरेटरों को हवाई अड्डे सौंप देने की योजना लागू करने के चक्कर में केंद्र सरकार ने एविएशन सिक्योरिटी फीस (एएसएफ) लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब हवाई यात्रियों को पैसेंजर सर्विस फीस (पीएसएफ) की जगह एएसएफ का भुगतान करना होगा। पीएसएफ के मुकाबले एएसएफ की दर ज्यादा है। यानी जैसे ही अब आप एयरपोर्ट में प्रवेश करेंगे आपको पिछली बार से डेढ़ गुना शुल्क चुकाना होगा।
अब भी देश की जनता को यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह मोदी सरकार नहीं अपितु अडानी-अम्बानी की सरकार है तो इस देश का अब भगवान ही मालिक है।
(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)