Thursday, March 30, 2023

तबाही के कगार पर पहुंच गयी हैं कभी फायदा देने वाली देश की नवरत्न कंपनियां

गिरीश मालवीय
Follow us:

ज़रूर पढ़े

कोई माने या न माने पर यह सच है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा गड्ढे में कोई गया है तो वह PSU यानी सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कम्पनियां ही हैं। ये कंपनियां भीषण वित्तीय संकट की तरफ बढ़ती दिख रही हैं।

आमदनी के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों ( PSU ) के कुल कर्ज में गत पांच साल में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उनका कुल कर्ज मार्च 2014 में 4.38 लाख करोड़ रुपए था, जो मार्च 2019 में बढ़कर 6.15 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। ONGC को ही ले लीजिए, ONGC का सकल कर्ज पिछले पांच साल में दो गुना से अधिक बढ़ा है। मार्च 2014 में 49,000 करोड़ रुपया से बढ़कर मार्च 2019 में 1,07000 करोड़ रुपया हो गया है।

इन दस कंपनियों में ONGC के अलावा एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, इंडियन ऑयल, सेल, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स, गेल (इंडिया), भेल और कोल इंडिया शामिल हैं।

इसके अलावा पांच साल में इन PSU की नकदी में भारी गिरावट आई है और उनके नेट डेट में पांच साल में दोगुने तक का इजाफा हुआ है कंपनी के कुल कर्ज में से उसके पास मौजूद नकदी को घटा देने पर जो कर्ज बचता है, उसे नेट डेट कहते हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक इस दौरान इन 10 कंपनियों का नेट डेट लगभग दोगुना बढ़कर 5.33 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो पांच साल पहले 2.65 लाख करोड़ रुपए था। इसके कारण इन 10 कंपनियों में शेयर के मुकाबले नेट डेट का अनुपात बढ़कर रिकॉर्ड 0.77 गुना पर पहुंच गया। यह पांच साल पहले 0.47 गुने पर था।

ज्यादातर सरकारी कम्पनियां सरकार के विनिवेश कार्यक्रम की वजह से वित्तीय संकट में आई हैं। सरकार PSU के विनिवेश को बढ़ावा दे रही है लेकिन कोई खरीदने को तैयार नहीं है। इसलिए बड़े PSU पर घाटे में चल रही अन्य सार्वजनिक कंपनियों की हिस्सेदारी सरकार से खरीदने का भारी दबाव बनाया जा रहा है। HPCL में विनिवेश के बाद ओएनजीसी पर 28,191 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज हो गया है। यह ओएनजीसी के कुल कर्ज का 26 फीसदी है। HPCL और गुजरात की एक सरकारी कम्पनी को खरीदने से ONGC की वित्तीय हालत तेजी से बिगड़ी जबकि ONGC को कैश रिच कम्पनी माना जाता है। तीन-चार साल पहले तक ओएनजीसी के पास 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की नगदी (कैश रिजर्व) थी।

कल खबर आयी है कि देश के अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार मंदी के कारण भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को भुगतान किए जाने वाले लीव एनकैशमेंट को स्थगित कर दिया है। वहीं, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने पिछले 2-3 साल से लीव एनकैशमेंट पर रोक लगा रखी है।

नकदी संकट की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि HAL को अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए बैंक से एडवांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं बीएसएनल ने भी लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड लगाने के निर्धारित लक्ष्य से चूकने पर अधिकारियों पर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है। यह जुर्माना सितंबर माह की सैलरी से काटा जाएगा।

कोल इंडिया की एक सहायक साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड कंपनी के बोर्ड द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के अगस्त की सैलरी से 25 फीसदी तक की कटौती जैसी बातों पर विचार किया जा रहा है।

सरकार के विनिवेश कार्यक्रम को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि बड़े PSU को मोदी जी ने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ लिया है और अब वह उनका पेट काटकर एक ही बार मे सारे अंडे निकालने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आर्थिक मामलों की बेहतर समझ रखते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

मनरेगा को मारने की मोदी सरकार की साजिशों के खिलाफ खेग्रामस करेगा देशव्यापी आंदोलन, 600 रु दैनिक मजदूरी की मांग

पटना 30 मार्च 2023। अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के उपरांत...

सम्बंधित ख़बरें