पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है। हजारों कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं। 19 फरवरी को कर्मचारियों ने पंचकूला में हरियाणा के मुख्यमंत्री के आवास के पास जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में करीब 70 हजार कर्मचारी शामिल रहे। कर्मचारियों के आंदोलन से दबाव में आई हरियाणा सरकार ने सोमवार को पुरानी पेंशन को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है।
कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मनोहर लाल खट्टर के आवास की तरफ मार्च कर रहे थे तभी हरियाणा पुलिस ने उनके ऊपर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़ दिए। पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज और हवाई फायर भी किए।
हरियाणा के कर्मचारी इसलिए भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का आंदोलन चला रहे हैं, क्योंकि विपक्ष शासित राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और झारखंड में पुरानी पेंशन को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पेंशन बहाली संघर्ष समिति ने कहा कि कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी गई है। लेकिन भाजपा सरकार कर्मचारियों से बात नहीं करती। इसलिए हम अपना शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।
हरियाणा सरकार ने बनायी कमेटी
पुरानी पेंशन की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के दबाव में हरियाणा सरकार ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अनुराग रस्तोगी के अलावा मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव वी उमाशंकर भी शामिल हैं।
यह कमेटी पुरानी पेंशन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी की पहली बैठक तीन मार्च को चंडीगढ़ में होगी। इस बैठक में कर्मचारी संगठनों को भी बुलाया गया है।
कर्मचारियों पर दमन का विरोध
पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हरियाणा के कर्मचारियों पर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले छोड़ने और लाठीचार्ज करने का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है।
राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद भी केंद्र सरकार कर्मचारियों के 41,000 करोड़ रुपये पर कुंडली मारकर बैठी है। साथ ही बीजेपी शासित राज्यों में कर्मचारियों की पेंशन की मांग को दबाने की कोशिश की जा रही है।
न्यू पेंशन स्कीम एंप्लॉयज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश सचिव सुरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि “केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2004 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की।
नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह 10% अंशदान और उतना ही सरकारी अनुदान पीएफआरडीए के माध्यम से एनएसडीएल में जमा करवाया जाता है। जो शेयर मार्केट पर आधारित है जिसके कारण रिटायरमेंट के पश्चात निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।”
उन्होंने कहा कि “ऐसे में कर्मचारियों की जायज मांग पर हरियाणा सरकार को संवाद करना चाहिए था लेकिन उसके बजाय सरकार दमनकारी नीति अपनाते हुए कर्मचारियों पर डंडे बरसा रही है, जिसका NPSEFR विरोध करता है और कड़ी शब्दों में निंदा करता है।”
सुरेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि “कर्मचारी कई वर्षों से शांतिपूर्ण एवं गांधीवादी तरीके से संघर्षरत हैं और पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी संगठनों से संवाद स्थापित करने के बजाए दमनकारी नीति पर उतर आई है।”
उन्होंने कहा कि “कर्मचारियों की मांगों को दबाना और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन की बौछार करते हुए लाठी चार्ज करना न्यायोचित नहीं है। यह लोकतंत्र की मूल की भावना के खिलाफ है”।
कर्मचारी नेता ने कहा कि अगर खट्टर सरकार सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा नहीं करती और शिष्ट मंडल की वार्ता सफल नहीं होती तो राजस्थान के कर्मचारी हरियाणा के कर्मचारियों के संघर्ष में भागीदारी करेंगे और पुरानी पेंशन का विरोध करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों का बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के कर्मचारियों के 41,000 करोड़ रुपये पर केंद्र सरकार कुंडली मारकर बैठी है। राजस्थान पूरे देश में पेंशन आंदोलन की अगुवाई कर रहा है, हम हर उस व्यक्ति का विरोध करते हैं जो पुरानी पेंशन का विरोध करता है।