Thursday, April 25, 2024

पंजाब: अजनाला प्रकरण आखिर किसकी साजिश?

पंजाब के जिले अमृतसर के तहत आनेवाला कस्बेनुमा शहर अजनाला में जो कुछ हुआ वह किसी ‘गहरी साजिश’ के तहत अंजाम दिया गया। जिस तरीके से ‘वारिस पंजाब दे’ के तथाकथित मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा ने श्री गुरुग्रंथ साहिब की आड़ में इसे सिरे चढ़ाया, उसने कई सरगोशियों को दरपेश किया है।

थाने पर कब्जा मामूली बात नहीं और अब हजारों की तादाद में वहां पहुंचे लोगों और पुलिस के खिलाफ हिंसा करने वाले अमृतपाल सिंह पर पंजाब में कई सवाल उठ रहे हैं।

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोका जा सकता था। ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ शब्द इसलिए कि अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष सिखों के बीच पूरे प्रकरण की बाबत निहायत गलत संदेश गया है। अमृतपाल सिंह खालसा और उसके समर्थकों ने अजनाला के जिस थाने पर कब्जा किया, वह भारत-पाकिस्तान सीमा से महज बीस किलोमीटर की दूरी पर है।

पंजाब के तमाम सरहदी जिलों में बीएसएफ तैनात है और उसका दायरा 150 किलोमीटर तक कार्रवाई करने का है। पहले यह दायरा न्यूनतम था लेकिन जब बढ़ाया गया तो राज्य में इसका खूब विरोध हुआ था। अब पूछा जा रहा है कि अगर पंजाब पुलिस नाकाम रही तो बीएसएफ वहां क्यों नहीं गई? जबकि वह तमाम घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए थी।

पंजाब पुलिस राज्य शासन-व्यवस्था के तहत काम करती है और बीएसएफ यानी केंद्रीय सुरक्षा बल केंद्र के मातहत है। पंजाब पुलिस कतिपय वजहों से बेबस थी तो बीएसएफ को कहा जा सकता था। लेकिन अजनाला प्रकरण में ऐसा कुछ नहीं किया गया। सवाल है कि ऐसा क्यों नहीं किया गया?

अजनाला पुलिस स्टेशन के सामने से गुरुग्रंथ साहिब की पालकी हटा ली गई थी और अमृतपाल सिंह खालसा थाने के भीतर एसएचओ की कुर्सी पर बैठकर आला पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर रहा था। उसी थाने में, जहां उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया और उसके एक साथी की गिरफ्तारी हुई। बाद में उसे रिहा भी कर दिया गया। मुकदमे में से अमृतपाल सिंह खालसा का नाम हटाने की कवायद भी जारी है। पुलिस का तर्क यह है कि कोई गवाह सामने नहीं है।

जिस मामले को लेकर इतना बड़ा कांड पंजाब में हुआ, वह उस शिकायतकर्ता वरिंदर सिंह की बाबत है जिसे अब पुलिस और अमृतपाल सिंह खालसा ‘पागल’ करार दे रहे हैं। यानी यह सुनिश्चित किया गया कि वरिंदर सिंह ‘पागल’ है!

वरिंदर सिंह,अमृतपाल के खिलाफ केस करने वाले

अब वरिंदर ने बाकायदा वीडियो जारी करके पूछा है कि उसे किस डॉक्टर ने पागल घोषित करार दिया है? उसका कहना है, “मैं अगर पागल हूं तो मेरी बातों को क्यों गंभीरता से लिया गया और इतना बवाल खड़ा किया गया। मैं स्वर्ण मंदिर साहिब में मत्था टेकने गया था और धोखे से मुझे अमृतपाल सिंह खालसा के साथियों ने अगवा कर लिया और बेइंतहा यातनाएं दीं। मेरे ककारों (सिख मान्यता के अनुसार जिन्हें ‘संपूर्ण सिख’ धारण करता है) की बेअदबी की गई। यह सब इसलिए हुआ कि पहले मैं अमृतपाल सिंह के साथ था और अब अलहदा हूं। मेरे उससे मतभेद हैं। अगर उसकी हाजिरी में मुझे यातनाएं नहीं दी गईं तो वह श्री गुरुग्रंथ साहब के आगे आए और कहे कि उसकी अगुवाई में ऐसा नहीं हुआ।”

शिकायतकर्ता वरिंदर सिंह ने कहा कि अब पंजाब पुलिस भी पलट गई है जबकि इससे पहले उसने उसी की तरफ से लिखवाई गई एफआईआर के आधार पर अमृतपाल सिंह खालसा और उसके रिहा किए गए निकट सहयोगी तूफान पर मुकदमा दर्ज किया था।

इस घटना के बाद पंजाब पुलिस का कहना था कि वह अमृतपाल और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। उसी अजनाला पुलिस स्टेशन में जहां अमृतपाल सिंह खालसा ने कब्जा किया।

वरिंदर सिंह के निकटवर्ती बताते हैं कि वह तभी सामने आएगा जब अमृतपाल सिंह खालसा किसी गुरुद्वारे में श्री गुरुग्रंथ साहब के आगे इस पर बात करेगा। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रताड़ित व्यक्ति की बाकायदा मेडिकल जांच के बाद एफआईआर दर्ज की जाती है और उसके बाद दबाव में पुलिस अमृतपाल सिंह खालसा को  क्लीन चिट दे देती है।

प्रश्न है कि यह सब किसके इशारे पर हो रहा है?। अब मुद्दई वरिंदर पाल सिंह पनाह मांगता फिर रहा है और उसे अमानवीय यातनाएं देने वाले छुट्टा घूम रहे हैं। जिनमें अमृतपाल सिंह खालसा और उसका साथी लवप्रीत सिंह तूफान भी है।

सरकार की चुप्पी पूरे प्रकरण पर वैसे तो कायम है लेकिन इशारों की भाषा में मान मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य अमन अरोड़ा ने सिर्फ इतना कहा कि, “अजनाला थाने पर कब्जा नहीं होता अगर वहां गुरुग्रंथ साहिब की पालकी नहीं होती। हमने मर्यादा का पालन किया।”

मुख्यमंत्री भगवंत मान अभी भी इस संवेदनशील घटनाक्रम पर खामोश हैं। और केंद्र ने भी खामोशी अख्तियार कर लिया है। बावजूद इसके की अमृतपाल सिंह खालसा थाने पर कब्जे के बाद वहां मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहता है कि उसकी लड़ाई ‘खालिस्तान’ के लिए है!

विक्रमजीत सिंह मजीठिया

जबकि शिरोमणि अकाली दल की खामोशी को तोड़ा पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने। उन्होंने कहा कि अमृतपाल सिंह खालसा ने कल जो कुछ किया वह बेहद दुखदायी है और इसकी तह तक जाना चाहिए कि वह किसकी ‘साजिश’ का मोहरा है।

मजीठिया ने एक वीडियो भी वायरल किया है जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमृतपाल सिंह खालसा के आगे ‘गिड़गिड़ा’ रहे हैं। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया कहते हैं, “अमृतपाल किन एजेंसियों से ताल्लुक रखता है, यह जल्दी ही सामने आ जाएगा।” मजीठिया यह भी कहते हैं कि अगर शिकायतकर्ता गलत है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए और उसकी एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं)

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