Friday, March 29, 2024

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल यातना के मामले में जाँच के दिए

“जेल से सीधा चंडीगढ़ अस्पताल में आया हूँ। हिरासत में हौसले तोड़ने की पुरजोर कोशिश की गई थी। वो सिर्फ टांग तोड़ पाए। आप सभी के साथ से ही मैं मजबूत बना हूँ। “कितनी बड़ी है जेलें तेरी देख लिया है, देखेंगे” जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद यह कहना था मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार का।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 16 मार्च, मंगलवार को जिला और सत्र न्यायाधीश, फरीदाबाद को निर्देश दिया कि वे लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल यातना के आरोपों के संबंध में जांच करें।

जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों को सत्र न्यायाधीश को अपना पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है, ताकि जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। कोर्ट के समक्ष मामला कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार के पिता द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर की गई थी। इस याचिका में शिव कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न गंभीर धाराओं के तहत दर्ज तीन अलग-अलग एफआईआर में मामलों की जांच को एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

इसके अलावा, शिव कुमार की अवैध हिरासत और हिरासत में दी गई यातनाओं की स्वतंत्र जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी और यह भी प्रार्थना की गई थी कि शिव कुमार की चिकित्सकीय जांच की जाए। 19 फरवरी, 2021 को नोटिस का प्रस्ताव जारी किया गया था और कोर्ट ने शिव कुमार की मेडिकल जांच के लिए भी आदेश दिया था। 22 फरवरी, 2021 की रिपोर्ट 24 फरवरी, 2021 को रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट को सोनीपत के जिला जेल के अधीक्षक सतविंदर कुमार के हलफनामे में दिए गए जवाब के साथ पेश किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि 22 फरवरी, 2021 की प्रारंभिक एमएलआर और उसके बाद की एमएलआर रिपोर्ट की तुलना से साबित होता है और इस तरह एक अनुरोध किया कि जांच का आदेश दिया जाए और चल रही जांच पर रोक लगाया जाए। राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया कि प्राथमिकी की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दी गई है। कोर्ट का अवलोकन दोनों चिकित्सा रिपोर्टों की तुलना करते हुए ऐसा न हो कि यह आगे की कार्यवाही या पूछताछ प्रभावित हो कोर्ट ने कहा कि जांच की आवश्यकता है।

पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “भारत के संविधान का भाग- III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुरक्षा की गारंटी देता है। कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट के समक्ष एसआईटी द्वारा की जा रही जांच पर संदेह करने के लिए कुछ भी नहीं है। हालांकि ऐसा हो सकता है कि निष्कर्ष के लिए एसआईटी और जांच रिपोर्ट को एक साथ लाया जाए, जिसमें दोनों मेडिकल रिपोर्ट एक दूसरे पर छाया डाल सकते हैं। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों की संपूर्णता को देखते हुए जिला और सत्र न्यायाधीश को शिव कुमार के अवैध हिरासत और हिरासत में दी गई याताओं के आरोपों के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया। इस बीच एसआईटी को जांच जारी रखने की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन इस अदालत से अनुमति के बिना अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मामले को 11 मई, 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

नौदीप कौर के मामले में सह आरोपी शिवकुमार के मेडिकल रिपोर्ट से पुलिसिया टॉर्चर की बात सच साबित होती दिख रही है। मजदूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार का चंडीगढ़ स्थित जीएमसीएच में मेडिकल कराया गया, जिसमें उनके हाथ एवं पैर में दो फ्रैक्चर होने की पुष्टि हुई और पैरों की उंगलियों में कील चुभने के निशान मिले हैं। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सोनीपत जेल ने शिवकुमार का मेडिकल कराया है।

जीएमसीएच की ओर से जमा चिकित्सा रिपोर्ट में कहा गया कि शिवकुमार के बाएं हाथ और दाहिनी पैर की हड्डी में फ्रैक्चर है। इसके अलावा चार जख्म साधारण श्रेणी के हैं, जबकि दो गंभीर हैं। दाहिने पांव की दूसरी और तीसरी उंगली में नाखून के पास चोट है और त्वचा लाल हो गई है, बाएं पांव का अंगूठा भी जख्मी है, बाएं हाथ का अंगूठा और तर्जनी भी नीली पड़ चुकी है। शिवकुमार का आरोप है कि 16 जनवरी को पुलिस उसे कुंडली स्थित प्रदर्शन स्थल से उठाकर सोनीपत की पुरानी कचहरी लेकर गई थी, जहां पर पुलिस कर्मियों ने उसके साथ मारपीठ की थी।

दलित लेबर एक्टविस्ट नौदीप कोर के साथी और लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामलों में 04 मार्च को सोनीपत जिला (हरियाणा) की एक स्थानीय अदालत से जमानत मिल चुकी है। सोनीपत के कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री कर्मचारियों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ उनके विरोध के बाद शिव कुमार और नौदीप कौर दोनों को 12 जनवरी को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने दोनों को 12 जनवरी की घटना के संबंध में दायर तीन एफआईआर में नामजद किया था, जिसमें उन पर हत्या के प्रयास, चोरी और जबरन वसूली के आरोप लगाए गए थे।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को उनके खिलाफ दर्ज की गई तीसरी एफआईआर में दलित लेबर एक्टिविस्ट नौदीप कौर को जमानत दे दी थी। नौदीप कौर ने याचिका में कहा था कि उन्हें इस मामले में साजिश के तहत झूठा फंसाया गया है, क्योंकि वह किसान आंदोलन के पक्ष में बड़े पैमाने पर समर्थन हासिल करने में सफल रही थीं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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