Friday, March 29, 2024

राजद्रोह पर सरकार का बचाव करने वाले रंजन गोगोई ने पेगासस पर कहा-नो कमेंट

पेगासस जासूसी कांड को लेकर पूरे देश में विवाद हो रहा है। मानसून सत्र में विपक्ष इस मुद्दे पर बहस कर रहा है। वहीं इस मामले पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। असल में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला और उसके परिवार वालों के फोन नंबर उस लिस्ट में पाए गए हैं, जिनकी जासूसी पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए की गई थी। रंजन गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिला सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी है। रंजन गोगोई ने आज (मंगलवार 20 जुलाई) इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अभी एक हफ्ते पहले लेख लिखकर राजद्रोह कानून का बचाव किया था और उम्मीद जताई थी कि उच्चतम न्यायालय इसे असंवैधानिक बताकर निरस्त नहीं करेगा लेकिन जब से यह सामने आया है कि उस महिला जिसने साल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, वह भी इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए संभावित जासूसी की टारगेट लिस्ट में शामिल थीं, पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की बोलती बंद है।

रंजन गोगोई ने इस मामले पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना कर दिया। सीजेआई के पद से रिटायर होने के बाद भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए मनोनित किए गए रंजन गोगोई ने कहा, ‘मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

केवल सरकारों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इस स्पाइवेयर की संभावित जासूसी के लिए टारगेट लिस्ट में महिला से जुड़े 11 मोबाइल नंबर शामिल हैं। यह खुलासा द वायर, वाशिंगटन पोस्ट और अन्य मीडिया संस्थानों की ग्लोबल इंवेस्टिगेशन में हुआ है।

जस्टिस गोगोई पर 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की उस कर्मचारी का नाम सोमवार को रिपोर्ट में आया था। द वायर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, महिला से जुड़े हुए तीन नंबरों को जासूसी के लिए संभावित टारगेट के लिए चुना गया था। 20 अप्रैल, 2019 को एक हलफनामे में अपने आरोप दर्ज करने के कुछ दिनों बाद उन्हें कथित तौर पर ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में मार्क किया गया था। महिला के पति और उसके दो देवर के अन्य आठ नंबरों को भी संभावित निशाने के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था।

फेसबुक एक्टिविस्ट गिरीश मालवीय के अनुसार द वायर के इस खुलासे से यह साफ है कि उस दौरान उस महिला की गतिविधियों की जानकारी निकाल कर इस मामले को सेटल किया गया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप सामने आए थे तो लगभग पूरा मीडिया और सोशल मीडिया भी यही मानकर इस घटना का विश्लेषण कर रहा था कि जस्टिस रंजन गोगोई को उक्त महिला फंसा रही है, यह रंजन गोगोई के खिलाफ कोई साजिश है जिसमें वह महिला सबसे बड़ा मोहरा है। लेकिन अब साफ हो गया है कि वह महिला मोहरा नहीं थी। वह पीड़ित थी और पैगासस के जरिए उसकी एक्टिविटी को ट्रेस कर के उसे मोहरा बनाया गया।  

मालवीय का कहना है कि इसकी आड़ में सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त चल रहे रॉफेल और अयोध्या जैसे बहुत महत्वपूर्ण केसेज की फाइलों को निपटाया गया, बाद में ईनाम के बतौर गोगोई जी को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और सेटलमेंट के बतौर उस महिला को पुर्ननियुक्ति दी गयी। उसके पति को भी दिल्ली पुलिस ने वापस नौकरी पर बहाल किया।

 पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोप ने न्‍यायपालिका को हिलाकर रख दिया था। दरअसल मामला कुछ यूं था कि 35 वर्षीय महिला सुप्रीम कोर्ट में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के रूप में काम कर रही थी। महिला ने उस वक्त मुख्य न्यायाधीश रहे रंजन गोगोई के खिलाफ 22 न्यायाधीशों को एक एफिडेविट भेजकर शिकायत दर्ज की थी। यह एक सामान्य शिकायत नहीं थी, बल्कि एक सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत थी। इस एफिडेविट में उसने 10 और 11 अक्टूबर, 2018 को सीजेआई निवास पर उसके साथ हुई कथित घटना का विस्‍तृत ब्‍यौरा दिया था। पूरा देश इस घटना से हतप्रभ रह गया था। सभी के दिमाग में यही आया कि यह मामला बनावटी है और रंजन गोगोई को उस समय चल रहे महत्वपूर्ण मामलों से हटाने का प्रयास है।

तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो इस शिकायत का दोष वामपंथी ताकतों पर डाल दिया था। जेटली ने अपने ब्लॉग में उस वक्त इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा ‘अस्थिरता पैदा करने वाली ताकतों में बड़ी संख्या में वामपंथी या अति वामपंथी विचारधारा के हैं। इनका न तो कोई चुनावी वजूद है न ही जनसमर्थन। इसके बावजूद ये लोग मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों में असमानुपातिक रूप से अब तक मौजूद हैं। जब इन्हें मीडिया की मुख्यधारा से बेदखल कर दिया गया तो इन्होंने डिजिटल और सोशल मीडिया का सहारा ले लिया।

जस्टिस रंजन गोगाई ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया। जस्टिस रंजन गोगोई ने तो उस समय यहां तक कहा कि इसकी भी जांच होनी चाहिए कि इस महिला को यहां सुप्रीम कोर्ट में नौकरी कैसे मिल गई जबकि उसके खिलाफ आपराधिक केस है।

रंजन गोगोई ने अपने ही खिलाफ जज बनने का फ़ैसला ले लिया। शनिवार 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ हुआ वह न्याय के उपहास से कुछ भी कम नहीं था। चीफ जस्टिस ने अपने संवैधानिक पद का उपयोग करते हुए उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को न केवल नकारा, बल्कि शिकायतकर्ता के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करते हुए स्वयं पर लगे आरोपों को न्यायिक व्यवस्था के विरुद्ध एक बड़ी साजिश बताया। साथ ही साथ इस मामले में मीडिया की भी आवाज दबाने की कोशिश की। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने भी शिकायतकर्ता की गैरमौजूदगी में उसका चरित्र हनन किया गया।

जब यह मामला कोर्ट के सामने आया तो उस वक्त अटॉर्नी जनरल ने भी रंजन गोगोई का पक्ष लेते हुए कहा कि पुराने मामले में पुलिस द्वारा कैसे इस महिला को क्लीन चिट दी गई? साथ ही चीफ जस्टिस तो अपने खिलाफ आरोप देखकर कहने लगे कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता ही खतरे में है।

महिला को झूठा सिद्ध करने के लिए उस वक्त बहुत से खेल खेले गए। कहा जाने लगा कि मुख्य न्यायाधीश को एक झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव बैंस ने दावा किया था कि सीजेआई गोगोई को यौन शोषण के झूठे आरोपों में फंसाने की साजिश की जा रही है। उन्होंने मामले में एक एयरलाइन संस्थापक, गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और एक कथित फिक्सर को इसके लिए जिम्मेदार बताया और दावा किया कि एक अजय नामक व्यक्ति ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी।

बाद में जस्टिस पटनायक ने इस बात को झूठा करार दिया। जस्टिस एके पटनायक जांच समिति ने उपरोक्त महिला कर्मी को शीर्ष अदालत और मुख्य न्यायाधीश को बदनाम करने की साजिश में शामिल होने के मामले में क्लीन चिट दे दी। बाद में उच्चतम न्यायालय ने महिला के आरोपों की इनहाउस समिति से जांच करवाई, जिसने छह मई को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को भी क्लीन चिट दे दी थी।

इस पूरे प्रकरण पर आप विहंगम दृष्टि डालेंगे तो आप देखेंगे कि खुले आम न्याय की हत्या हुई है। कमाल की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ही पक्ष को राहत दे दी। रंजन गोगोई को भी क्लीन चिट मिल गयी, महिला को भी क्लीन चिट दे दी गई और आज यह भी साफ हो गया कि पूरे मामले को पैगासस जैसे स्पाई वेयर का इस्तेमाल करके सेटल किया गया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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