नई दिल्ली। कानून की छात्रा के बलात्कार के आरोप में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को जमानत मिल गयी है। यह जमानत उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी है। चिन्मयानंद को पिछले साल 21 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आईपीसी और सीआरपीसी की तमाम धाराएं तामील की गयी थीं। जिनमें 364 (हत्या के लिए अपहरण), 506 (धमकी देना) शामिल था। बाद में उनके ऊपर आईपीसी की धारा 376 सी भी लगायी गयी। यह धारा उस समय लगायी जाती है जब कोई शख्स अपने पद का बेजा इस्तेमाल कर किसी महिला को प्रताड़ित करता है। हालांकि इसके तहत यौन उत्पीड़न को बलात्कार के बराबर नहीं माना जाता है।
उसके बाद उन्हें स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। केस की जांच एसआईटी की एक टीम कर रही थी। इस मामले में नवंबर महीने में दो चार्जशीट दायर की गयी थी। जिसमें एक यौन उत्पीड़न से जुड़ी हुई थी जबकि दूसरी कानून की छात्रा और पांच अन्य लोगों पर उगाही करने के आरोपों से जुड़ी थी। इसमें बीजेपी का एक स्थानीय नेता धर्मेंद्र प्रताप भी शामिल था।
चिन्मयानंद के खिलाफ चार्जशीट आईपीसी की धारा 376-सी ( बड़े पद पर रहने वाले किसी शख्स द्वारा यौनाचार), 354-डी (ताक-झांक करना), 342 (अवैध तरीके से बंधक बनाना) और 506 (धमकी देना) शामिल है।
पूछताछ के दौरान 2019 में चिन्मयानंद ने कहा था कि मैं अपने कृत्य से शर्मिंदा हूं। और इसके किसी जांच से गुजरना नहीं चाहता हूं। आरोप सामने आने के बाद बीजेपी ने कहा था कि चिन्मयानंद पार्टी के अब सदस्य नहीं हैं।
पिछले साल नवंबर में चिन्मयानंद की ओर से पेश किए गए जमानत के आवेदन पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछले साल 24 अगस्त को एकाएक छात्रा के लापता होने की खबर आयी थी। उसके एक दिन बाद उसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था जिसमें उसने कहा था कि एक वरिष्ठ नेता और संत समुदाय के सदस्य उसे प्रताड़ित कर रहे हैं। साथ ही वह उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा उस छात्रा से बात की और उससे पूरे मामले को समझा। फिर कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंप दिया था।