Saturday, April 20, 2024

सकलडीहा का सच: योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद भी गड्ढामुक्त नहीं हुईं सड़कें

सकलडीहा (चंदौली)। बीते सोमवार की सुबह के करीब नौ बज रहे थे। मैं मुगलसराय-भुपौली-चहनियां मार्ग पर सकलडीहा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की जमीनी पड़ताल करने के लिए निकल चुका था। इस रास्ते मेरी मंजिल रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम अघोरपीठ मठ थी जहां बीते साल 5 दिसम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे और 30 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की थी। मालगोदाम तालाब से आगे बढ़ते ही सड़क के गड्ढे ग्रामीण इलाकों के पिछड़ेपन की हालात बयां कर रहे थे। वैगन केयर सेंटर की चहारदीवारी के पास की सड़क पर ऐसे गड्ढे थे जो मुगलसराय स्थित शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए परेशानी का सबब बन रहे थे।

मुगलसराय स्थित शिक्षण संस्थानों में गड्ढायुक्त मुगलसराय-चहनिया मार्ग से पढ़ने जातीं छात्राएं एवं राहगीर।

भाजपा नेत्री साधना सिंह मुगलसराय विधानसभा से निवर्तमान विधायक हैं। हालांकि पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट दिया है। उसने उनकी जगह मुगलसराय नगर पालिका परिषद की पूर्व अध्यक्ष रेखा जायसवाल के पति रमेश जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है। करीब पांच किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मैं सकलडीहा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश कर चुका था लेकिन दुर्घटना की दावत दे रही गड्ढायुक्त सड़क खत्म नहीं हो रही थी।

सराय गांव के स्थित गड्ढे में तब्दील सड़क।

समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण यादव सकलडीहा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक हैं। पार्टी ने उन्हें एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। मुगलसराय-चहनियां मार्ग किनारे स्थित कैलावर गांव में उनका पुश्तैनी आवास है लेकिन वह भी इसे मार्ग को गड्ढामुक्त करवाने में असफल रहे।

कैलावर गांव में विधायक प्रभु नारायण यादव का पुस्तैनी आवास।

कुरहना गांव के पहले एक अंडरपास पुल का निर्माण हो रहा था। वहां की सड़क धूल और मिट्टी से पट चुकी थी। सड़क पर गड्ढे साफ दिखाई दे रहे थे। यह अंडरपास वाराणसी रिंग रोड परियोजना के तीसरे चरण के तहत बनने वाले चिरईगांव-अलीनगर राजमार्ग का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश सरकार के दावों के मुताबिक, इस राजमार्ग के निर्माण का कार्य इसी महीने खत्म होना है लेकिन निर्माणाधीन मार्ग के हालात से ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

निर्माणाधीन चिरईगांव-अलीनगर राजमार्ग

करीब एक घंटे का सफर करने के बाद मैं अब कैली गांव के चौराहा पर पहुंच चुका था। मुगलसराय से यह दूरी महज आठ किलोमीटर ही थी। चाय पीने के बहाने लोगों से बात करने के लिए मैं ‘विकास पान भंडार’ नामक दुकान पर पहुंचा जहां विनय पाठक, राम सकल यादव, अर्जुन प्रजापति, राजेश कुमार यादव आदि समेत करीब आधा दर्जन लोग बैठकर बातचीत करते हुए मिले। चाय की चुस्की के साथ मैंने सड़क की खस्ताहाल व्यवस्था पर टिप्पणी की। फिर मजाकिया लहजे में विनय पाठक ने प्रतिक्रिया दी, “जब तक इ विधायक रहिअन, तब तक इ सड़क अइसै रही’। फिर राजनीतिक माहौल पर चर्चा छिड़ गई। विनय पाठक और रामसकल यादव ने निवर्तमान विधायक प्रभु नारायण यादव का विरोध करते हुए भाजपा के उम्मीदवार सूर्यमणि तिवारी के पक्ष में माहौल होने का दावा कर दिया। कुछ देर की बातचीत के दौरान पता चला कि किसी कानूनी मामले को लेकर राम सकल यादव और विधायक प्रभुनारायण यादव में पुराना विवाद है। हालांकि वे उसे बताना मुनासिब नहीं समझे। वहीं, दुकान संचालक राजेश कुमार यादव और अन्य दो ग्रामीणों ने फिर से साइकिल की सरकार बनने और प्रभुनारायण के जीतने की बात कही।

कैली चौराहा स्थित पान-चाय की दुकान पर बैठे ग्रामीण

सड़क की खराब स्थिति होने के बारे में महरखा गांव निवासी अर्जुन प्रजापति ने बताया कि रिंग रोड का काम खत्म होने के बाद ही यह सड़क बनेगी। चहनियां विकास खंड का महरखा गांव कैली से करीब चार किलोमीटर दूर है। भुपौली बाजार से दाहिनी तरफ नहर से रास्ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 5 दिसंबर को बाबा कीनाराम अघोरपीठ के दौरे के दौरान महरखां गांव में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 20 लाख रुपये की लागत के अवसंरचनात्मक विकास कार्यों का शिलान्यास किया था। कुल्हड़ की चाय खत्म होने के बाद इसका जायजा लेने मैं महरखा गांव के लिए निकल पड़ा। सलेमपुर गांव में सड़क पर पानी बह रहा था। इसकी वजह से वहां काफी गड्ढे हो गए थे। राहगीर अपने वाहनों को किनारे से निकाल रहे थे। सड़क किनारे बस स्टैंड बना था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हाल में उसे बनवाया गया है।

सलेमपुर में सड़क पर बहता पानी और बस स्टैंड।

कुछ ही देर में मैं भुपौली गांव स्थित कैनाल पंप के पास पहुंच गया। इस कैनाल से चहनिया, सकलडीहा और धानापुर इलाके के हजारों किसानों की फसलों की सिंचाई होती है। पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के तत्कालीन सिंचाई एवं जन संसाधन मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने 10 सितंबर 2015 को भुपौली पम्प नहर क्षमता वृद्धि परियोजना का लोकार्पण किया था। इसका लाभ क्षेत्र के हजारों किसानों को अभी भी मिल रहा है।

भुपौली पम्प नहर परियोजना

भुपौली पम्प से नहर के रास्ते दाहिनी ओर महरखा गांव की ओर मैं मुड़ गया। करीब आधा किलोमीटर दूर जाने के बाद मुझे केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत बना भगवा रंग का ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर’ मिला। यह महरखा गांव की भूमि पर बना था। सेंटर में ताला लगा हुआ था। दो महिलाएं सेंटर के सामने बैठी हुई थीं। जैसे ही मैंने अपनी स्कूटी रोकी और मोबाइल निकालकर फोटो खींचने के लिए तैयार होने लगा, एक महिला तुरंत उठकर सेंटर का दरवाजा खोलने लगी।

महरखा गांव स्थित ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर’

मैं फोटो खींचकर आगे बढ़ गया। आगे नहर दो भागों में विभाजित हो गई थी। दाहिनी ओर महरखा गांव को जाने वाला सोलंगयुक्त निर्माणाधीन सड़क थी जो नहर किनारे बन रही थी। यह भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित परियोजना है। 5.200 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का नाम ‘टी-7 से रूपेठा संपर्क मार्ग’ है। करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली इस सड़क का निर्माण पिछले तीन जुलाई को शुरू हुआ था लेकिन अभी तक सड़क पर केवल सोलंग बिछा है जिससे राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसे इस साल जुलाई तक पूरा करना है लेकिन इसका काम ठप पड़ा है।

टी-7 से रुपेठा संपर्क मार्ग

सोलंगयुक्त सड़क के रास्ते करीब एक किलोमीटर जाने पर बायीं तरफ महरखा गांव की दलित बस्ती है जिसमें चमार समुदाय के करीब दो सौ परिवार बसे हैं। बस्ती एक तालाब के चारों ओर बसी है। बस्ती के अधिकतर मकान पक्के हैं। बस्ती में करीब 20 लोग नौकरीपेशा हैं। 10 परिवार ऐसे हैं जिनके पास एक बीघा से ज्यादा खेती करने योग्य भूमि है। बस्ती के राम अधार बताते हैं कि अधिकतर लोग मनरेगा में काम करते हैं। अगर वहां काम नहीं मिलता है तो मुगलसराय मजदूरी करने जाते हैं। बस्ती में कई लोग हैं जो खेतिहर मजदूरी करते हैं। बस्ती की सभी गलियां आरसीसी युक्त मिलीं।

महरखा दलित बस्ती के बीच में स्थित तालाब।

फोटो-10  महरखा दलित बस्ती के बीच में स्थित तालाब।

दलित बस्ती की उत्तर दिशा में कोइरी, कुम्हार, ठाकुर, भूमिहार, ब्राह्मण, यादव, तेली (गुप्ता), पासवान आदि समुदायों का मोहल्ला है जिनकी सामूहिक तादाद दलित समुदाय से काफी ज्यादा है। महरखा गांव कोइरी और यादव बहुल गांव है। गांव का जायजा लेते हुए मैं एक परचून की दुकान पर पहुंचा। जहां तीन महिलाएं और दो पुरुष बैठे हुए थे। यह दुकान तेली समुदाय के गुप्ता जी की थी। कुछ देर की बातचीत के दौरान यह निकलकर आया कि वे लोग मोदी की वजह से भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे। महंगाई और व्यवसाय के प्रभावित होने के सवाल पर उनका बस यह कहना था कि चाहे कोई सरकार आए, वह इसे कम नहीं कर सकती। हालांकि पास में बैठी कुम्हार समुदाय की एक महिला ने रसोईं गैस और तेल महंगा होने पर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अपना मत किसे देंगी?

महरखा स्थित दलित बस्ती के लोग।

महरखा गांव का जायजा लेने के बाद मैं फिर से भुपौली-चहनिया मार्ग पर निकल पड़ा। डेरवां कला गांव में सड़क किनारे अपने घर के सामने रस्सी बनाते राम जनम मिले। अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल चमार समुदाय के राम जनम बताते हैं कि उन्हें अभी तक किसी प्रकार का आवास नहीं मिला है। वह और उनका परिवार मिट्टी की दीवार के सहारे छप्पर लगाकर जीवनयापन कर रहे हैं। वह किस पार्टी को वोट देंगे? इस सवाल पर वह कहते हैं, “हम लोग हाथी पर वोट देंगे। अगर हम दूसरी पार्टी को वोट देंगे तो भी लोग नहीं मानेंगे। इसलिए हम लोग बहन जी को जिताएंगे।”

महड़ौरा त्रिमुहानी पर एक छप्पर के नीचे रखी गुमटी पर कुछ लोग बैठे हुए थे। एक किशोर पकौड़ी बना रहा था। महड़ौरा और आस-पास के गांवों की जमीनी हकीकत जानने के लिए मैं भी रुक गया। पकौड़ी खाने के बहाने मैंने दुकानदार और पकौड़ी बना रहे किशोर के बारे में जानने की कोशिश की। यह गांव के ही राम बिलास गुप्ता की दुकान थी। राम बिलास अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल तेली समुदाय से आते हैं। पकौड़ी बनाने वाला किशोर उनका ही लड़का था जो सातवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुका था। उसके पिता ने बताया, “मैंने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह आगे पढ़ना ही नहीं चाह रहा था। फिर दुकान में हाथ बंटा देता है।“ चुनावी माहौल के बारे में पूछने पर राम बिलास गुप्ता ने कहा, ‘यहां तो भाजपा ही जीतेगी।’ उनके इस जवाब पर वहां मौजूद योगेंद्र निषाद ने प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा, “नहीं, यहां फिर सपा जीतेगी और प्रभुनारायण यादव विधायक बनेंगे।” योगेंद्र निषाद पास के पकरी गांव के निवासी थे। जब मैंने इसके पीछे का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, “देखिए, महंगाई कितनी बढ़ गई है? गैस का सिलेंडर एक हजार के पार हो चुका है। सरसों का तेल 200 रुपये लीटर के पार हो चुका है। पेट्रोल सौ रुपये पार है। बेरोजगार परेशान हैं। इसलिए लोग सपा को वोट देंगे।“ मैंने योगेंद्र से निषाद पार्टी के संजय निषाद के भाजपा के साथ होने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “भाजपा ने निषादों को आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन आज तक उसने आरक्षण नहीं दिया। इसलिए हम लोग भाजपा के साथ नहीं हैं। हम लोगों ने संजय निषाद से भी कहा था कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ें और हम लोग उनका साथ देंगे।“

महड़ौरा त्रिमुहानी स्थित राम बिलास गुप्ता की दुकान पर बैठे लोग।

विधायक प्रभुनारायण यादव के गांव कैलावर में मेरी मुलाकात हरिजन बस्ती के श्यामधारी से हुई। उनके मुताबिक बस्ती में चमार समुदाय के करीब सौ वोट हैं। जब मैंने उनसे पूछा कि आप लोग किसे वोट देंगे? इस पर उन्होंने कहा कि हमारे गांव के विधायक हैं। आसानी से उनसे मुलाकात हो जाती है। अगर दूसरे लोग विधायक बनेंगे तो हम उन्हें कहां खोजने जाएंगे? क्या विधायक उनकी बात सुनते हैं? इस सवाल के जवाब में श्यामधारी ने कहा कि पहले तो नहीं सुनते थे लेकिन अब उनके व्यवहार में काफी बदलाव आया है। वे कई बार आ चुके हैं।”

कैलावर गांव निवासी श्यामधारी

कैलावर से चहनियां बाजार करीब तीन किलोमीटर है। चहनियां बाजार से गुजरने वाली चंदौली, मुगलसराय और सैदपुर मार्ग की हालत खस्ताहाल है। बाजार में इन सड़कों पर गड्ढे और पत्थर के सोलंग दिखाई देते हैं। धूल से पटी ये सड़कें चहनियां विकास खंड के विकास की हालत खुद ही बयां कर देती हैं।

चहनियां बाज़ार

चहनियां बाजार से रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम अघोरपीठ मठ की दूरी करीब आठ किलोमीटर है। सैदपुर राज्यमार्ग स्थित लक्ष्मणगढ़ और गुरेरा मोड़ से जाने वाले दोनों रास्तों की सड़क गड्ढे में तब्दील हो चुकी है। बीते पांच दिसम्बर को रामगढ़ में योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद भी इन दोनों रास्तों की हालत अभी तक नहीं सुधरी है और ना ही अभी उनके निर्माण की कोई पहल दिखाई दे रही है। मोहरगंज से बाबा कीनाराम अघोरपीठ मठ को जाने वाला तीसरा मार्ग भी गड्ढों में तब्दील हो चुका है। इन मार्गों से गुजरने वालों की फरियाद अभी भी अधूरी है। हसनपुर गांव निवासी श्रवण कुमार यादव ने कहा कि दिसम्बर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम रामगढ़ में लगा था तो आशा थी कि यह मार्ग बन जाएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अब सरकार बदलेगी, तभी यह संभव हो पाएगा।

चहनियां बाजार से रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम अघोरपीठ मठ

(सकलडीहा से पत्रकार शिवदास प्रजापति की रिपोर्ट।)  

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